इस राज्य में मुसलमानों को गंभीर बीमारियां? महिलाओं पर पेट पालने की जिम्मेदारी, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
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इस राज्य में मुसलमानों को गंभीर बीमारियां? महिलाओं पर पेट पालने की जिम्मेदारी, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

Muslim Community: सरकारी योजनाओं में मुस्लिम परिवारों की भागीदारी पर भी बात हुई है. मुस्लिम समुदाय के लोग सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का कुछ हद तक लाभ उठा रहे हैं लेकिन उनकी साक्षरता दर अभी भी कम बनी हुई है. एक परिवार हर महीने एक बच्चे की पढ़ाई पर औसतन 800 रुपये खर्च करता है.

इस राज्य में मुसलमानों को गंभीर बीमारियां? महिलाओं पर पेट पालने की जिम्मेदारी, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

Telangana Muslim: मुस्लिम समाज में पारंपरिक रूप से महिलाओं की भूमिका पर खूब चर्चा होती है लेकिन बदलते समय के साथ अब वे आर्थिक रूप से भी परिवार का सहारा बनने लगी हैं. सरकार की तमाम योजनाओं और शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता ने भी मुस्लिम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया है. हालांकि आर्थिक चुनौतियों और स्वास्थ्य समस्याओं ने इस समुदाय के सामने नई चिंताएं भी खड़ी कर दी हैं. हाल ही में एक सर्वे आया है जिसमें तेलंगाना में मुस्लिम महिलाओं की एक बड़ी संख्या अब घर चलाने में योगदान दे रही है. खासतौर पर तब जब पुरुष सदस्य काम करने में असमर्थ होते हैं. साथ ही रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस समुदाय के लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और शिक्षा से जुड़ी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति

असल में हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन HHF द्वारा किए गए एक सर्वे में तेलंगाना की मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को लेकर अहम खुलासे हुए हैं. सर्वे के मुताबिक 39 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियों में योगदान दे रही हैं. खासतौर पर उन परिवारों में जहां पुरुष काम करने में असमर्थ हैं या बेरोजगार हैं वहां 90 प्रतिशत महिलाएं कमाने की भूमिका निभा रही हैं.

आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए

इस सर्वे में 3000 महिलाओं को शामिल किया गया था. यह सर्वे रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार 45 प्रतिशत महिलाओं को काम करने के लिए प्रोत्साहन मिला. लेकिन ज्यादातर महिलाओं ने घर से काम करने के विकल्प को प्राथमिकता दी. वहीं मुस्लिम पुरुषों में अधिकतर लोग ऑटो चालक, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, होटल और सड़क किनारे दुकानों में काम कर रहे हैं. हालांकि कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में उनकी भागीदारी कम है. लेकिन ऑनलाइन फ्रीलांसिंग और अस्थायी नौकरियां में उनकी रुचि बढ़ रही है.

गरीब तबके को विकास की जरूरत

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक HHF के ट्रस्टी मुजतबा हसन असकरी ने बताया कि हैदराबाद समेत पूरे तेलंगाना में मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके को विकास की जरूरत है न कि सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं की. तेलंगाना में मुस्लिम आबादी करीब 45 लाख है जिसमें से 30 35 प्रतिशत हैदराबाद में रहते हैं. इस सर्वे में पाया गया कि समुदाय के 70 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी मासिक आय 15000 रुपये से कम है और इन परिवारों में आमतौर पर एक ही कमाने वाला व्यक्ति होता है.

रिपोर्ट में गंभीर चिंताएं जाहिर

स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर भी रिपोर्ट में गंभीर चिंताएं जाहिर की गई हैं. तेलंगाना के मुस्लिम परिवारों में गैर संक्रामक बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. हर तीसरे घर में किसी न किसी को डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां हैं. इन परिवारों को हर महीने इलाज पर 2,000 से 8,000 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं खासकर युवा वर्ग में ओरल कैंसर के मामले अधिक पाए गए हैं. 2024 में HHF को 300 से अधिक कैंसर मरीजों की आर्थिक मदद के लिए अनुरोध मिले जिनमें 25 प्रतिशत मामले ओरल कैंसर के थे. फोटो सांकेतिक- AI

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