नागालैंड के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो इस बार यह चुनाव काफी अहम है. इस बार चुनावी मैदान में 5 महिलाएं भी हैं, यह पहला मौका है जब राज्य में विधानसभा चुनावों में महिलाएं खड़ी है. उम्मीदें जताई जा रही हैं कि जो पिछले 54 सालों में नहीं हुआ वह इस बार हो सकता है.
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नई दिल्ली: नागालैंड में पिछले दिनों हुए मतदानों के नतीजे आज आने वाले हैं. इन चुनावों में बीजेपी,कांग्रेस से ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है. नागालैंड के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो इस बार यह चुनाव काफी अहम है. इस बार चुनावी मैदान में 5 महिलाएं भी हैं, यह पहला मौका है जब राज्य में विधानसभा चुनावों में महिलाएं खड़ी है. उम्मीदें जताई जा रही हैं कि जो पिछले 54 सालों में नहीं हुआ वह इस बार हो सकता है.
1977 में चुनीं गई थी महिला सांसद
1 दिसंबर 1963 को नगालैंड भारतीय संघ का 16वां राज्य बना और 1964 में पहली बार नागालैंड विधानसभा का गठन किया गया. यहां का राजनीतिक इतिहास कहता है कि पिछले 54 साल के इतिहास में प्रदेश में कोई महिला विधायक नहीं बनी है. नगालैंड विधानसभा चुनाव के इतिहास में अब तक नामांकन दाखिल करने वाली 30 महिला उम्मीदवारों में से किसी को भी जीत हासिल नहीं हुई है. साल 1977 में यूडीपी नेता रानों शाइज़ा नगालैंड से लोकसभा चुनाव जीतने वाली एकमात्र महिला सांसद हैं.
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साक्षरता में राज्य अव्वल
नागालैंड राज्य की साक्षरता दर ऊंची है और यहां दूसरे राज्यों के मुकाबले नागा महिलाओं को समाज और परिवार में ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं. इसके बावजूद राजनीति में महिलाओं को दूर रखा जाता है. नगालैंड में दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएं उपलब्ध हैं. कोलकाता से दीमापुर को जोड़ने के लिए हफ्ते में तीन दिन इंडियन एयरलाइंस की उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं.
MLA बनने की दौ़ड़ में पांच महिला उम्मीदवार
इस बार के चुनाव में भाजपा ने एक, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी की एक, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने दो और एक महिला उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव मैदान में अपने ताल ठोक रहे हैं.