यह फैसला ऐसे समय आया जब पत्रकारों के एक समूह ने पिछले साल 27 अक्तूबर को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने यह मांग की थी.
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) अब इस साल से सालाना आधार पर पत्रकारों के खिलाफ अपराध पर डेटा एकत्रित करेगा जिसमें हत्या , हत्या का प्रयास , हमला और धमकी जैसे अपराध शामिल हैं. गृह मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी.
प्रेस क्लब आफ इंडिया को भेजे पत्र में मंत्रालय ने कहा कि एनसीआरबी अब तक मासिक अपराध आंकड़ों के जरिये मीडियाकर्मियों पर हमलों से संबंधित डेटा एकत्रित करता रहा है जिसमें दर्ज मामले और गिरफ्तार व्यक्ति शामिल हैं. पीसीआई प्रमुख गौतम लाहिडी को भेजे पत्र में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी. यह फैसला ऐसे समय आया जब पत्रकारों के एक समूह ने पिछले साल 27 अक्तूबर को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने यह मांग की थी.
पीसीआई ने पैनल पनर्गठन में कुछ नामों को बाहर करने के आरोपों को खारिज किया
भारतीय प्रेस परिषद ( पीसीआई ) ने आज इन आरोपों को खारिज किया कि इसके अध्यक्ष ने पैनल का पुनर्गठन करते समय कुछ मीडिया संगठनों और उम्मीदवारों को बाहर रखने की प्रक्रिया अपनाई. इसने कहा कि अधिसूचित संगठनों द्वारा दिए गए नामों को लिया गया.
पीसीआई की प्रतिक्रिया आठ पत्रकार संगठनों के इस दावे के बाद आई है कि भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष ने पूर्व प्रक्रिया की अनदेखी की और कुछ मीडिया संगठनों तथा उम्मीदवारों को बाहर रखने की प्रक्रिया अपनाई. भारतीय प्रेस परिषद ने सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि नए पैनल में जगह पाने वाले सभी उम्मीदवारों के नाम संगठनों द्वारा दिए गए थे.
इसने अपने अध्यक्ष के खिलाफ आल इंडिया न्यूजपेपर एडिटर्स कान्फ्रेंस , इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन , इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी , वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन , हिन्दी समाचार पत्र सम्मेलन , नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स ( इंडिया ), आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन और प्रेस एसोसिएशन के आरोपों को ‘‘ पूरी तरह झूठा ’’ करार दिया.
(इनपुट - भाषा)