SC/ST एक्ट: बदलाव के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नई बेंच का होगा गठन
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SC/ST एक्ट: बदलाव के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नई बेंच का होगा गठन

अब इसकी सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन होगा क्योंकि वर्तमान बेंच में जज जस्टिस सीकरी मार्च में रिटायर हो रहे हैं.

SC/ST एक्ट:  बदलाव के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में नई बेंच का होगा गठन

नई दिल्‍ली: SC/ST एक्ट में सरकार की ओर से किये गए बदलाव के खिलाफ दायर पुरानी याचिका और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के ख़िलाफ़ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए जजों की नई बेंच का गठन होगा. सरकार की ओर से एक्ट में किए गए संशोधन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने आज भी इनकार किया.

अब इसकी सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन होगा क्योंकि वर्तमान बेंच में जज जस्टिस सीकरी मार्च में रिटायर हो रहे हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस ललित की बेंच ने इस एक्ट पर फैसला दिया था, जिसमें गिरफतारी से पहले पुलिस के उच्च अधिकारियों से इजाज़त लेने और आरोपी को अग्रिम ज़मानत मिलने का फैसला दिया था जिसके ख़िलाफ़ केन्द्र सरकार और अन्य कई पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हो गई थीं लेकिन जस्टिस गोयल के रिटायर होने के बाद पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के लिए जस्टिस ललित के साथ नए बेंच का गठन होना है.

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर SC/ST एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान जोड़ने के फैसले का बचाव किया था. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि अब भी भेदभाव की घटनाएं हो रही है और अधिकारों से वंचित किया जाता है, ऐसे में SC/ST के दुरुपयोग के चलते कानून रद्द कर देना गलत है. केंद्र सरकार ने ये भी कहा था कि कानून में बदलाव का मकसद राजनीतिक लाभ नहीं है.

याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि सरकार का पक्ष सुने बिना कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती. आपको बता दें कि दो वकील प्रिया शर्मा, पृथ्वीराज चौहान और अन्य ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के केंद्र सरकार के एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को चुनौती दी गई है. साथ ही याचिका में एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक को बहाल करने की मांग की गई है. 

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