गांधी परिवार के विश्वासपात्र देवड़ा सभी के बीच थे लोकप्रिय
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गांधी परिवार के विश्वासपात्र देवड़ा सभी के बीच थे लोकप्रिय

महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मुरली देवड़ा गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे लेकिन उनके मित्र सभी राजनीतिक दलों और कारपोरेट जगत में थे। भारत के सबसे अधिक समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहने वाले 77 वर्षीय देवड़ा ने मंत्रालय में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया जो जनवरी 2006 से शुरू हुआ था और यह संप्रग-1 और संप्रग-2 के कार्यकाल में बंटा हुआ था।

मुंबई: महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मुरली देवड़ा गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे लेकिन उनके मित्र सभी राजनीतिक दलों और कारपोरेट जगत में थे। भारत के सबसे अधिक समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहने वाले 77 वर्षीय देवड़ा ने मंत्रालय में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया जो जनवरी 2006 से शुरू हुआ था और यह संप्रग-1 और संप्रग-2 के कार्यकाल में बंटा हुआ था।

अपने चार दशक के राजनीतिक जीवन में वह सबसे अधिक समय, 22 साल तक मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के प्रमुख रहे। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे देवड़ा पार्टी के लिए धन जुटाने वालों में प्रमुख रहे जिनके भारत के सबसे विख्यात उद्योगपतियों से व्यक्तिगत संबंध थे।

उन्हें अपनी वफादारी का पुरस्कार मिला जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान जनवरी 2006 में मणिशंकर अय्यर की जगह उन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री बनाया गया। देवड़ा को शीत-युद्ध के दौरान अमेरिका समर्थक माना जाता था जबकि उस समय भारत का पूर्व सोवियत संघ के साथ गहरा संबंध था। उन्होंने 1980 के दशक के दौरान कई अमेरिकी नेताओं की मेजबानी की।

वह उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के करीबी पारिवारिक मित्र थे। धीरूभाई अंबानी के के बेटे - मुकेश और अनिल अंबानी - उन्हें अंकल कहते थे। उन्हें सबसे अधिक अंबानी बंधुओं के बीच बंगाल की खाड़ी में स्थित कृष्णा गोदावरी बेसिन से प्राकृतिक गैस पर विवाद के केंद्र में होने के लिए याद किया जाएगा।

अनिल अंबानी समूह ने उन पर गैस मूल्य निर्धारण तथा आवंटन के संबंध में मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज की मदद करने का आरोप लगाया और अखबारों में एक अप्रत्याशित अभियान चलाया जबकि देवड़ा ने ही केजी बेसिन क्षेत्र में हुए खर्च के कैग द्वारा लेखापरीक्षण का आदेश दिया जो किसी सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा निजी कंपनी की खातों की जांच का पहला मामला था।

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