नेशनल हेराल्ड केस : कोर्ट में पेश हुए सोनिया-राहुल; मिली बिना शर्त जमानत, PM पर साधा निशाना
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नेशनल हेराल्ड केस : कोर्ट में पेश हुए सोनिया-राहुल; मिली बिना शर्त जमानत, PM पर साधा निशाना

करीब 10 मिनट की सुनवाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में शनिवार को एक स्थानीय अदालत से बिना शर्त जमानत मिल गई। स्थानीय अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप इस चरण में ‘गंभीर प्रकृति’ के नहीं हैं और ऐसी कोई आशंका नहीं है कि वे भाग जाएंगे।

नेशनल हेराल्ड केस : कोर्ट में पेश हुए सोनिया-राहुल; मिली बिना शर्त जमानत, PM पर साधा निशाना

नई दिल्ली : करीब 10 मिनट की सुनवाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में शनिवार को एक स्थानीय अदालत से बिना शर्त जमानत मिल गई। स्थानीय अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप इस चरण में ‘गंभीर प्रकृति’ के नहीं हैं और ऐसी कोई आशंका नहीं है कि वे भाग जाएंगे।

दोनों नेता अपनी पार्टी के निष्क्रिय हो चुके अखबार नेशनल हेराल्ड को एक नई कंपनी के रूप में सृजित किए जाने को लेकर उसके शेयरों के हस्तांतरण के बारे में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर एक निजी आपराधिक शिकायत का सामना कर रहे हैं। दोनों नेता काफी संख्या में आला कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट लवलीन की अदालत में दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर पेश हुए।

इस दौरान पार्टी के जानेमाने कानूनविद् और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार के अलावा अभिषेक मनु सिंघवी मौजूद थे। उनके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, शीला दीक्षित, अंबिका सोनी, अहमद पटेल और मीरा कुमार भी मौजूद थे।

जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, स्वामी ने सोनिया, राहुल और अन्य आरोपियों की ओर से दाखिल की गई जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा कि वे प्रभावशाली लोग हैं और यदि उन्हें छोड़ दिया गया तो वे देश से भाग सकते हैं। बहरहाल, अदालत ने कहा, ‘आरोपी प्रतिष्ठित लोग हैं जिनकी राजनीतिक जड़े काफी गहरी हैं और ऐसी कोई आशंका नहीं है कि वे भाग जाएंगे।’ इस पर स्वामी ने कहा कि ऐसी सूरत में एक शर्त लगाई जानी चाहिए कि आरोपियों को अदालत की इजाजत के बगैर विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी और उन्हें अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करना होगा।

स्वामी की इस मांग पर न्यायाधीश ने तपाक से कहा, ‘कांग्रेस एक पुरानी पार्टी है।’ इसके बाद उन्होंने आदेश लिखवाया। न्यायाधीश ने कहा, ‘इस चरण में बगैर सबूत के आरोपों को गंभीर प्रकृति का नहीं कहा जा सकता। समाज में भी उनकी जड़े काफी गहरी हैं, लिहाजा आरोपियों को जमानत दी जा सकती है।’ सोनिया, राहुल तथा तीन अन्य आरोपी मोतीलाल बोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे ने जमानत मांगी जो 50-50 हजार रपए के निजी बांड और एक-एक मुचलके को भरने पर दे दी गई।

एक आरोपी सैम पित्रोदा मौजूद नहीं थे। उनकी ओर से बताया गया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। व्यक्तिगत तौर पर पेशी से छूट की उनकी अर्जी मंजूर कर ली गई। सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से पेश हुए सिब्बल, सिंघवी और अन्य वकीलों ने दलील दी कि इस बात की कोई आशंका नहीं है कि उनके मुवक्किल देश छोड़कर भाग जाएंगे, क्योंकि वे पहली तारीख पर ही अदालत के समक्ष हाजिर हुए हैं।

स्वामी ने बाद में दावा किया कि उन्होंने जमानत का विरोध नहीं किया था, बल्कि अदालत को बताया था कि सोनिया, राहुल के विदेश जाने पर शर्तें लगा दी जाए क्योंकि उन्हें ‘देश छोड़कर भागने की आदत है।’ मजिस्ट्रेट ने सुनवाई की अगली तारीख 20 फरवरी तय कर दी। अगली तारीख पर आरोपियों को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है।

कार्यवाही कुछ ही मिनटों में खत्म हो गई जिसके बाद सोनिया और राहुल मुस्कुराते हुए अदालत से बाहर निकले। बाद में कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सोनिया, राहुल और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर आरोप लगाया कि वह उनके खिलाफ ‘झूठे आरोप’ लगा रहे हैं और विपक्ष को ‘जानबूझकर निशाना बनाने के लिए’ सरकारी एजेंसियों का ‘पूरा इस्तेमाल’ कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘हम लड़ाई जारी रखेंगे और हम झुकने वाले नहीं हैं।’

अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ प्रियंका गांधी भी पहले ही अदालत में दाखिल हो चुकी थीं। मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेता जहां बैठे हुए थे, वहीं प्रियंका को खड़ा देखा गया। कार्यवाही पूरी होने के बाद उन्हें अपनी मां और भाई से बातचीत करते हुए बाहर आते देखा गया।

सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीश ने सभी आरोपियों की हाजिरी बनाई। सोनिया एक कत्थई रंग की साड़ी में थी जबकि राहुल को सफेद कुर्ते, हाफ जैकेट और एक नीले पायजामे में देखा गया। सोनिया के जमानती पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बने जबकि राहुल की जमानती उनकी बहन प्रियंका वाड्रा बनी। बहरहाल, स्वामी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सात दिसंबर के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद फर्नांडिस के जबकि बी के हरिप्रसाद वोरा के और अजय माकन दुबे के जमानती बने। आरोपियों को आठ दिसंबर को अदालत में पेश होने का समन भेजा गया था। अदालत ने अब स्वामी से कहा है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर अपनी शिकायत के समर्थन में विश्वसनीय दस्तावेज पेश करें। अगली सुनवाई में अदालत बहस की सुनवाई कर सकती है।

इस मामले में अदालत ने आठ दिसंबर को सम्मन जारी किए थे। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें आरोपी के रूप में उपस्थित होने के लिये जारी सम्मन खारिज करने से इंकार कर दिया था। सिंघवी ने पत्रकारों से कहा, ‘यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वामी ने यात्रा पाबंदी समेत शर्तें लगाने की मांग की लेकिन अदालत ने बिना शर्त जमानत प्रदान की।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे अदालत के आदेश से रत्ती भर असंतुष्ट होने का कोई कारण नहीं दिखता है।’

स्वामी ने कांग्रेस की इन आलोचनाओं को ठुकरा दिया कि वह भाजपा की शह पर राजनीतिक बदले का काम कर रहे हैं। स्वामी ने कहा कि इस मामले में साक्ष्य को देखें और बदले की कार्रवाई को नहीं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे कई मित्र हैं। मैं जनसंघी हूं। मैं भाजपा नेताओं को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। मैंने प्रधानमंत्री से कोई समय नहीं मांगा और न ही इस मामले के बारे में कोई चर्चा की।’

सोनिया, राहुल, बोरा (कांग्रेस कोषाध्यक्ष), फर्नाडिस (कांग्रेस महासचिव), दूबे और पित्रोदा को आईपीसी की धारा 403 (बेईमानी से सम्पत्ति की हेराफेरी), धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत सम्मन भेजे गए थे।

निचली अदालत ने पिछले वर्ष 26 जून को इनसे कहा था कि वे 7 अगस्त 2014 को उपस्थित हों लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह अगस्त 2014 को इस आदेश पर रोक लगा दी थी। अदालत ने 15 दिसंबर 2014 को याचिकाओं के अंतिम निपटारा होने तक सम्मन पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने इस वर्ष सात दिसंबर को स्थगन आदेश हटा लिया और शिकायत एवं सम्मन रद्द करने की इनकी याचिका खारिज कर दी। स्वामी ने इन पर निष्क्रिय हो चुके नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व को हासिल करने में धोखाधड़ी करने और कोष की हेराफेरी करने का आरोप लगाया था।

ये सभी 2010 में बनायी गयी कंपनी यंग इंडिया लि के निदेशक हैं और इसने ही नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लि के ‘कर्ज’ ले लिए थे।

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