नमाज और योग... योग का धर्म क्या है? क्या योग से इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा?
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नमाज और योग... योग का धर्म क्या है? क्या योग से इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा?

Yoga Day: आज पूरे भारत समेत दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में योग दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. दुनियाभर से योग दिवस मनाने की शानदार तस्वीरें आ रही हैं.

नमाज और योग... योग का धर्म क्या है? क्या योग से इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा?

International Yoga Day 2025: योग कितना जरूरी है आज ये दुनिया भी मान रही है. आज दुनिया के 191 देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस धरती से निकलकर योग दुनियाभर में फैला है उसी हिंदुस्तान में योग को लेकर विवाद छिड़ गया है. विवाद ये कि कुछ लोग, योग के खिलाफ झंडा उठा रहे हैं.

योग का असली 'धर्म' क्या है?
क्या योग सनातन धर्म का हिस्सा है, या एक शारीरिक-मानसिक साधना है?
क्या मुसलमान योग कर सकते हैं या फिर ये इस्लाम में हराम है?

विवाद कहां से पैदा हुआ?

आज हम योग के जुड़े इन्हीं सवालों को डीकोड करेंगे. योग को लेकर चल रहे इस विवाद का विश्लेषण करेंगे. लेकिन सबसे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की उत्पत्ति कहां से हुई.

आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने एक खास पहल की है. सभी सरकारी दफ्तरों में रोजाना 'Y-BREAK' यानी योग ब्रेक की घोषणा की गई है. 'Y-BREAK' एक छोटा योग सत्र है जो खास तौर पर आफिस या डेस्क पर काम करने वालों के लिए बनाया गया है।

Y-BREAK के पीछे उद्देश्य ये है कि काम के बीच में हल्के योगासन और प्राणायाम कर के कर्मचारी रिफ्रेश हो जाएं.. साथ ही उनका मानसिक और शारिरिक स्वास्थ भी ठीक रहेगा..

लेकिन ये Y BREAK विपक्ष को अच्छा नहीं लगा.. विपक्ष ने इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक मुद्दा बना दिया..

समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एस टी हसन ने Y BREAK पर कहा की योग तो घर में भी हो सकता है.. नमाज के लिए ब्रेक मांगें तो बहुत तकलीफ होती है..
एसपी विधायक अबू आजमी ने कहा कि योग जरूरी नहीं है, नमाज जरूरी है. मुसलमानों के लिए नमाज छोड़ना पाप है.

योग ब्रेक मिलने पर नमाज ब्रेक की मांग, ये डिमांड कहां से आई. सरकारी कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें योग ब्रेक दिया जा रहा है. लेकिन विपक्ष इसे मजहब से क्यों जोड़ रहा है. तो इसका जवाब योग को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक पुराने फरमान से समझिये.

AIMPLB ने योग को गैर इस्लामिक बताया

सूर्य नमस्कार करना इस्लाम में हराम- AIMPLB

AIMPLB ने 2015 में योग दिवस से पहले मुस्लिम संस्थानों को चिट्ठी लिखकर ये बताया था की योग गैर इस्लामिक है.. इस्लाम में सूर्य नमस्कार करने की मनाही है.. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या योग गैर इस्लामिक है. अब हम इसी सवाल का विश्लेषण करते हैं.

आज से एक साल पहले यानी 21 जून 2025 को मुस्लिम बहुल देशों से आई इन तस्वीरों को देखिए. सउदी अरब, UAE, कुवैत, इंडोनेशिया. ये सभी मुस्लिम देश हैं और ये सभी देश योग दिवस मनाते हैं. इन देशों में हुए योग शिविरों में हर धर्म के लोग आते हैं. योगासन और प्राणायाम करते हैं. इन देशों में योग लोगों के जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है. आज भी उन देशों से योग शिविरों की तस्वीरें भी सामने आएंगी.

साथ ही भारत के मुसलमान भी बड़े पैमाने पर योग करेंगे. देशभर के कई मदरसों में योग दिवस का आयोजन होने वाला है. मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने तो 15 हजार वक़्फ़ कमेटियों को एडवाइजरी जारी करके योग दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने को कहा है. लेकिन सवाल तो ये है कि जब दुनिया के बड़े मुस्लिम देश योग को अपना रहे हैं. देश में भी बड़े पैमाने पर मुसलमान योग कर रहे हैं तो ये नरेटिव कहां से आया की योग एंटी इस्लामिक है. इसके पीछे का तर्क क्या है?

योग को एंटी इस्लामिक बताने के पीछे चंद इस्लामिक धर्मगुरुओं के दो तर्क हैं.
पहला - सूर्य नमस्कार..
और दूसरा - प्राणायाम के वक्त ओम का उच्चारण

एक तरफ तो ये तर्क है. लेकिन इसी के साथ साथ एक तर्क तो ये है कि योग इस्लाम का हिस्सा हमेशा से रहा है.. अगर इतिहास पर भी गौर किया जाए तो आप पायेंगे कि मिस्र् में 'योग' को 'इस्लामी व्यायाम' करार दिया गया था और 'नमाज' को 'योग' और 'योग' को 'नमाज' बताया गया था.

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'युजा' से हुई है जिसका मतलब है 'एकजुटता'. ठीक इसी तरह नमाज जिसे 'सलात' कहा जाता है, इसकी उत्पत्ति हुई है अरबी शब्द 'सिला/विसाल' से. इसका भी मतलब 'एकजुटता' से ही है.

योग में मन को शांत कर ध्यान लगाया जाता है और नमाज के दौरान मन को शांत रखा जाता है और ध्यान लगाया जाता है.
योग और नमाज दोनों संकल्प से शुरू होता है. नमाज और योग में एक समान बात कम से कम ऊर्जा खर्च कर इससे ज्यादा से ज्यादा शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति को प्राप्त करना है.

अगर आपने किसी को नमाज पढ़ते देखा है या कभी खुद नमाज पढ़ी है तो आप जानते होंगे की इसमें कई शारीरिक क्रियाएं होती हैं. योग को लेकर सभी के अपने अपने तर्क है. एक बार फिर योग दिवस पर ये बहस छिड़ गई है. इस बहस  का केंद्र उत्तर प्रदेश है तो यहां पर आपको यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान सुनना चाहिए जिसमें वो सूर्य नमस्कार और नमाज में समानताएं बता रहे हैं. कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि योग स्वास्थ्य से जुड़ा है. ये हमारी जीवनशैली यानी लाइफस्टाइल से जुड़ा है. इसे धर्म के चश्मे से देखना बेइमानी होगी.

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