नासिक कुंभ का भव्‍य आगाज, एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्‍मीद
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नासिक कुंभ का भव्‍य आगाज, एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्‍मीद

धरती पर होने वाले सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक, सिंहस्थ कुंभ मेला मंगलवार से शुरू हो गया है, जिसके लिए बड़ी संख्या में साधु और श्रद्धालु शहर पहुंच रहे हैं। लाखों श्रद्धालु अब तक यहां पहुंच चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस महाकुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। आज से शुरू हुआ यह महाकुंभ 25 सितंबर तक चलेगा।

नासिक कुंभ का भव्‍य आगाज, एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्‍मीद

नासिक : धरती पर होने वाले सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक, सिंहस्थ कुंभ मेला मंगलवार से शुरू हो गया है, जिसके लिए बड़ी संख्या में साधु और श्रद्धालु शहर पहुंच रहे हैं। लाखों श्रद्धालु अब तक यहां पहुंच चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस महाकुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। आज से शुरू हुआ यह महाकुंभ 25 सितंबर तक चलेगा।

कुंभ के दौरान श्रद्धालु गोदावरी नदी में पवित्र स्नान करते हैं। इस भव्य आयोजन की शुरुआत ध्वजारोहण समारोह के साथ आज सुबह छह बजकर 16 मिनट पर नासिक शहर के रामकुंड और मंदिरों के समीपवर्ती शहर त्रयम्बेकश्वर के कुश्वर्त तीर्थ में हुई। समारोह का आयोजन नासिक गंगा गोदावरी पंचकोटी पुरोहित संघ और त्रयम्बकेश्वर पुरोहित संघ कर रहे हैं।

नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर पुरोहित संघ के अध्यक्ष सतीश शुक्ला और त्रयम्बकेश्वर पुरोहित संघ के अध्यक्ष जयंत शिखर ने बताया कि हर 12 वर्ष के अंतराल पर हिंदू कैलेन्डर के अनुसार, माघ माह में जब सूर्य और बृहस्पति एक साथ सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तब नासिक-त्रयम्बकेश्वर मे कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

कुंभ मेला से पहले नासिक और त्रयम्बकेश्वर में कल शाम भव्य ‘शोभा यात्रा’ निकाली गई जिसमें विभिन्न अखाड़ों के महंतों और साधुओं ने हिस्सा लिया। नासिक में स्थानीय निकाय ने 315 एकड़ से अधिक बड़े स्थान पर साधुओं के रहने के लिए ‘साधू ग्राम’ तैयार किया है। यहां तंबू लगाए गए हैं और शौचालयों, 24 घंटे पेयजल, एलपीजी सिलिंडरों और बिजली की व्यवस्था की गई है।

शाही स्नान नासिक में 29 अगस्त, 13 सितंबर और 18 सितंबर को होगा जबकि त्रयम्बकेश्वर में 29 अगस्त, 13 सितंबर और 25 सितंबर को होगा।

नासिक साधू ग्राम में वैष्णव संप्रदाय, निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़ों के साधू रुकेंगे। त्रयम्बकेश्वर साधू ग्राम में नागा साधुओं सहित शैव संप्रदाय के साधू ठहरेंगे। समझा जाता है कि 18वीं सदी के आखिर में कुंभ मेला के दौरान दोनों संप्रदायों के साधुओं के बीच टकराव में हजारों साधुओं की जान चली गई थी जिसके बाद पेशवा शासकों ने दोनों संप्रदायों के अनुयाइयों की अलग अलग व्यवस्था करने का आदेश दिया था। नासिक के कलेक्टर दीपेन्द्र सिंह कुशवाह ने कहा कि प्रशासन कुंभ मेला के लिए पूरी तरह तैयार है। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने इस अवसर पर 3,000 विशेष बसें मुहैया कराई हैं। सुरक्षा के लिए पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है, खास कर त्रयम्बकेश्वर से निकलने वाली गोदावरी नदी के तट पर और दोनों शहरों में किसी भी तरह की भगदड़ से बचने के लिए। पिछली बार कुंभ मेला में भगदड़ हुई थी। ‘परवानी’ दिवसों में शाही स्नान होता है और तब करीब 15,000 पुलिस कर्मी तैनात रहेंगे। शहर के पुलिस आयुक्त एस जगन्नाथन और पुलिस अधीक्षक संजय मोहिते सहित शीर्ष सरकारी अधिकारी सुरक्षा इंतजामों पर करीबी नजर रख रहे हैं।

नदी की ओर श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए नयी सड़कें बनाई गई हैं। रामकुंड में भीड़ से बचने के लिए अतिरिक्त ‘घाट’ बनाए गए हैं। शहर की पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। पूरे शहर में 1,700 लाउड स्पीकर लगाए गए हैं और इन्हें नियंत्रण कक्ष में लगी सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली से संबद्ध किया जाएगा। एमएसआरटीसी द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों में सामुदायिक रेडियो की व्यवस्था होगी जिससे श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक निर्देशों की घोषणा की जाएगी। कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), नासिक और उज्जैन में किया जाता है। हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत कुंभ को लेकर संघर्ष हुआ था जिसके बाद इन चार स्थानों में अमृत कुंभ से कुछ बूंदें गिर गई थीं। धारणा है कि कुंभ के दौरान इन स्थानों में नदियों में पवित्र स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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