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नागपुर: कोरोना (Coronavirus) महामारी के बीच ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी के चलते अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में लोगों को यह बताने के लिए कि ऑक्सीजन के लिए पेड़ (Trees) कितने जरूरी हैं, नागपुर (Nagpur) के एक अस्पताल ने अनोखा तरीका निकाला है. अस्पताल कोरोना के मरीजों को छुट्टी देने से पहले बाकायदा लिखित में यह बताता है कि उन्होंने इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन कंज्यूम की और फिर उन्हें कम से कम 10 पौधे लगाने की सलाह दी जाती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में एक कोरोना पीड़ित (Corona Positive) महिला को डिस्चार्ज करने से पहले नागपुर के ‘गेट वेल’ अस्पताल ने उन्हें बताया कि उन्होंने इलाज के दौरान 1,44,000 लीटर ऑक्सीजन कंज्यूम की और इसलिए अब उन्हें 10 पौधे लगाने चाहिए. 41 वर्षीय महिला को तबीयत बिगड़ने के बाद करीब एक हफ्ते आईसीयू (ICU) में रखा गया था. महिला ने हॉस्पिटल के इस कदम पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं पौधे लगाऊंगी और इस साल 10 से ज्यादा पौधों का संरक्षण भी करूंगी.
महिला मरीज ने आगे कहा, ‘कोरोना से मुझे अहसास दिलाया है कि ऑक्सीजन कितनी कीमती है, जिसे प्रकृति हमें मुफ्त में प्रदान करती है. अब हमारी बारी है कि हम प्रकृति के बारे में सोचें’. अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर राजेश स्वर्णकार (Dr. Rajesh Swarnakar) ने कहा कि लोग तब तक ऑक्सीजन की कीमत नहीं समझते जब तक कि उसकी बहुत ज्यादा जरूरत न हो और उसकी किल्लत न हो. दुर्भाग्यवश आज देश ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा है, ऐसे में हमने लोगों को समझाने का प्रयास किया है कि पर्यावरण संरक्षण कितना आवश्यक है.
डॉक्टर स्वर्णकार ने आगे कहा कि हम सिर्फ प्रकृति का दोहन करते आए हैं. हमने कभी उसे कुछ वापस देने का प्रयास नहीं किया, लेकिन आज ऐसा करना बेहद जरूरी है. इसलिए हम अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले कोरोना मरीजों को बताते हैं कि उन्होंने कुल कितनी ऑक्सीजन कंज्यूम की और भविष्य में सबको मुफ्त ऑक्सीजन मिलती रहे इसके लिए उन्हें कम से कम 10 पौधे लगाने चाहिए.
इस अनोखे आइडिया के बारे में डॉक्टर स्वर्णकार ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक प्रिस्क्रिपशन देखा था, जिसमें डॉक्टर ने मरीज से रिकवर होने के बाद पौधे लगाने की बात कही थी. इसे देखने के बाद उन्हें मरीजों को वृक्षारोपण की सलाह देने के साथ-साथ उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इलाज के दौरान कितनी ऑक्सीजन कंज्यूम की. डॉक्टर स्वर्णकार ने कहा कि अस्पताल में मरीजों को ऑक्सीजन के लिए भुगतान करना पड़ता है, इसलिए जब उन्हें पता चलेगा कि उन्होंने कितनी ऑक्सीजन कंज्यूम की तो उन्हें उसकी असल कीमत का अहसास होगा.
डॉक्टर राजेश स्वर्णकार ने बताया कि किसी जमाने पर नागपुर ग्रीन सिटी कहा जाता था, लेकिन अब हालात चिंताजनक हो गई है. उन्होंने कहा, 'मेरा बचपन नीरी कैंपस में बीता है, क्योंकि मेरे पिताजी वैज्ञानिक थे. उस समय ये शहर पूरी तरह हराभरा था पर अब ऐसा नहीं है'. डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में जब ऑक्सीजन की कमी की आलोचना हो रही है, तो लोगों को सोचना चाहिए कि हमें मुफ्त में ऑक्सीजन प्रदान करने वाली प्रकृति के साथ हम अब तक कैसा व्यवहार करते आ रहे हैं.
आराम के दौरान हर एडल्ट व्यक्ति प्रति मिनट 7-8 लीटर ऑक्सीजन लेता और छोड़ता है. मनुष्य प्रति दिन 500 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन इस्तेमाल करता है, कसरत के समय ये आंकड़ा और भी ज्यादा हो जाता है. कोरोना के दौरान यदि किसी को ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है, तो उसे ज्यादा O2 की जरूरत होती है. इसी तरह यदि हाई नेजल फ्लो ऑक्सीजन या वेंटीलेटर इस्तेमाल किया जाता है, तो O2 की आवश्यकता 90 लीटर/मिनट तक बढ़ जाती है.