3000 साल पहले के तमिल कवि की लाइनें जिनका 'युद्ध नहीं बुद्ध' वाले भाषण में PM ने किया जिक्र
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3000 साल पहले के तमिल कवि की लाइनें जिनका 'युद्ध नहीं बुद्ध' वाले भाषण में PM ने किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राचीन संगम युग के महान तमिल कवि और दार्शनिक कनियन पुंगुंदरनार के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का शुक्रवार को स्मरण किया.

3000 साल पहले के तमिल कवि की लाइनें जिनका 'युद्ध नहीं बुद्ध' वाले भाषण में PM ने किया जिक्र

संयुक्त राष्ट्र:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के मंच से कहा, "भारत हजारों वर्ष पुरानी महान संस्कृति है, जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है. जनभागीदारी से जनकल्याण हमारा प्राण तत्व है. हमने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं. इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है, साथ-साथ आक्रोश की भी है. आतंकवाद किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का जन्म हुआ."

विश्व के सामने मौजूद तमाम गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल भाषा को दुनिया की सबसे प्राचीनतम प्राचीनतम भाषाओं में शुमार करते हुए संगम युग के महान तमिल कवि और दार्शनिक कनियन पुंगुंदरनार के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का स्मरण किया. तमिल कवि कनियन पुंगुदरनार के प्रसिद्ध उद्धरण ''याधुम ऊरे यावरुम केलिर'' का हवाला देते हुए कहा कि सीमा से इतर संबंधों की यह समझ भारत की विशिष्टता है. तमिल कवि की इस उक्ति का आशय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से है.

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स्वामी विवेकानंद के संदेश का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “150 साल पहले, महान आध्यात्मिक गुरु, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में धर्म संसद के दौरान ''शांति एवं सौहार्द का संदेश दिया था, मतभेद का नहीं.''

 

बयां की भारत के विकास की कहानी
पीएम मोदी ने भारत के विकास व इसकी उपलब्धियों को दुनिया के लिए प्रेरणा के रूप में पेश किया. इस दौरान मोदी ने कहा कि भारत की विकास गाथा पूरी दुनिया के गरीबों में विश्वास पैदा करने और दुनिया को एक नई आशा देने का काम करती है. उन्होंने कहा, "विकास के प्रयास हमारे हैं, लेकिन इसका फल सभी के लिए है, संपूर्ण विश्व के लिए है."

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मोदी ने कहा, "हमारा प्रयास सारे संसार के लिए है. जब मैं उन देशों के बारे में सोचता हूं कि जो भारत की तरह ही प्रयास कर रहे हैं, तो हमारा विश्वास और दृढ़ हो जाता है" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष पूरा विश्व महत्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है, सत्य और अहिंसा का उनका संदेश आज भी विश्व के लिए प्रासंगिक है.

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उन्होंने कहा, "इस वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव हुआ, दुनिया के सबसे लोकतंत्र के लोगों ने सबसे ज्यादा वोट देकर मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा बड़ा जनादेश दिया."

उन्होंने कहा, "दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान भारत में संपन्न हुआ. एक विकासशील देश ने सिर्फ 5 वर्ष में 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय तैयार कर अपने लोगों को दिया. अगले 5 साल में हम जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने वाले हैं. भारत के दूर-दराज के इलाकों में सवा लाख किलोमीटर सड़कें हम बनाने जा रहे हैं."

प्रधानमंत्री ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र महासभा के 14वें सत्र को 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संबोधित करना, मेरे लिए गौरव का अवसर है. आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं तो इस वक्त हम अपने देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराने का बड़ा अभियान चला रहे हैं. साल 2020 तक हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और घरों का इंतजाम कर लेंगे. हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं."

(इनपुट: एजेंसियां)

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