'तिरपाल दिया अनाज नहीं, पूरी रात नहीं सो पाए', मुर्शिदाबाद हिंसा की पीड़ितों की Horror स्टोरीज
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'तिरपाल दिया अनाज नहीं, पूरी रात नहीं सो पाए', मुर्शिदाबाद हिंसा की पीड़ितों की Horror स्टोरीज

DNA Analysis: आज सुबह से तमाम न्यूज़ चैनल्स पर इस बात की चर्चा चल रही है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेदिनीपुर तो गईं लेकिन मुर्शिदाबाद क्यों नहीं गईं? ये सवाल हर कोई पूछ रहा है. लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है. 

'तिरपाल दिया अनाज नहीं, पूरी रात नहीं सो पाए', मुर्शिदाबाद हिंसा की पीड़ितों की Horror स्टोरीज

DNA Analysis: आज सुबह से तमाम न्यूज़ चैनल्स पर इस बात की चर्चा चल रही है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेदिनीपुर तो गईं लेकिन मुर्शिदाबाद क्यों नहीं गईं? ये सवाल हर कोई पूछ रहा है. लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है. आज DNA में आपको इस सवाल का जवाब मिलेगा. हम आपको बताएंगे कि ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद क्यों नहीं गईं.

ममता अगर मुर्शिदाबाद जातीं तो बेबी मंडल का सामना कैसे कर पातीं. जो कह रही हैं कि तिरपाल तो दे दिया खाने को अनाज नहीं दिया. ममता अगर मुर्शिदाबाद जातीं तो माधवी मंडल के डर का सामना कैसे कर पातीं, जो मालदा के शरणार्थी कैंप से लौटने के बाद कल पूरी रात सो नहीं पाईं. क्योंकि उनके दिमाग में कट्टरपंथियों की धमकी घूम रही थी कि बीएसएफ वाले चले जाएंगे तो काटकर फेंक देंगे. ममता अगर मुर्शिदाबाद जातीं तो जयंत पाल से कैसे आंख मिला पातीं जिनके घर पर एक-दो नहीं 100 पंछियों को कट्टरपंथियों ने जला दिया. सोचिए पंछियों को भी नहीं छोड़ा.

जिन लोगों की कहानी. जिन लोगों का दर्द मैं आपसे साझा कर रहा हूं. जानते हैं ये कौन लोग हैं. ये वही लोग हैं जिनके घर जलाए गए. ये वही लोग हैं जो कट्टरपंथियों के डर से अपना-अपना घर छोड़कर मालदा चले गए थे और एक स्कूल में बने शरणार्थी शिविर में रह रहे थे. लेकिन आज से स्कूल खुल गया और इन्हें वहां से वापस अपने घर जाने के लिए मजबूर कर दिया गया. जहां ये लोग नहीं जाना चाहते थे. क्योंकि इन्हें पता था कि फिर से कोई कट्टरपंथी आएगा, धमकाएगा और कहेगा- काटकर फेंक देंगे.

माधवी मंडल अपने बच्चे के साथ कल ही मालदा के रिलीफ कैंप से वापस अपने गांव पहुंचीं. जिस घर को एक एक ईंट जोड़कर इन्होंने बनाया था वो जला हुआ है. टूटा हुआ है. घर में एक दाना अनाज नहीं बचा है. कट्टरपंथियों ने सब जला दिया. बच्चा एक पाउच से पानी पी रहा है. ये घर तो लौट आई हैं. लेकिन इनके घर से कट्टरपंथियों का खौफ जाने का नाम नहीं ले रहा.

यही हाल कल्पना मंडल का भी है. जिंदगी भर जो कमाया कट्टरपंथियों ने जला दिया. घर में सिर्फ राख पड़ी है. कल्पना लौट तो आई हैं लेकिन बीते 24 घंटे से यहीं बैठी हैं. घर के बाहर। वो भी डर के साये में. इनके घर में जो अनाज रखे थे, उसमें आग लगा दी. कट्टरपंथियों ने शायद सोचा कि अगर आग से ये बच जाएं तो भूखे ही मर जाएं.

मुर्शिदाबाद को हिंदू शून्य बनाने की तैयारी थी
बीएसएफ चला जाएगा तो यहां रह नहीं पाएंगे. एक टोटो था उसको जला दिया. हिंदुओं के सोर्स ऑफ इनकम को खत्म कर दिया गया. कल्पना मंडल ने एक शब्द का इस्तेमाल किया - हिंदू शून्य. यानी मुर्शिदाबाद को हिंदू शून्य बनाने की तैयारी थी. यानी पूरे इलाके से हिंदुओं को मिटाने की साजिश थी. कितना खतरनाक माइंडसेट था दंगाइयों का. इसे महसूस कीजिए.

100 से ज्यादा पक्षियों को जिंदा जलाया
कट्टरपंथियों ने यहां सिर्फ इंसानों को ही निशाना नहीं बनाया बल्कि उन्होंने बेजुबानों को भी नहीं छोड़ा. जयंत पाल पक्षी पालते थे. इनके घर में 100 से ज्यादा पक्षी  थे. लेकिन कट्टरपंथियों की क्रूरता देखिए-उन्होंने पक्षियों को भी जिंदा जला दिया. जिसके निशान अभी तक पड़े हैं. इन तस्वीरों को देखकर आपकी रूह कांप रही होगी. सोचिए जयंत पाल पर इस वक्त क्या गुजर रही होगी?

 'ये दो तिरपाल क्या ये काफी हैं?'
ज़ी न्यूज़ की टीम को मुर्शिदाबाद के पीड़ित हिंदू. अपना समझकर सबकुछ बता रहे थे. सोचिए, उस घर को भी जलाने वाले थे. जहां गाय बंधी थी. लेकिन क्योंकि वहां गाय बंधी थी तो दंगाइयों ने उस घर में आग नहीं लगाई बल्कि गाय खोलकर अपने साथ ले गए. इतना सब होने के बाद भी. ममता बनर्जी की सरकार ने क्या किया. जब इन लोगों के पास रहने के लिए छत नहीं बची. ये जानते हुए भी इन्हें उसी डेथ चैंबर में जाने को मजबूर कर दिया. जब इनके पास खाने को दाना नहीं है तो इन्हें क्यों मालदा से जबरन वापस भेजा गया. प्रशासन ने इनके लिए क्या इंतजाम किया है. ये दो तिरपाल क्या ये काफी हैं?

मुर्शिदाबाद दंगे के बाद से लगातार हम आपको वहां की एक-एक तस्वीर दिखाते आ रहे हैं. हिंदू परिवार के हर घर में दर्द की अलग-अलग दास्तां हैं. हर गली में लोगों की चीख पुकार अभी तक गूंज रही है. मुर्शिदाबाद के हिंदुओं के लिए ये जगह अब जहन्नुम की तरह है. जिन लोगों को अपने रिश्तेदारों के घर पर शरण मिली तो वो शायद ही कभी लौटेंगे. लेकिन सोचिये उनका क्या होगा जिनके पास कोई और ठिकाना नहीं है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांता मजूमदार मुर्शिदाबाद पहुंचे
आज इन लोगों का दर्द बांटने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांता मजूमदार मुर्शिदाबाद पहुंचे. यहां के लोगों का दर्द सुना. यहां की स्थिति का जायजा लिया. हिंदुओं को सुरक्षा का भरोसा दिलाया. मुर्शिदाबाद से हमारी जमीनी पड़ताल जानने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि कट्टरपंथियों ने दंगा किस प्लान के तहत किया.

'क्या दोबारा से दंगा करने का प्लान है?'
अनाज जला दिया... क्या हिंदुओं को भूखा मारने का प्लान था. घर जला दिए.. क्या पूरे इलाके को हिंदू मुक्त बनाने का प्लान था. वापस लौटे हिंदुओं को धमका रहे हैं.क्या दोबारा से दंगा करने का प्लान है? इन सवालों का सामना करने की हिम्मत ममता बनर्जी कब दिखाएंगी. इस प्रश्न का उत्तर उनके अलावा और कोई नहीं दे सकता. अगर उन्होंने हिम्मत दिखाई होती तो आज मुर्शिदाबाद जातीं. मेदिनीपुर नहीं.  ममता बनर्जी आज पश्चिम मेदिनीपुर में हैं. 22 अप्रैल तक यानी कल भी वहीं होंगी. कल वहां उन्हें सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन करना है.

ममता मेदिनीपुर जा सकती हैं तो मुर्शिदाबाद क्यों नहीं?
सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन करना अच्छी बात है. लेकिन कट्टरपंथ की उस धधकती आग का क्या जिसमें कई हिंदुओं के घर जला दिए गए. सवाल है- अगर ममता मेदिनीपुर जा सकती हैं तो मुर्शिदाबाद क्यों नहीं? कोलकाता से महज 220 किमी की दूरी पर मुर्शिदाबाद है. ममता बनर्जी 5 घंटे का ये सफर तय क्यों नहीं कर पा रही हैं. चाहें तो पश्चिमी मेदिनीपुर से भी मुर्शिदाबाद जा सकती हैं. महज 250 किमी दूर है मुर्शिदाबाद और मुश्किल से 7 घंटे में वो वहां पहुंच सकती हैं.

ममता क्यों नहीं मुर्शिदाबाद जा रही हैं?
BSF मुर्शिदाबाद पहुंच गईं. बीजेपी के कई नेता मालदा से लेकर मुर्शिदाबाद पहुंच गए. जी मीडिया की टीम भी लगातार मालदा में मौजूद हैं लेकिन ममता क्यों नहीं वहां जा रही हैं? इसे अब समझने की जरूरत है.पश्चिम बंगाल में मार्च 2026 में चुनाव होने के अनुमान हैं. 2021 के विधानसभा चुनाव में 75 फिसदी मुसलमानों ने टीएमसी को वोट किया था और यही मुस्लिम वोटबैंक मुर्शिदाबाद में निर्णायक है. यहां 33 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. मुर्शिदाबाद में 22 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 14 मुस्लिम विधायक हैं और इन 14 में से 13 TMC विधायक हैं. शायद यही वजह है कि ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद की ओर मुड़कर देख भी नहीं रही हैं..क्योंकि हो सकता है उन्हें ये लग रहा हो कि कट्टरपंथियों का मनोबल जितना बढ़ा रहेगा..उनके वोट भी उतने ही ज्यादा बढ़ेंगे.

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