Murshidabaad violence: मशहूर कवि मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद ने कहा था - 'देखोगे तो हर मोड़ पे मिल जाएंगी लाशें... ढूंढोगे तो इस शहर में क़ातिल ना मिलेगा'. बंगाल के मुर्शिदाबाद में हालात बिल्कुल ऐसे ही हैं. वहां पीड़ित हिंदू तो दिख रहे हैं. दंगे के जख्म साफ-साफ नजर आ रहे हैं. लेकिन अत्याचार करने वालों का कहीं अता-पता नहीं है.
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West Bengal Politics Murshidabad violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदू समुदाय दहशत के साए में जी रहे हैं. उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में अब आपको जिस रिपोर्ट के बारे में बताने वाले हैं वो लोकतंत्र को लहूलुहान करने से जुड़ी है, लेकिन उसे आपको पढ़ाना सुनाना बेहद जरूरी है. क्योंकि मुर्शिदाबाद में समुदाय विशेष ने खून की होली खेलने के साथ बकरीद पर हिंदुओं को काटने की धमकी दे डाली.
हिंदू महिलाओं को कैसी-कैसी धमकी?
ज़ी न्यूज़ की टीम को आज मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे बता रही थीं कि कट्टरपंथी आए थे और कह रहे थे कि वो खून की होली खेलेंगे. एक महिला ने बताया कि दंगाई कह रहे थे- 'बकरीद पर हिंदुओं को काटेंगे'. हिंदू महिलाओं से रेप और बेटियों को अगवा करने की धमकी दी गई.
हिंदू परिवारों का दर्द कौन बांटेगा?
अफसोस की बात ये है कि मुर्शिदाबाद का सच धीरे-धीरे सामने आ रहा है. हिंदुओं पर हमले के 9 दिन बाद खून की होली वाली धमकी का पता चल रहा है. हाईटेक युग में भी ये बात हम तक पहुंचने में 9 दिन लग गए. सोचिए कैसी स्थिति है बंगाल की और खासकर मुर्शिदाबाद में रहने वाले पीड़ित हिंदू परिवारों की. जो अपना दर्द भी डर-डर कर बता रहे हैं.
ज़ी न्यूज़ की टीम को लगता है कि आपको पूजा पांडे की वो बात एक बार फिर ध्यान से पढ़नी चाहिए, क्योंकि एक समुदाय विशेष के लोग हिंदुओं के खून की होली खेलने की धमकी दे रहे थे. वो झुंड में हाथों में तलवार लेकर आए थे और हिंदू महिलाओं का बलात्कार करने की बात कह रहे थे.
क्या वक्फ कानून का विरोध खून की होली खेलने के लिए किया गया या किया जा रहा है?
क्या वक्फ कानून की खिलाफत बकरीद पर हिंदुओं को काटने के इरादे से की जा रही है?
7 जून को बकरीद है. अभी अप्रैल का महीना चल रहा है. मई-जून यानी करीब डेढ़ महीने बाद जब बकरीद होगी. तब कट्टरपंथी हिंदुओं को काट देंगे. ऐसी धमकी मुर्शिदाबाद के हिंदुओं को दी जा रही थी. महिलाओं के सामने दी जा रही थी.
महिला मुख्यमंत्री के प्रदेश में महिलाओं को बलात्कार की धमकी
ज़ी न्यूज़ के कैमरे पर हिंदू महिला रो-रोकर कह रही थीं कि कट्टरपंथियों के झुंड में 4 लोग ऐसे थे जो रेप की धमकी दे रहे थे. सोचिए, ये सब एक महिला मुख्यमंत्री के शासन वाले प्रदेश में हो रहा था.
मुर्शिदाबाद के हिंदुओं पर हमले फिलहाल रुके हैं लेकिन खतरा टला नहीं है. इस समय वहां BSF मौजूद है. इसके बावजूद दंगाइयों का दुस्साहस देखिए वो हिंदुओं को धमका रहे हैं कि ये सेंट्रल फोर्स कितने दिन रहेगी. जब BSF वहां से हटेगी तब वो फिर से हिंदुओं पर हमला करेंगे, मारेंगे-पीटेंगे-काटेंगे. जो मन होगा, वो करेंगे. पीड़ित हिंदू परिवारों का दावा है कि दंगाई इतने बेखौफ हैं, कि कह रहे हैं- अब तक सिर्फ 2 हिंदुओं को मारा है. आगे सबकी हत्या कर दी जाएगी. अब आपको लगेगा कि क्या वहां की पुलिस अपने कर्तव्य , जिम्मेदारी, संवेदना और अंतरात्मा को किसी फाइल की तरह अलमारी में बंद करके चैन की नींद सो रही है. पीड़ितों का जवाब सुनकर आपको यही लगेगा.
#DNAWithRahulSinha | बंगाल में 'खून की होली' वाला खौफ.. दंगाइयों ने 'खून की होली' खेलने की धमकी दी
9 दिनों के बाद पहली बार पीड़ितों ने सच्चाई बताई, पीड़ित ने कहा- 'दंगाइयों ने घरों पर पत्थरों की बरसात की'#DNA #WestBengal #MurshidabadViolence @RahulSinhaTV pic.twitter.com/lAUWLjUqfd
— Zee News (@ZeeNews) April 19, 2025
'पश्चिम बंगाल' पुलिस ने हिंदुओं की मदद करने से इनकार किया
हिंदू परिवारों के मुताबिक, बंगाल की पुलिस ने हिंदुओं की मदद करने से साफ इनकार कर दिया था. क्या इसके लिये उन्हें ऊपर से आदेश दिया गया था? क्या खून की होली का खौफ पुलिस को भी था. क्या पुलिस भी कट्टरपंथियों से डरी हुई है. क्योंकि इस समय बंगाल में हिंदुओं के लिए सुरक्षा के लिहाज से भरोसे का एक ही नाम बचा है और वो है बीएसएफ यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स. पीड़ितों की मांग है कि वहां बीएसएफ कैंप बना रहे. नहीं तो फिर से दंगे के हालात बन सकते हैं.
हिंदुओं का पलायन
ये भी सच है कि मुर्शिदाबाद में हिंदू अपने घर को छोड़कर पलायन कर रहे हैं. इसकी वजह अब सामने आ रही है. वहां हिंदू बच्चियों और लड़कियों को अगवा करने की धमकी दी जा रही है. मतलब साफ है कि दंगाइयों को ना तो किसी कार्रवाई का डर है और ना ही पुलिस या जांच एजेंसियों ने कोई दबाव बनाया है. इसलिये हमले के 9 दिन बाद भी वहां के हिंदू किसी टॉर्चर चैंबर में फंसे हुए हैं. वो ना तो ढंग से खा-पी रहे हैं और ना ही इनकी आंखों में नींद है. डर ऐसा कि इन्होंने अपने बच्चों को घरों में बंद करके रखा हुआ है.
हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही बंगाल की पुलिस ने बीजेपी का प्रदर्शन रोकने में अपनी पांचों इंद्रियों का इस्तेमाल कर लिया.
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिये पुलिस एक विशेष प्रकार का स्ट्रक्चर लेकर आई. अगर पुलिस ने ऐसा ही उपाय मुर्शिदाबाद के दंगाइयों के खिलाफ किया होता तो हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी नहीं होती. फौजी के घर बम नहीं फेके जाते. हिंदुओं को घर नहीं छोड़ना पड़ता. खून की होली और हिंदुओं को काटने की धमकी ना मिलती और हिंदू परिवार के दो निर्दोष लोगों का जान भी बच जाती.
राज्यपाल और महिला आयोग ने लिया जायजा
बंगाल के राज्यपाल सीवी बोस और राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने मुर्शिदाबाद जाकर पीड़ित महिलाओं का दर्द सुना. महिलाओं ने उनके गले मिलकर रोते-रोते जो बातें कहीं वो हृदय विदारक है. उनका दर्द झकझोरने वाला है. जिस देश में 100 करोड़ से ज्यादा हिंदू रहते हों वहां ऐसा डर हमारे सिस्टम के चेहरे पर किसी तमाचे के जैसा है. सच ये भी है कि कुछ हिंदू परिवार वापस अपने घर आ गए हैं लेकिन उन्हें अभी भी ये डर सता रहा है कि कहीं कोई कट्टरपंथी आकर ये ना कह दे कि- हमें तुम्हारे साथ खून की होली खेलनी है.
जिन नेताओं ने मुसलमानों को भड़काने वाले भाषण दिये. क्या वो आज मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे समेत उन तमाम महिलाओं से उन हिंदू परिवारों से माफी मांगेंगे जिनके भड़काऊ भाषणों के बाद लोग सड़कों पर उतरे. कई जगहों पर भीड़ उग्र हुई, हिंसक हुई और हिंदुओं के घरों पर हमले किये गए.
- क्या असदुद्दीन ओवैसी मुर्शिदाबाद की पूजा पांडे से माफी मांगेंगे?
- क्या महमूद मदनी..काकोली साहा को मिली धमकी पर क्षमा मांगेंगे?
- क्या मौलाना कौसर हयात खान...आशा पांडे से माफी की गुहार लगाएंगे?
- और क्या झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन जूही घोष के पति पर हुए हमले के लिये माफी मांगेंगे?
हमे पूरा यकीन है- कि इनमें से कोई माफी नहीं मांगेगा. क्योंकि इनकी सोच में सिर्फ एक कौम है, दूसरे के लिए जगह नहीं है. वक्फ को अपना अधिकार और वक्फ कानून को इस हक में दखलंदाजी बताकर कुछ नेताओं ने भीड़ को उकसा दिया.
क्या हिंदू बंगाल में सॉफ्ट टारगेट हैं?
लेकिन खून की होली वाला बयान सुनते ही सब के सब खामोश हो गये हैं. Mute Mode पर चले गये हैं. आपने मुर्शिदाबाद हिंसा पर अबतक इनमें से किसी नेता को निंदा करते हुए नहीं देखा होगा. ये कहते हैं कि इनका विरोध वक्फ कानून के खिलाफ है. तो फिर इनके बयानों से भड़की भीड़ को हिंसा करने और हिंदुओं से खून की होली वाली धमकी देने का अधिकार कैसे मिल गया. क्यों आखिर इन धमकियों के खिलाफ बोलने के लिए इनके पास दो शब्द तक नहीं हैं.
वक्फ कानून का विरोध करनेवाले जितने भी बयान सामने आ रहे हैं, उनमें एक बात कॉमन है. सबके सब मिलकर मुसलमानों के अधिकार की बात कर रहे हैं. लेकिन अगर मुस्लिमों को अधिकार है तो क्या हिंदुओं के अधिकार खत्म हो गये हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. 5 मई से फिर से सुनवाई होगी. लेकिन इतने दिन के लिए इनके पास सब्र नहीं है. मुस्लिम पक्ष एक तरफ तो बयान देता है कि उन्हें अदालत पर भरोसा है तो फिर लाखों लोगों को सड़कों पर क्यों उतारा जा रहा है. भीड़ की भावनाएं भड़काने वाली बयानबाजी क्यों चल रही है. लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है लेकिन किसी के घर पर हमला करना. खून की होली की धमकी देना. सैनिकों की वर्दी जलाना, ऐसा करने की छूट किसी को भी नहीं है.
ओवैसी दबाव बना रहे?
हैदराबाद में '15 मिनट वालों' ने विशाल प्रदर्शन किया. बात असदुद्दीन ओवैसी की जिन्होंने हैदराबाद के दारुस्सलाम मैदान में वक्फ के खिलाफ अपना शक्तिप्रदर्शन किया. प्रदर्शन करीब 180 मिनट तक चला. ओवैसी राजनेता हैं, इसलिये किसी मामले पर चल रही राजनीति पर बयान देना उनका हक है. लेकिन ओवैसी एक वकील भी हैं, कानून के बारे में उन्हें पूरी जानकारी है. वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु होने वाली है. उससे पहले ओवैसी के इस प्रदर्शन की वजह क्या है. हैदराबाद के उस ग्राउंड में 20000 लोग आ सकते हैं तो भीड़ जुटाकर ओवैसी क्या सरकार को मैसेज देना चाहते हैं या सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
फुरफुरा शरीफ में रैली
वक्फ कानून के खिलाफ एकसाथ कई मोर्चे पर विरोध चल रहा है. बंगाल के मुर्शिदाबाद में खून की होली वाली धमकी के बाद वक्फ कानून के विरोध में बड़ा प्रदर्शन भी होगा. 26 अप्रैल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में एक रैली होगी. इसे फुरफुरा शरीफ के पीरजादा ने भी अपना समर्थन दिया है. बंगाल के हुगली जिले में मौजूद फुरफुरा शरीफ को मुसलमानों का तीर्थ स्थल माना जाता है.
रैली का आयोजन कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में होगा. यहां प्रदर्शन की वजह है बंगाल की राजनीति से इस ग्राउंड का ऐतिहासिक संबंध. कहा जाता है ब्रिगेड परेड ग्राउंड जिसका बंगाल भी उसका और यहां से बंगाल के सभी मुसलमानों को वक्फ के खिलाफ एक मंच पर लाने की कोशिश होगी.
क्या आंदोलन का मतलब समझते हैं ये नेता?
भारत ने आजादी आंदोलन से ही हासिल की है. इसलिए ओवैसी और मदनी जैसे भड़काऊ नेताओं को इसका मर्म समझना चाहिए. महात्मा गांधी ने आजादी के समय लोगों को सड़क पर उतरकर आग लगाने और हिंसा फैलाने के लिये नहीं कहा था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जैसे ही हिंसा फैली, गांधी जी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था.
वर्ष 1922 में अंग्रेज सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा में गुस्साई भीड़ ने एक थाने में आग लगा दी थी जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गये थे. तब गांधी जी ने आंदोलन वापस ले लिया था,ताकि कहीं और हिंसा की घटना ना हो जाए.
मुर्शिदाबाद में हिंदुओं की हालत पर कवि दुष्यंत कुमार की एक रचना एकदम सटीक दिखती है. उन्होंने कहा था- 'यहां सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं... खुदा जाने यहां पर किस तरह जलसा हुआ होगा'. खून की होली वाली धमकी के बाद आपको भी यही लगेगा कि वक्फ पर बयानबाजी करने वालों ने अपने कान और अपनी जुबान दोनों बंद कर लिये हैं.