मुजफ्फरनगर दंगा: पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा विधायकों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
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मुजफ्फरनगर दंगा: पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा विधायकों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट

एसआईटी ने आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत कथित तौर पर घृणा भाषण देने के संबंध में मुकदमा चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी और सरकार ने इसकी अनुमति दे दी.

आरोपियों से 19 जनवरी 2018 को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है.

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश की एक स्थानीय अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, भाजपा विधायक संगीत सोम और उमेश मलिक के खिलाफ साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं. इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की राज्य सरकार की इजाजत के बाद अदालत ने वारंट जारी किए हैं. विशेष जांच समिति (एसआईटी) के अधिकारियों के अनुसार अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट मधु गुप्ता ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को ताजा गैर जमानती वारंट जारी करते हुए आरोपियों से 19 जनवरी 2018 को अदालत में पेश होने के लिए कहा.

  1. मुजफ्फरनगर में साल 2013 के अगस्त और सितंबर महीने में सांप्रदायिक झड़प हुई थी. 
  2. इस हिंसा में 60 लोगों की मौत हो गई थी.
  3. इस हिंसा में 40,000 से ज्यादा विस्थापित हो गए थे.

एसआईटी ने आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत कथित तौर पर घृणा भाषण देने के संबंध में मुकदमा चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी और सरकार ने इसकी अनुमति दे दी. आरोपियों पर आरोप है कि इन लोगों ने एक महापंचायत में हिस्सा लिया था और अगस्त 2013 के अंतिम सप्ताह में भाषण के जरिए हिंसा भड़काई.

इसके अलावा आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है. मुजफ्फरनगर और इसके आसपास के इलाकों में साल 2013 के अगस्त और सितंबर महीने में सांप्रदायिक झड़प हुई थी. इस हिंसा में 60 लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 से ज्यादा विस्थापित हो गए थे.

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