भारत में फिर से दिखेगा न्यूटन के सेब का पेड़, इस शहर में हो रही तैयारी
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भारत में फिर से दिखेगा न्यूटन के सेब का पेड़, इस शहर में हो रही तैयारी

न्यूटन के सेब के पेड़ का वंशज भारत में आपको दिखाई दे सकता है. ये पेड़ देश में नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगा.

इंग्लैंड में मौजूद न्यूटन के इसी सेब के पेड़ से दुनिया भर में कलम भेजीं गईं. फाइल फोटो

नई दिल्ली : दुनिया के महान वैज्ञानिक सर आइजैक न्यूटन का वह सेब का पेड़ आपको भारत में दिख सकता है, जिसने उन्हें गुरुत्वाकर्षण का नियम खोजने के लिए प्रेरित किया. आज से करीब 350 साल पहले उस सेब के पेड़ से गिरे फल को देखकर ही न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत और गति की खोज की थी. अब इस पेड़ का वंशज भारत में आपको दिखाई दे सकता है. ये पेड़ देश में नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को प्रेरित करेगा.

पुणे में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के निदेशक सोमक रायचौधरी के अनुसार, संस्थान के प्रांगण में हम इस मामले में एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इसके तहत IUCAA कंपाउंड में न्यूटन ट्री की कलम को भारतीय सेब के पेड़ पर उगाने की तैयारी की जा रही है. न्यूटन के इस पेड़ के क्लोन दुनिया के कई और देशों में इसी तकनीक के सहारे पहुंच चुके हैं.

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इंग्लैड के लिंकनशायर में लोगों ने न्यूटन के घर के बगीचे में ऐसे ही पेड़ उगाने की कोशिश की थी. ऐसी ही एक कोशिश 1977 में भारतीय वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर ने यहां की थी. अब IUCAA द्वारा यही कोशिश की जा जा रही है. हालांकि की नार्लीकर को न्यूटन के सेब के पेड़ की बजाय बरगद के पेड़ ने इस कार्य के लिए प्रेरित किया. 1997 और 2007 के बीच न्यूटन के 'एप्पल ट्री' को विकसित करने के लिए तीन प्रयास किए गए. रायचौधरी ने बताया कि कुछ पेड़ अच्छे से बढ़ रहे थे और उसमें सेब भी आ रहे थे, लेकिन एक पेड़ की 2007 के आखिर में खत्म हो गया.

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एक दशक तक रहने के बाद सूख गया था पेड़
IUCAA कंपाउड में चार महान वैज्ञानिकों के स्टेच्यू लगे हैं. इनमें गैलीलियो, आइंस्टीन, न्यूटन और आर्यभट्ट शामिल हैं. सेब के एक पेड़ को न्यूटन के स्टेच्यू के पीछे उगाया गया है, दूसरे को आइंस्टीन के पीछे और अन्य को पब्लिक साइंस पार्क में उगाया गया है. संस्थान के डायरेक्टर रायचौधरी के अनुसार, आइंस्टीन के स्टेच्यू के पीछे लगे पेड़ पर सूर्य की रोशनी पड़ती है, वो बढ़ता है और फल देता है. दूसरा पेड़ बढ़ तो रहा है लेकिन अभी वह फल नहीं देता.' 1997 में संस्थान के कंपाउंड में दो एप्पल ट्री लगाए गए थे. IUCAA में न्यूटन पेड़ एक दशक तक रहे. लेकिन फिर वे सूख गए. पुणे के लगातार बढ़ते तापमान को इसकी वजह माना जा रहा है. अब यहां फिर से न्यूटन सेब के पेड़ों को विकसित किया जा रहा है.

2007 से देश में नहीं है ये न्यूटन के सेब का पेड़
IUCAA भारतीय सेब के पेड़ पर न्यूटन ट्री थ्योरी के विचार के साथ प्रयोग कर रहा है. रायचौधरी कहते हैं, मैंने इस विचार को पुनर्जीवित किया, लेकिन पेड़ों को पाने में बहुत मुश्किल है, क्योंकि बहुत से नियम और विनियम हैं. चौधरी ने कहा , 2007 से हमारे पास IUCAA में न्यूटन ट्री नहीं है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए सामान्य भारतीय सेब के पेड़ों को विकसित करना चाहते थे कि हम जानते हैं कि सेब के पेड़ कैसे विकसित करें.'

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