मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना (Saamana) में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangna Ranaut) को वाई कैटेगरी सुरक्षा दिए जाने जैसे मुद्दों पर बीजेपी (BJP) को घेरा है. सामना में लिखा है, मुंबई को पहले बदनाम करो, फिर उसे खोखला करो. मुंबई को पूरी तरह से कंगाल करके एक दिन इसे महाराष्ट्र से तोड़ने की करतूत नए सिरे से रची जा रही है. यह अब साफ हो चुका है. 


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लोगों द्वारा चुनी गई महाराष्ट्र की सरकार के अधिकारों और आजादी पर हमला करने का एक भी मौका महाराष्ट्र के भाजपा वाले और केंद्र सरकार नहीं छोड़ती. अमदाबाद, गुड़गांव, लखनऊ, वाराणसी, रांची, हैदराबाद, बेंगलुरु और भोपाल जैसे शहरों के बारे में अगर कोई अपमानजनक बयान देता तो केंद्र ने उसे वाई कैटेगरी सुरक्षा की पालकी दी होती क्या? यह महाराष्ट्र के भाजपाई स्पष्ट करें. देवेंद्र फडणवीस, प्रधानमंत्री मोदी या गृहमंत्री शाह का नाम ‘अरे-तुरे’ से उच्चार करने वाले टीनपाट चैनलों के मालिकों को भाजपा वालों ने ऐसा समर्थन दिया होता क्या? 


शिवसेना ने अलग राह पकड़ी है...
आज जिस प्रकार से सारे भाजपा वाले महाराष्ट्र द्रोहियों के साथ खड़े हैं, उसी विश्वास से हमारी सीमा में घुसे चीनी बंदरों के बारे में हिम्मत दिखाई होती तो लद्दाख तथा अरुणाचल की सीमा पर देश की बेइज्जती ना हुई होती. देश की इज्जत तार-तार न हो, इसके लिए राष्ट्रभक्तों ने संयम रखा हुआ है, बस इतना ही. आज शिवसेना ने अलग राह पकड़ी है, तब भी ‘प्रधानमंत्री’ के रूप में मोदी का अपमान कदापि सहन नहीं करेगी. मोदी आज एक व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के रूप में एक ‘संस्था’ हैं. ऐसा ही हर राज्य के मुख्यमंत्रियों के संदर्भ में और राज्यों की प्रांतीय अस्मिता के बारे में भी कहा जा सकता है.


मुंबई माता का अपमान करने वालों के नाम इतिहास में 'डामर' से लिखे जाएंगे
जिस अपशब्द को लेकर खूब बयानबाजी हुई, सामना में उस शब्द को भी स्थान दिया गया है और लिखा है. राजनीतिक एजेंडे को सामने लाने के लिए देशद्रोही पत्रकार और सुपारीबाज कलाकारों के राजद्रोह का समर्थन करना भी ‘हरामखोरी’ ही है. मतलब माटी से बेईमानी ही है. जो लोग महाराष्ट्र के बेईमानों के साथ खड़े हैं, उन्हें 106 शहीदों की बद्दुआ तो लगेगी ही, लेकिन राज्य की 11 करोड़ जनता भी उन्हें माफ नहीं करेगी! ‘मुंबई’ माता का अपमान करने वालों के नाम महाराष्ट्र के इतिहास में डामर से लिखे जाएंगे. बेईमान कहीं के! ये लोग अब राष्ट्रभक्ति का तुनतुना न बजाएं, बस इतनी ही अपेक्षा है!


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