NCP नेता ने PM मोदी को लेकर कहे 'अपशब्द', बाद में कहा- 'मेरी मंशा ऐसी नहीं थी'
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NCP नेता ने PM मोदी को लेकर कहे 'अपशब्द', बाद में कहा- 'मेरी मंशा ऐसी नहीं थी'

एनसीपी नेता मेमन ने कहा, 'पीएम मोदी जी की परिस्थिति ऐसी है कि जहां वे अपने कट्टर हिंदूवाद से थोड़ा हटते हैं, वहां वे पकड़े जाते हैं. कभी विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से तो कभी आरएसएस की तरफ से.' 

पीएम मोदी पर बयान देने के दौरान फिसली एनसीपी नेता माजिद मेमन की जुबान.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता माजिद मेमन ने तंज कसा है. हालांकि पीएम मोदी पर तंज कसने के दौरान एनसीपी नेता शब्दों की मर्यादा को भूल गए और एक ऐसी कहावत का प्रयोग कर गए जिसके शब्द प्रधानमंत्री के लिए अशोभनीय हैं. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक माजिद मेमन ने कहा, 'पीएम मोदी बोहरा समाज के पास गए. इस विचार से कि शायद मुसलमानों को रिझा लिया जाए, लेकिन न वह इधर के रहेंगे और न ही उधर के. यह ...वाली बात हो जाती है. अब प्रधानमंत्री जी पर निर्भर है कि वह किस तरफ ज्यादा झुकते हैं. वे यहां भी न रहे और वहां भी न रहें. कहीं उनकी ऐसी परिस्थिति न हो जाए और लगता है कि उनकी परिस्थिति ऐसी हो गई है.'

एनसीपी नेता मेमन ने आगे कहा- 'पीएम मोदी जी की परिस्थिति ऐसी है कि जहां वे अपने कट्टर हिंदूवाद से थोड़ा हटते हैं, वहां वे पकड़े जाते हैं. कभी विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से तो कभी आरएसएस की तरफ से.' इस बयान पर विवाद बढ़ने के बाद माजिद मेमन ने जी न्यूज से बातचीत में कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. उन्होंने इस कहावत का प्रयोग अपशब्द बोलने के लिहाज से नहीं किया था. हाल ही में कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने पीएम मोदी के लिए अपशब्द प्रयोग किए थे.

दाऊदी बोहरा समाज को व्यापार की शैली ने पहचान दिलाई : मोदी
मालूम हो कि इसी महीने की 14 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर में दाऊदी बोहरा समुदाय के अशरा मुबारक कार्यक्रम में कारोबार में गड़बड़ी करने वालों पर कटाक्ष किए, वहीं दाऊदी बोहरा समाज की ईमानदारी, सच्चाई और निष्ठा के साथ व्यापार किए जाने की सराहना की. साथ ही कहा कि इस समाज ने कानून का पालन करते हुए अपने कारोबार को आगे बढ़ाया और पहचान बनाई है. इंदौर की सैफी मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की मौजूदगी में दाऊदी बोहरा समाज के व्यापार करने के कौशल को सराहते हुए कहा, "दाऊदी बोहरा समाज ने अपनी ईमानदारी, नियम सम्मत कार्य और अनुशासन में रहते हुए व्यापार को किस तरह आगे बढ़ाया जाता है, इस मामले में आदर्श स्थापित किया है. यह समाज जहां-जहां बसा, उसने इन मूल्यों के आधार पर अपनी अलग पहचान बनाई."

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "कारोबारी और व्यापारी इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है, वह लोगों के लिए रोजगार पैदा करता है, इसलिए ऐसे कारोबारियों को जितना संभव हो प्रोत्साहन दिया जाए, यह सरकार दे रही है, यह हमारी प्राथमिकता है."

कारोबार की आड़ में चूना लगाकर देश से भाग जाने वाले कारोबारियों के नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने कहा, "यह भी सच है कि पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती हैं, हमारे बीच ऐसे लोग भी निकलते हैं जो छल को ही कारोबार मानते हैं. बीते चार वर्षो में सरकार यह साफ संदेश देने में सफल हुई है कि जो भी हो, वह नियमों के दायरे में होना चाहिए. सरकार द्वारा जीएसटी, ई-सॉलवेंसी, बैंक दीवालियापन कानून जैसे उठाए गए कई कदमों से ईमानदार कारोबारियों को प्रोत्साहन मिला है."

पीएम मोदी ने आगे कहा, "दाऊदी बोहरा समाज के धर्मगुरु के सहयोग से गुजरात में जलसंकट और कुपोषण को कम करने में सफलता पाई थी, यह समाज ऐसा है जो किसी को भूखे नहीं सोने देता. इतना ही नहीं, बोहरा समाज ने 11000 आवासों का निर्माण कर गरीबों को उपलब्ध कराए हैं, यह प्रशंसनीय कार्य है."

मोदी ने आगे कहा कि दाऊदी बोहरा समाज स्वास्थ्य व स्वच्छता के लिए विशेष तौर पर काम करता है, सरकार भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत योजना और सबको आवास योजना पर काम कर रही है. सरकार और समाज का काम एक ही दिशा में है.

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि इमाम हुसैन अमन और इंसाफ के लिए शहीद हो गए. उन्होंने अन्याय और अहंकार के विरुद्ध आवाज बुलंद की थी. उनकी सीख आज भी देश-दुनिया के लिए प्रासंगिक है. उनके पैगाम को बोहरा समाज ने जीवन में उतारा है. सबको साथ लेकर चलने की परंपरा को जीकर दिखाया है. दाऊदी बोहरा समाज की सोच देश और समाज को शक्ति प्रदान करती है.

दाऊदी बोहरा समुदाय के सैयदना 53वें धर्मगुरु हैं, उनका तीन साल बाद यह भारत का प्रवास है. यहां उनके 12 सितंबर से धार्मिक प्रवचन चल रहे हैं. सैयदना पहली बार इंदौर आए हैं, इससे पहले उनका सूरत में आना हुआ था. सैयदना के पिता अपने जीवनकाल में दो बार इंदौर आए थे.

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