#myroadmyright: मुंबई के कई इलाकों में मौजूद है 'सरगम सोसाइटी', अवैध पार्किंग का बोलबाला
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#myroadmyright: मुंबई के कई इलाकों में मौजूद है 'सरगम सोसाइटी', अवैध पार्किंग का बोलबाला

पिछले हफ्ते चेम्बूर की सरगम सोसाइटी में आग लगी थी उसको बुझाने में देरी होने की सबसे बड़ी वजह बताया गया था कि सड़क के दोनों तरफ अवैध पार्किंग की गई थी. हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद अब ज़ी न्यूज़ ने पूरे देश में एक मुहीम छेड़ी है जिसका नाम है मेरी सड़क, मेरा अधिकार.

ज़ी न्यूज़ की मुहीम "मेरी सड़क मेरा अधिकार" (#myroadmyright ) के एक मरीन ड्राइव का ज़ायज़ा लिया...

अंकुर त्यागी. मुंबई: ज़ी न्यूज़ की मुहीम "मेरी सड़क मेरा अधिकार" (#myroadmyright ) के तहत हमने मुंबई ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महंगे इलाको में से एक मरीन ड्राइव का ज़ायज़ा लिया. इसी इलाके में मौजूद वानखेड़े स्टेडियम के पास मौजूद है B रोड. अगर किसी दुर्घटनावश इस इलाके में आगे लग जाए या फिर कोई इमरजेंसी हो जाए तो इस अवैध पार्किंग का आलम कुछ ऐसा है कि फायर ब्रिगेड या फिर एम्बुलेंस वक्त पर नही पहुंच सकती.

इस इलाके में B रोड की तरफ अंदर आ रही एक फायर ब्रिगेड की वेन को पहले तो अंदर घुसने में ही बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योकि रोड की शुरुआत में ही गाड़ियां गलत तरीके से पार्क की गई थीं. मोड़ के दोनों तरफ गाड़ियों को इस तरह से खड़ा किया गया था कि जब तक ड्राइवर आकर उन गाड़ियों को नहीं हटाता तब तक कोई भी इमरजेंसी व्हीकल अंदर नही आ सकता है. जब तक ड्राइवर आकर गाड़ी हटाएगा उसमे ही 15 से 20 मिनट का वक्त बेकार चला जाएगा. यही हाल कमोबेश A रोड और C रोड का भी है.

स्थानीय निवासी बिपिन परपानी ने ज़ी न्यूज़ को बताया "ये हाल तो दिन का है, इससे ज़्यादा बुरे हालात तो रात में हो जाते हैं जब इस इलाके में रहने वाले लोग वापस अपने घरों में आ जाते हैं. लोग चाहते हैं कि जल्दी ही कोई कारगर नीति बनाई जाए. लोगों का कहना है कि महज 1 किमी की ही दूरी पर दो-दो स्टेडियम ब्रेबॉन और वानखेड़े स्टेडियम को बना दिया गया है जिसका कोई मतलब नहीं है जबकि इनकी जगह पर बच्चो के खेलने की व्यवस्था की जा सकती थी या फिर इलाके में सबसे ज़्यादा भयावह सड़क पर ही डबल या ट्रिपल पार्किंग की समस्या से निजात पाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

अशोक भाई मीनावाला इसी मरीन पर मौजूद गंगा विहार सोसाइटी में रहते हैं. ये बिल्डिंग इनके दादाजी ने 1942 में खरीदी थी. अशोक भाई इस परिवार की तीसरी पीढ़ी से है. अशोक भाई के मुताबिक "मरीन ड्राइव पर मौजूद ये सोसाइटीज करीब 1930 में बनाई गई थी, तब जो फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट था उसकी गाड़ियां भी छोटी हुआ करती थीं. लेकिन बीते 80 से ज़्यादा सालो में सबकुछ बदल गया है. मरीन ड्राइव की बिल्डिंग्स में रहने वाले एक एक परिवार के पास कम से कम 2 से 4 गाड़ियां होती है, सभी को बिल्डिंग के गेराज या पार्किंग में खड़ा नहीं किया जा सकता है इसीलिए लोग बाहर सड़क पर ही पार्क कर देते हैं लेकिन इससे यकीनन तौर पर क्या किसी इमरजेंसी में एम्बुलेंस या फिर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां इन गलियों में घुस पाएंगी या नहीं, ये हम नहीं बता सकते है" 

ऐसा नहीं है कि अवैध पार्किंग की वजह से दिक्क्त सिर्फ रिहायशी इलाको में ही हो रही है बल्कि मुंबई के बाज़ारों में तो हालत और भी ख़राब हैं. मुम्बई के झावेरी बाजार का भी यही हाल है. हमारे आगे-आगे चल रही फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने अपना सफर गोल चौक से शुरू किया और उसे झावेरी बाजार में मौजूद जामा मस्जिद तक जाना था जिसकी दूरी महज 500 मीटर से ज़्यादा नहीं है. जैसे ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी आगे बढ़ी वह तुरंत जाम में फस गई. इसकी मुख्य वजह था तीन लेन में बिछा हुआ अवैध पार्किंग का जाल. हालांकि, पुलिस ने इस इलाके की कई गलियों में वन-वे पार्किंग कर रखी है लेकिन इसके बावजूद भी लोग ट्रैफिक से बहुत परेशान हैं. इस रोड पर वैसे तो 4 लेन दी गई है लेकिन तीन लेन तो ऐसी है जिसमें सिर्फ अवैध पार्किंग ही जमा रहती है. इस समस्या की गहरायी को समझने के लिए हमने स्टॉप वाच भी शुरू करी थी ताकि इस बात का पता चल सके की महज 500 मीटर की दूरी तय करने में फायर ब्रिगेड की टीम को कितना वक्त लगता है. आपको ताज्जुब होगा ये जानकार की 500 मीटर की दूरी के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ी को करीब करीब आधा घंटा लग गया.  

इलाके के लोगों ने बताया, "अगर दिन के उजाले में यहां कोई आग लगती है या फिर करीब 3 बार आतंकवाद का दंश झेल चुका ये झावेरी बाज़ार में फिर कोई हमला होता है तो बचाव कार्य के लिए आने में एम्बुलेंस या फिर फायर ब्रिगेड की टीम को कितना वक्त लग जाएगा. और ऐसे में जनहानि कितनी ज़्यादा हो सकती है."  

चेम्बूर की सरगम सोसाइटी में लगी आग में एक ही फ्लोर के 5 लोगों की मौत हो गई थी. भले ही ही इस आग लगने की अलग वजह रही हो लेकिन 5 लोगों की मौत कैसे हो गई? इस सवाल का जवाब आपको इसी कॉलोनी के कई लोगों के पास से मिल जाएगा. दरअसल, चेम्बूर के जिस इलाके में ये सोसाइटी मौजूद है वो थोड़ा अंदर है. इस सोसाइटी तक आने के लिए अलग दो रस्ते हैं. जब तक ये घटना नहीं घटी थी या कहा जाए कि जिस दिन ये घटना घटी तब तक इस सड़क के दोनों तरफ लोकल इलाके के लोग अपने 4 व्हीलर की पार्किंग कर दिया करते थे. जिस दिन आग लगी उस दिन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सोसाइटी की बिल्डिंग तक वक्त पर पहुंच ही नहीं सकी क्योकि दोनों तरफ पार्किंग की गई थी.

आलम ये था कि जब तक गाड़ियों के मालिकों को बुलाया जाता और वो अपनी गाड़ी निकालते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. स्थानीय लोगों ने उन गाड़ियों के शीशे तोड़कर कार के स्टेरिंग को संभाला और फिर सबने मिलकर अपने हाथों से गाड़िया उठाईं जिससे फायर ब्रिगेड की लंबी गाड़ियों के लिए जगह बन सकी. लेकिन वो जगह इतनी भी नहीं थी कि फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी के बाद दूसरी गाडी अंदर आ जा सके . 

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सोसाइटी और इसके आसपास के लोगों ने बताया, "बिल्डिंग की तरफ आने वाली सड़क दो तरफ खुलती है, लेकिन उस दिन दोनों तरफ छोटे छोटे टेम्पो पार्क थे, जिससे फायर ब्रिगेड की गाड़ी को टर्न लेने में ही काफी वक्त निकल गया. फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आने में 1 घंटे की देरी हुई जिसकी सबसे बड़ी वजह सड़क पर दोनों तरफ अवैध तरीके से पार्क की गई गाड़ियां थीं. अगर अब भी कोई ठोस सरकारी पॉलिसी नहीं बनायी जाती है तो हमें एक बार फिर किसी एक बड़े हादसे के होने का इंतज़ार रहेगा. "

चेम्बूर में जिस सरगम सोसाइटी में आग लगी थी उसको बुझाने में देरी होने की सबसे बड़ी वजह बताया गया था की सड़क के दोनों तरफ अवैध पार्किंग की गई थी. हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद अब ज़ी न्यूज़ ने पूरे देश में एक मुहीम छेड़ी है जिसका नाम है मेरी सड़क, मेरा अधिकार. इसमें ज़ी न्यूज़ देश के उस हर कोने में जाएगा जहा इस तरह से लोग अपनी सुविधा के लिए अपनी गाड़ियां तो पार्क कर देते हैं लेकिन इस बात के बारे में ज़रा भी नहीं सोचते है कि अगर कोई इमरजेंसी कॉल आया तो उस रोड पर एम्बुलेंस या फिर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां कैसे जाएंगे.

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