Kanwar Yatra 2024: 'योगी सरकार में घुस गई हिटलर की आत्मा', ढाबों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश से भड़के ओवैसी
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Kanwar Yatra 2024: 'योगी सरकार में घुस गई हिटलर की आत्मा', ढाबों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश से भड़के ओवैसी

Muzaffarnagar Police on Kanwar Yatra 2024: कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों के बाहर मालिक- कर्मचारियों का नाम लिखने का यूपी पुलिस का आदेश ओवैसी और जावेद अख्तर को पसंद नहीं आया है. इससे दोनों का कौमी जमीर गुरुवार को जाग गया और वे योगी सरकार पर जमकर बरसे.

Kanwar Yatra 2024: 'योगी सरकार में घुस गई हिटलर की आत्मा', ढाबों पर मालिक का नाम लिखने के आदेश से भड़के ओवैसी

Asaduddin Owaisi and Javed Akhtar on Kanwar Yatra 2024: यूपी पुलिस की ओर से कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों और भोजनालयों पर उनके मालिकों का नाम प्रदर्शित करने का आदेश कई लोगों को रास नहीं आ रहा है. सपा और कांग्रेस ने तो इस आदेश पर विरोध जताया ही, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी इस होड़ में कूद पड़े. उन्होंने यूपी पुलिस के इस आदेश की आलोचना करते हुए सीएम योगी को चुनौती दी कि अगर उनमें साहस है तो वे इस बारे में एक लिखित आदेश जारी करें. ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना की और उन्हें चुनौती दी कि यदि उनमें साहस है तो वह एक लिखित आदेश जारी करें.

अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रही यूपी सरकार- ओवैसी

हैदराबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ओवैसी ने कहा, 'हम यूपी पुलिस के आदेश की निंदा करते हैं क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जो अस्पृश्यता के बारे में बात करता है. ऐसा करके यूपी सरकार अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रही है. इस तरह का आदेश कि लोग अपना धर्म व्यक्त करें, यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (आजीविका का अधिकार) का भी उल्लंघन है.

ओवैसी ने आरोप लगाया, 'जब से उत्तर प्रदेश सरकार ने ये आदेश जारी किया है, तब से मुजफ्फरनगर में सभी ढाबों (दुकानों) से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है उस राजमार्ग पर बड़े और प्रसिद्ध रेस्तरां हैं, आप उनके बारे में कुछ क्यों नहीं कह रहे हैं?'

यूपी सरकार में घुस गई है हिटलर की आत्मा

सीएम योगी पर बरसते हुए ओवैसी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे उनमें हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई है. क्या आप एक यात्रा को इतना महत्व देंगे कि दूसरों की आजीविका बर्बाद कर देंगे. क्या आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे? कहां हैं संविधान? मुख्यमंत्री योगी को चुनौती देते हुए AIMIM प्रमुख ने कहा, मैं योगी आदित्यनाथ को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें साहस है तो इस बारे में लिखित आदेश जारी करें.' 

मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश पर बॉलीवुड पटकथा लेखक जावेद अख्तर का 'कौमी' जमीर भी जाग गया. उन्होंने भी योगी सरकार पर अपनी भड़ास निकाली और कहा कि नाजी जर्मनी में ऐसी चीजें होती हैं. जावेद अख्तर ने एक्स पर लिखा, 'मुजफ्फरनगर पुलिस ने निर्देश दिए हैं कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानें, रेस्तरां और यहां तक ​​कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए. क्यों? नाजी जर्मनी में, वे विशेष दुकानों और घरों पर केवल एक निशान बनाते थे.' 

धोखाधड़ी के धंधे पर लग सकेगी लगाम?

बताते चलें कि मुजफ्फरनगर से लेकर शामली, मेरठ, बागपत और गाजियाबाद से होकर लाखों कांवड़िये गंगाजल लेकर दिल्ली, पश्चिमी यूपी, राजस्थान, पंजाब जाते हैं. वे जलपान के लिए रास्ते में पड़ने वाले ढाबों पर रुकते हैं. कांवड़ लिए होने की वजह से वे चूंकि पूरी तरह शास्त्रीय नियमों का पालन करते हैं, इसलिए वे मुस्लिमों के ढाबों पर खाने- पीने से बचते हैं. इसे देखते हुए इन जिलों में काफी सारे मुस्लिम दुकानदारों ने ट्रिक निकालते हुए अपनी दुकानों के नाम वैष्णो ढाबा, पंजाबी ढाबा, जैसे हिंदू नाम रख लिए. इन नामों के भुलावे में कांवड़िये समेत आम हिंदू वहां पर भोजन आदि कर लेते हैं, लेकिन जब उन्हें इस धोखाधड़ी का पता चलता है तो वे खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. 

लोगों की इस तरह की लगातार आ रही शिकायतों को देखते हुए यूपी पुलिस ने गुरुवार को आदेश जारी करके सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम 'स्वेच्छा से प्रदर्शित' करने का आग्रह किया है. पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह आदेश किसी धर्म विशेष के लिए नहीं बल्कि सबके लिए है और इसका इरादा धार्मिक भेदभाव पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल सुविधा प्रदान करना है.

आदेश पर पुलिस ने क्या कहा?

मुज़फ्फरनगर पुलिस ने कहा, 'श्रावण कांवड़ यात्रा के दौरान, पश्चिमी यूपी के जरिए पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़िए हरिद्वार से जल इकट्ठा करते हैं और मुजफ्फरनगर जिले से होकर गुजरते हैं. श्रावण के इस पवित्र महीने में कई लोग खासकर कांवड़िए कई चीजों को खाने से परहेज करते हैं. ऐसे में दुकानदार का नाम स्पष्ट होने पर वे अपने पसंद का आहार खाने या न खाने के लिए स्वतंत्र होंगे. 

बताते चलें कि पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए, जहां कांवड़ मार्ग पर खाने- पीने की चीजें बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों का नाम इस तरह रखा कि इससे कांवड़ियों के बीच में भ्रम पैदा हुआ और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई. ऐसी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए, कांवड़ मार्ग पर होटल, ढाबों और खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करें. 

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