New Delhi News: बीते सालों से राजस्थान में यूरेनियम के भंडार मिलने की खबरें आती रही है. आज संसद में सरकार के मंत्री ने भी कन्फर्म कर दिया है. उन्होंने कहा कि औपचारिकताएं पूरी होने के बाद देश को परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए एक बड़ा यूरेनियम भंडार मिलेगा.
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Uranium Reserves: पूरे देश के लिए एक अच्छी खबर है. जिससे आने वाले समय में बिजली संकट पूरी तरह से दूर हो सकता है. राजस्थान के सीकर में यूरेनियनम उत्खनन के लिए मंजूरी और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद देश को परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए एक बड़ा यूरेनियम भंडार मिलेगा. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि सीकर में यूरेनियम के बड़े भंडार का पता चलने संबंधी सांसद की सूचना बिल्कुल सही है.
पीएम मोदी भी थे मौजूद
प्रश्नकाल में माकपा सांसद अमरा राम के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि पर्यावरण मंजूरी की वजह से काम रुका हुआ है. प्रदेश सरकार के साथ इस संबंध में संपर्क बना हुआ है. मंजूरी मिलने और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निश्चित ही हमें एक बड़ा (यूरेनियम) भंडार राजस्थान से मिलेगा. जिस समय वो उत्तर दे रहे थे उस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे. सिंह ने बताया कि देश में संचालित कुल 25 परमाणु ऊर्जा रियेक्टर में से सर्वाधिक सात राजस्थान में हैं.
मूल मंत्र के साथ काम करती है मोदी सरकार
इसके अलावा कहा कि इस बार बजट में परमाणु मिशन की घोषणा की गई है और उसके लिए अलग से राशि निर्धारित की गई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के लिए 2013-14 में बजट जहां 13,879 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये हो गया है. सरकार ने परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावाट से 2031-32 तक 22,480 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. सिंह ने कहा कि भारत की परमाणु ऊर्जा नीति में सुरक्षा सर्वोपरि कारक है और मोदी सरकार ‘सुरक्षा प्रथम, परमाणु ऊर्जा उत्पादन बाद में’ के मूल मंत्र के साथ काम करती है.
रखी जाती है निगरानी
साथ ही साथ कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में काम करने वाले कर्मियों और उसके आसपास रहने वाले लोगों के लिहाज से सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है और विकिरण के प्रभावों पर सतत निगरानी रखी जाती है. उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाएं भी निगरानी करती हैं तथा इन संयंत्रों में और इनके आसपास हुए कुछ हालिया अध्ययन बनाते हैं कि यहां विकिरण वैश्विक मानकों से बहुत कम है. सिंह ने कहा कि विकिरण का वैश्विक मानदंड 1,000 माइक्रोसीवर्ट है, लेकिन देश में किसी भी संयंत्र में विकिरण 30-40 माइक्रोसीवर्ट से अधिक नहीं रहता.
पीएम मोदी ने दी थी मंजूरी
इसके अलावा उन्होंने द्रमुक के टी आर बालू के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि तमिलनाडु में कुडनकुडलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में विकिरण का स्तर एक दशक पहले 0.081 माइक्रोसीवर्ट था जो अब घटकर केवल 0.002 के स्तर पर रह गया है. मंत्री ने कहा कि इसी तरह कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में भी रेडिएशन के स्तर में काफी कमी आई है. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना रणनीतिक रूप से इस तरह की जाती है कि उन पर बाढ़ और सुनामी जैसे आपदाओं का असर नहीं पड़े. सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने 2017 में एक कैबिनेट बैठक में ही अभूतपूर्व तरीके से एक साथ 10 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की मंजूरी दी थी. सिंह ने भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के पूरक प्रश्नों के उत्तर में सदन को बताया कि मध्य प्रदेश के चुटका में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र में पुनर्वास के कुछ मुद्दों को लेकर देरी हो रही थी, लेकिन अब इस दिशा में प्रगति हुई है और समस्या का समाधान जल्द हो जाएगा. इसके अलावा कहा कि कि राज्य के शिवपुरी में संयंत्र के निर्माण के लिए पानी संबंधी समस्या थी, लेकिन इसके निराकरण के लिए मुख्यमंत्री ने एक समिति गठित की है. (भाषा)