मुसलमानों का मताधिकार मुद्दा: सरकार, बीजेपी ने शिवसेना के बयान से पल्ला झाड़ा
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मुसलमानों का मताधिकार मुद्दा: सरकार, बीजेपी ने शिवसेना के बयान से पल्ला झाड़ा

सरकार और भाजपा ने सोमवार को मुसलमानों का वोट देने का अधिकार समाप्त करने की मांग संबंधी शिवसेना के विवादास्पद बयान से पल्ला झड़ते हुए कहा कि ऐसे विचार ‘अस्वीकार्य’ और संविधान के खिलाफ है क्योंकि धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

मुसलमानों का मताधिकार मुद्दा: सरकार, बीजेपी ने शिवसेना के बयान से पल्ला झाड़ा

नई दिल्ली : सरकार और भाजपा ने सोमवार को मुसलमानों का वोट देने का अधिकार समाप्त करने की मांग संबंधी शिवसेना के विवादास्पद बयान से पल्ला झड़ते हुए कहा कि ऐसे विचार ‘अस्वीकार्य’ और संविधान के खिलाफ है क्योंकि धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार संविधान के तहत सभी को समान रूप से मतदान का अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें कोई विभेद नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान के तहत सभी अधिकारों की सुरक्षा करने को प्रतिबद्ध है।

वेंकैया ने कहा कि किसी को वोट देने के अधिकार से वंचित करने का सुझाव, यहां तक कि चर्चा की दृष्टि से भी स्वीकार्य नहीं है। संविधान इसे स्वीकार नहीं करता है और भारत के लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि वोट देने का अधिकार सभी नागरिकों को प्रदान किया गया संवैधानिक अधिकार है जो सामाजिक एवं आर्थिक दर्जे से इतर है। उल्लेखनीय है कि शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कल मुसलमानों को वोट देने का अधिकार समाप्त करने की मांग की गई थी जिस पर विवाद उत्पन्न हो गया है। इसकी विभिन्न राजनीतिक दलों ने आलोचना करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और शिवसेना पर लोगों को बांटने और भावनाएं भड़काने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में एआईएमआईएम और ओवैसी बंधुओं की तुलना जहरीले सांप से की गई थी। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि हम सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा करने और उसे बरकरार रखने को प्रतिबद्ध हैं। सरकार संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। हम ऐसी कोई बात नहीं कहते। वेंकैया ने कहा कि मुसलमानों समेत अल्पसंख्यक किसी अन्य की तरह भारत के नागरिक हैं और किसी भी आधार पर किसी के साथ कोई विभेद नहीं किया जा सकता है। इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अस्पृश्यता समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने इसपर विस्तार से कुछ कहने से इंकार किया।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि यह मांग शिवसेना नेता संजय राउत के निजी विचार हैं और भाजपा इससे अपने आप को अलग करती है। उन्होंने कहा कि देश संविधान के तहत चलता है और इसमें सभी लोगों को समान अधिकार है। भाजपा नेता ने कहा कि देश संविधान के तहत चलता है और संपादकीय या टीवी कार्यक्रमों के माध्यम से नहीं चलता है। संविधान के तहत 18 वर्ष आयु पूरा करने वाले व्यक्ति को मतदान का अधिकार है। शर्मा ने कहा कि ओवैसी बंधु साम्प्रदायिक राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इसके लिए पूरे समुदाय का मताधिकार समाप्त कर दिया जाए। शिवसेना सांसद संजय राउत की मांग पर प्रहार करते हुए एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि भाजपा इस बयान से खुद को अलग नहीं कर सकती। उन्होंने उससे कार्रवाई करने की मांग की।

ओवैसी ने कहा कि अगर मुसलमानों को छोड़ भी दें, तब भी उन्हें किसी भारतीय का मताधिकार समाप्त करने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है। हैदराबाद के सांसद ने जानना चाहा, हिन्दुत्ववादी ताकतों के असल एजेंडे का अब पर्दाफाश हो गया है। उनकी विचारधारा घृणा को बढ़ावा देने की है। शिवसेना केवल भाजपा की सहयोगी ही नहीं है बल्कि वे सत्ता में साझेदार भी है। अब क्या सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) समान विचार रखती है? उन्होंने कहा कि वे इसे किसी का निजी विचार बताकर अपने आप को अलग नहीं कर सकते हैं और वे (राउत) कट्टरपंथी तत्व हैं। उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

मुसलमानों का मताधिकार समाप्त किये जाने के शिवसेना सांसद संजय राउत के विचारों की कड़ी आलोचना करते हुए माकपा ने आज कहा कि यह अत्यंत असंवैधानिक और गैर जरूरी है और पार्टी इसकी कड़ी आलोचना करती है। भाकपा ने कहा कि शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में व्यक्त राउत के विचार केवल समस्याओं को बढ़ायेंगे और ऐसे समय में ध्रुवीकरण को बढावा देंगे जब संघ परिवार के नेताओं द्वारा लोगों के दिमाग में जहर भरने का काम किया जा रहा है। पार्टी महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने एक बयान में कहा कि भाकपा का राष्ट्रीय सचिवालय शिवसेना नेता के बयान की कड़ी निंदा करता है। ऐसे बयान असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी पर संविधान का अनादर करने के लिए प्रहार करते हुए रेड्डी ने कहा कि विभिन्न मतों के लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद के काल में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में शिवसेना की ओर से धार्मिक आधार पर बात करना गैर जरूरी, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है।

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