पीएम मोदी जापानी प्रधानमंत्री को जिस मस्जिद में लेकर गए, जानें उसकी खासियत
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पीएम मोदी जापानी प्रधानमंत्री को जिस मस्जिद में लेकर गए, जानें उसकी खासियत

अहमदाबाद में 1573 में प्रसिद्ध सीदी सैय्यद मस्जिद का निर्माण हुआ. गुजरात सल्‍तनत (1407-1573) के आखिरी सुल्‍तान शम्‍स-उद-दीन मुजफ्फर शाह तृतीय के दौर में इस मस्जिद का निर्माण हुआ.

अहमदाबाद की पहचान मानी जाने वाली इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी का बेहतरीन काम हुआ है. इसीलिए इसे सिदी सैयद की जाली भी कहते हैं.

बुलेट ट्रेन की आधा‍रशिला रखने वाले जापानी पीएम शिंजो आबे को पीएम नरेंद्र मोदी अहमदाबाद की प्रसिद्ध सीदी सैय्यद मस्जिद लेकर गए. इस दौरान वह खुद जापानी पीएम के गाइड बने. दो प्रधानमंत्रियों के इस मस्जिद में जाने के साथ ही इसके बारे में दिलचस्‍पी उठना स्‍वाभाविक है. दरअसल यह मस्जिद 500 साल पुरानी है. इस संदर्भ में सीदी सैय्यद मस्जिद से जुड़ी 5 अहम बातों पर डालें एक नजर:

  1. गुजरात सल्‍तनत के दौर में 1573 में इसका निर्माण हुआ
  2. ये मस्जिद भारतीय-अरबी नक्काशी का बेजोड़ नमूना है
  3. IIM,अहमदाबाद का लोगो बनाने की प्रेरणा इसी की जाली से मिली

1. अहमदाबाद में 1573 में प्रसिद्ध सीदी सैय्यद मस्जिद का निर्माण हुआ. गुजरात सल्‍तनत (1407-1573) के आखिरी सुल्‍तान शम्‍स-उद-दीन मुजफ्फर शाह तृतीय के दौर में इस मस्जिद का निर्माण हुआ. उसी साल गुजरात सल्‍तनत का पतन हो गया. 

2. मुजफ्फर शाह के जनरल सुलतान अहमद शाह बिलाल झाजर खान के सहयोगी सीदी सैय्यद ने इस मस्जिद को बनवाया था. सीदी सैय्यद यमन से गुजरात आया था. वो गरीबों के लिए काम करता था. इसी सीदी सैय्यद ने 1572 में ये मस्जिद बनवानी शुरू की थी. 1573 में ये मस्जिद बनकर तैयार हो गई. इसी दौरान मुगल शासक अकबर ने मुजफ्फर शाह को गद्दी से हटाकर गुजरात सल्तनत पर कब्जा कर लिया. इतिहासकारों का मानना है कि मस्जिद के पूरा होने से पहले ही गुजरात सल्तनत बर्बाद हो गई थी. इसीलिए इसको देखकर लगता है कि कुछ काम अभी बाकी है. 

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3. अहमदाबाद की पहचान मानी जाने वाली इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी का बेहतरीन काम हुआ है. इसीलिए इसे सीदी सैयद की जाली भी कहते हैं. अहमदाबाद के ठीक बीचोंबीच लाल दरवाजा के पास बनी ये मस्जिद भारतीय-अरबी नक्काशी का बेजोड़ नमूना है. इसकी दीवारों पर मार्बल लगाए गए हैं.

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4. इस मस्जिद में करीब 10 जालियां हैं, जिनमें 7 जालियों में पत्थर पर वृक्ष एंव पत्तियों की नक्काशी की गई है और तीन जालियां खुली हुई हैं. 12 स्तंभों पर टिकी मस्जिद के द्वार पर दो मीनार और अंदर 15 गुंबद बने हुए हैं. मस्जिद के पास ही सीदी सैय्यद की मजार बनी हुई है.

5. आईआईएम, अहमदाबाद का लोगो बनाने की प्रेरणा इसी मस्जिद की जाली से मिली थी. कहा जाता है कि जब अंग्रेज़ भारत में काबिज हो गए तो उन्होंने इस मस्जिद की एक जाली निकाल ली थी और उसे ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखवा दिया था. अंग्रेज़ इस मस्जिद का इस्तेमाल ऑफिस के तौर पर करते थे.

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