Neera Arya: वो वीरांगना.. जो कहलाई पहली महिला जासूस, देशभक्ति के लिए पति का किया कत्ल
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Neera Arya: वो वीरांगना.. जो कहलाई पहली महिला जासूस, देशभक्ति के लिए पति का किया कत्ल

Neera Arya biography: नीरा आर्या की कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं बल्कि बलिदान और सच्ची देशभक्ति की मिसाल है. जिस तरह से उन्होंने अपने कर्तव्य को पति से ऊपर रखा वह भारतीय इतिहास के पन्नों में अमिट रहेगा.

Neera Arya: वो वीरांगना.. जो कहलाई पहली महिला जासूस, देशभक्ति के लिए पति का किया कत्ल

First India Female Spy: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में तमाम वीरों और वीरांगनाओं का अमिट योगदान है. 1857 से लेकर 1947 तक आजादी की लड़ाई में गुमनाम हीरो सामने आए. इन्हीं में से एक थीं नीरा आर्या जिन्हें भारतीय इतिहास की पहली महिला जासूस माना जाता है. उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सुरक्षा में ऐसा बलिदान दिया जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. अब इसी साहसी महिला की जिंदगी पर बायोपिक बनाई जा रही है जिसे कन्नड़ डायरेक्टर रूपा अय्यर निर्देशित करेंगी और खुद अभिनय भी करेंगी. फिल्म का लेखन नेशनल अवॉर्ड विनर वरुण गौतम कर रहे हैं.

आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजीमेंट में 

असल में नीरा आर्या का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा कस्बे में हुआ था. वे आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजीमेंट में शामिल थीं और उनका भाई भी उसी फौज का हिस्सा था. उनकी शादी ब्रिटिश सरकार के सीआईडी इंस्पेक्टर जयरंजन दास से हुई थी. जो अंग्रेजों के लिए नेताजी की जासूसी कर रहा था. जब नीरा को पता चला कि उनके पति नेताजी की हत्या की साजिश कर रहे हैं तो उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिए अपने ही पति की हत्या कर दी.

जेल में उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं

इस घटना के बाद नीरा को काला पानी की सजा दी गई. जेल में उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं. एक किताब First Lady Spy Of INA के मुताबिक जेलर ने नीरा को प्रताड़ित करते हुए उनके स्तन तक काट दिए थे, लेकिन उन्होंने नेताजी या आज़ादी के आंदोलन के बारे में कुछ नहीं बताया. वे कहती थीं कि नेताजी तो मेरे दिल में हैं. उनकी कहानी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है.

फूल बेचकर गुजारा करती रहीं

चौंकाने वाली बात यह है कि आजादी के बाद न तो उन्हें कोई सम्मान मिला न पहचान. नीरा आर्या हैदराबाद के फलकनुमा इलाके में फूल बेचकर गुजारा करती रहीं. एक छोटी झोपड़ी में जीवन बिता रही थीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक उसे सरकार ने यह कहकर तोड़ दिया कि वह सरकारी जमीन पर है. इस वीरांगना को न तो रहने की जगह मिली न ही पेट भरने को खाना. 26 जुलाई 1998 को वे बेहद गरीबी और गुमनामी में इस दुनिया से विदा हो गईं.

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