Nagaur weird case: ये शख्स साल में सोता है 300 दिन, नींद में ही खाता है खाना; दुर्लभ बीमारी से है पीड़ित
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Nagaur weird case: ये शख्स साल में सोता है 300 दिन, नींद में ही खाता है खाना; दुर्लभ बीमारी से है पीड़ित

Purakharam resident of nagaur sleeps 300 days in a year: दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे पुरखाराम की मां और पत्नी के उम्मीद है कि जल्द ही वो ठीक हो जाएंगे. वो पुरखाराम के लिए चिंतित तो हैं लेकिन उनका मानना है कि वो ठीक हो जाएंगे. 

फाइल फोटो

जयपुर: राजस्थान के नागौर (Nagaur) में एक शख्स के दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) से पीड़ित होने का मामला सामने आया है. यहां के भादवा गांव के एक निवासी साल में करीब 300 दिन सोते रहते हैं. इस बीमारी से पीड़ित शख्स का नाम पुरखाराम है जिन्हें सोने के बाद उठाना मुश्किल हो जाता है. घरवाले नींद में ही उन्हें खाना खिलाते हैं. पुरखाराम कहते हैं कि उन्हें दूसरी कोई परेशानी नहीं है. बस नींद ही नींद आती है. वो तो जागना चाहते हैं पर शरीर साथ नहीं देता है. 

  1. राजस्थान के नागौर में अनूठा मामला 
  2. साल में 300 दिन सोता रहता है शख्स
  3. दुर्लभ बीमारी बनी मुसीबत की वजह

स्थानीय लोग बुलाते हैं 'कुंभकरण'

पुरखाराम की उम्र करीब 42 साल है. इस दुर्लभ बीमारी की वजह से वो लगातार कई दिनों तक सोते रहते हैं. पुरखाराम के परिजनों का कहना है एक बार सोने के बाद वो आराम से सोते रहते हैं और 20 से 25 दिन तक नहीं उठना तो एक सामान्य सी बात है. ऐसे में कोई जरूरी काम आ जाए तो और मुश्किल क्योंकि ऐसे में पुरखाराम को जगाने के लिए परिजनों को अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ती है. पड़ोस के गावों से लेकर दूर-दूर तक पुरखाराम को लोग 'कुंभकरण' के नाम से पुकारने लगे हैं. 

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न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरखाराम को इस बीमारी की शुरुआत तब हुई थी जब वो करीब 18 साल के थे. शुरुआत में वो 5 से 7 दिनों तक सोते थे. तब भी डॉक्टरों को दिखाया गया था लेकिन उनकी बीमारी का इलाज नहीं मिल सका.

धीरे-धीरे पुरखाराम के सोने का समय बढ़ता गया. डॉक्टर अब उन्हें एक दुर्लभ बीमारी हायपरसोम्निया (Hypersomnia) से पीड़ित बताते हैं. मेडिकल साइंस के जानकारों का मानना है कि ऐसा नहीं है कि वो कभी ठीक नहीं होंगे, वो प्रॉपर ट्रीटमेंट के साथ ठीक हो सकते हैं. 

परिजनों ने नहीं खोई उम्मीद

डॉक्टर भले ही इसे दुर्लभ बीमारी बता रहे हों. लेकिन उनके परिजनों की उम्मीद कायम है. पुरखाराम की पत्नी लिछमी देवी का कहना है कि गांव में अपनी एक दुकान भी है, लेकिन वो इस बीमारी की वजह से अक्सर बंद रहती है. वो दुकान में काम करते-करते सोने लगते हैं. वहीं बूढ़ी मां ने बताया कि अभी तक तो चलो खेतीबाड़ी से गुजारा हो रहा है, लेकिन आगे क्या होगा ये सवाल उनकी चिंता की वजह बन चुका है. दरअसल अब उन्हें पोते और पोतियों की पढ़ाई-लिखाई और भविष्य की चिंता सता रही है. 

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