सुपरटेक के एमडी को बड़ा झटका, तीन साल कैद; गिरफ्तारी वारंट जारी
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सुपरटेक के एमडी को बड़ा झटका, तीन साल कैद; गिरफ्तारी वारंट जारी

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने घर खरीददार का पैसा वापस नहीं करने पर सुपरटेक (Supertech) के एमडी को तीन साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही आयोग ने सुपरटेक के एमडी मोहित अरोड़ा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने घर खरीददार को समय पर कब्जा नहीं देने पर सुपरटेक (Supertech) के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया है और खरीददार का पैसा वापस नहीं करने के लिए कंपनी के एमडी को तीन साल की कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही आयोग ने सुपरटेक के एमडी मोहित अरोड़ा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है.

  1. सुपरटेक की एमडी को 3 साल की सजा
  2. आयोग ने दिया 7 दिनों का समय
  3. पैसे नहीं देने पर जाना होगा जेल

आयोग ने दिया 7 दिनों का समय

हालांकि, इसके साथ ही राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने इस सजा से बचने के लिए सुपरटेक (Supertech) के एमडी को एक मौका भी दिया है. आयोग ने निर्देश दिया कि कंपनी अगर पैसा वापस करने में विफल रहती है तो 7 दिनों के बाद आदेश लागू किया जाएगा.

पैसे नहीं देने पर जाना होगा जेल

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने कहा कि निर्देश का पालन न करने और अपनी प्रतिबद्धता का अनादर करने को ध्यान में रखकर हम कंपनी के प्रबंध निदेशक को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा-27 के तहत तीन साल कैद की सजा सुनाते हैं. साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी करते हैं. यदि सुपरटेक एक सप्ताह के भीतर इस आयोग के सामने रकम जमा कर देता है तो वारंट का पालन नहीं किया जाएगा.

इस मामले में आयोग ने सुनाया फैसला

आयोग ने यह आदेश रिटायर्ड ब्रिगेडियर कंवल बत्रा और उनकी बेटी रूही बत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया. बिल्डर की तरफ से दी जाने वाली रकम ब्रिगेडियर बत्रा और उनकी बेटी को ही दी जाएगी. आयोग के पीठासीन सदस्य सी. विश्वनाथ और जस्टिस राम सूरत राम मौर्य ने फैसले में कहा कि हम जानते हैं कि आप (सुपरटेक) खरीददार की रकम का कैसे भुगतान करेंगे.

सुपरटेक ने नहीं दिया था विला

रिटायर्ड ब्रिगेडियर कंवल बत्रा और उनकी बेटी रूही बत्रा ने सुपरटेक के प्रोजेक्ट में एक विला खरीदा था. सुपरटेक बिल्डर की ओर से दिसंबर 2013 में लगभग 1.03 करोड़ रुपये की इस विला का ऑफर दिया गया था. बिल्डर ने विला का कब्जा अगस्त 2014 में देने का वादा किया था, लेकिन परियोजना के लिए मंजूरी नहीं मिलने की वजह से सुपरटेक ने विला का कब्जा नहीं दिया और ना ही उसने ब्याज के साथ पैसे वापस करने के आयोग के 2019 के फैसले का पालन किया.

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