Encounter Specialist के तौर पर फिर से नाम कमाना चाहता था Sachin Waje, चार्जशीट से हुए ये खुलासे
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Encounter Specialist के तौर पर फिर से नाम कमाना चाहता था Sachin Waje, चार्जशीट से हुए ये खुलासे

इस पूरे कांड को करने से पहले सचिन वझे ने रुतबे का इस्तेमाल करके फर्जी पहचान से एक होटल में 100 दिनों के लिए अपने लिए कमरा बुक किया था. इसके लिए सचिन वझे ने सुशांत खामकर नाम से फर्जी आधार कार्ड भी दिया था. 

सचिन वझे मिटाता गया सबूत (फाइल फोटो)

मुंबई: एंटीलिया मामले और मनसुख हिरेन की हत्या के केस में NIA ने चार्जशीट दायर कर दी है. जी न्यूज के हाथ NIA की वही चार्जशीट लगी है जिसके मुताबिक सचिन वझे डिटेक्टिव या एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर अपना नाम दोबारा बनाना चाहता था. यही वजह रही कि उसने एक बहुत बड़े बिजनेस मैन के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार को पार्क किया और उसमें नोट भी छोड़ दिया.

  1. जी न्यूज के हाथ लगी एंटीलिया केस की चार्जशीट
  2. वझे ने साजिश के तहत दिया वारदात को अंजाम
  3. मनसुख हिरेन को दिया था खास ऑफर

100 दिन के लिए बुक किया होटल

इस पूरे कांड को करने से पहले सचिन वझे ने रुतबे का इस्तेमाल करके फर्जी पहचान से एक होटल में 100 दिनों के लिए अपने लिए कमरा बुक किया था. इसके लिए सचिन वझे ने सुशांत खामकर नाम से फर्जी आधार कार्ड भी दिया था. इस पूरे कांड की प्लानिंग और इसके एक्सेक्यूशन के लिए सचिन 16 फरवरी से लेकर 20 फरवरी तक होटल में रुका जो इस पूरी साजिश का हिस्सा था. 

कांड को अंजाम देने के लिए सचिन वझे ने MH02 AY2815 नंबर की हर रंग की स्कॉर्पियो कार जो मनसुख हिरेन की थी, को चुना. इस कार को सचिन वझे और उसका स्टाफ लगातार इस्तेमाल कर रहा था. जांच में पाया गया कि 17 फरवरी को सचिन वझे के कहने पर ही मनसुख हिरेन इस स्कॉर्पियो कार को ठाणे जिले से लेकर विक्रोली ब्रिज के नीचे पार्क करता है. फिर इसकी फोटो CP ऑफिस के पास खड़े सचिन वझे को देता है.

स्कॉर्पियों पर लगाई फर्जी नंबर प्लेट

जाचं में यह भी पता चला है कि 17 फरवरी को ही सचिन वझे ने अपने पर्सनल ड्राइवर और ऑफिशियल ड्राइवर की मदद से उस स्कॉर्पियो कार को ठाणे जिले के अपनी सोसाइटी में पार्क कराया. इसके बाद सचिन ने स्कॉर्पियो कार के दोनों ओरिजनल नंबर प्लेट्स को हटाया और उसकी जगह पर बड़े उद्योगपति के सिक्योरिटी कॉन्वॉय की ही एक कार के नंबर की प्लेट को स्कॉर्पियो पर लगवा दिया. उद्योगपति को सीधे तौर पर धमकाने के लिए ही उसी के काफिले की कार के नंबर को जानबूझकर कर इस तरह से इस्तेमाल किया गया है.

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मामले की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आरोपी नंबर-1 यानी सचिन वझे ने जिलेटिन की छड़ें बरामद की और फिर उन्हें कार में डालकर उस कार को बड़े उद्योगपति के घर के पास ही पार्क कर दिया. इस कार में एक धमकी भरा खत भी रखा गया. इस स्कॉर्पियो कार को खुद सचिन वझे ने ही पार्क किया था जबकि एक सफेद रंग की इनोवा कार, स्कॉर्पियो कार को एस्कॉर्ट कर रही थी. इस सफेद रंग की इनोवा कार को सचिन का ऑफिशियल ड्राइवर चला रहा था.

खुद लिया जांच का जिम्मा

इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि जब बड़े उद्योगपति के सिक्योरिटी से जुड़े लोगों को इस पार्क की गई कार के बारे में पता चला और इसकी रिपोर्ट की गई तो सचिन वझे खुद सबसे पहले मौके पर पहुंचा और उसने इन्वेस्टिगेशन का काम अपने हाथ में ले लिया ताकि बड़े उद्योगपति और आम जनता को डराने के लिए और अपने मकसद को पाने के लिए बतौर इनवेस्टिगेटिव ऑफिसर, वो इस पूरे मामले की जांच को भटका सके.

27 फरवरी 2021 को एक टेलीग्राम चैनल जैश उल हिंद के नाम से पोस्ट आती है जो इस विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने की जिम्मेदारी लेती है. बड़े उद्योगपति को इसमें धमकाया जाता है कि ये तो सिर्फ ट्रेलर था, पूरी पिक्चर अभी बाकी है. इसके बाद बड़े उद्योगपति से फिरौती की रकम मांगी जाती है ताकि आगे कोई बड़ी कारवाई ना हो. इसके जरिये सचिन वझे, बड़े उद्योगपति से एक बड़ी रकम उगाहना चाहता था. ये तमाम बातें उस धमकी में कही गई थीं.

इन्वेस्टीगेशन में पता चला कि मुंबई पुलिस के CP ऑफिस का व्हिकल एंट्री रजिस्टर जिसमें 1 मार्च 2021 से पहले की गाड़ियों के आने जाने की सभी सूचनाएं थीं, को सचिन वझे अपने साथ ले गया और उसे खत्म कर दिया. लेकिन CCTV में मौजूद फुटेज की मदद से सचिन वझे के मूवमेंट्स को कन्फर्म किया गया है.

फर्जी सिम कार्ड हुए बरामद

जांच में यह भी सामने आया कि स्कॉर्पियो कार को मनसुख हिरेन ने सचिन वझे को बेच दिया था और दिसंबर 2020 से ही वो सचिन के पास थी. लेकिन सचिन वझे ने मनसुख हिरेन की इस जानकारी को महाराष्ट्र ATS को बताने से मना किया था. इन्वेस्टीगेशन में पता चला है कि आरोपी नंबर-3 यानी विनायक शिंदे ने आरोपी नंबर-2 यानी नरेश गौर से 5 बेनामी सिम कार्ड लिए थे जिन्हें सचिन वझे को सौंपा गया था. इन पांच में से 3 सिम कार्ड्स को 15 मार्च को सचिन के ऑफिस केबिन से बरामद किया गया था.

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यह भी सामने आया कि जब ठाणे के कलवा में CSM हॉस्पिटल में मनसुख हिरेन का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा था तब सचिन वझे वहां खुद मौजूद था ताकि वो प्रोसिडिंग के डायरेक्शन पर नजर रख सके. इन्वेस्टीगेशन में ये भी पता चला है कि विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने के बाद सचिन वझे ने उन कपड़ों को जला दिया था जिसे उसने कार पार्क करते वक्त पहना था. सचिन ने अपने मोबाइल फोन को भी मिटा था और CCTV की नजर से बचने के लिए इनोवा कार के साथ भी छेड़खानी की थी.

सबूत मिटाने की रची साजिश

जांच में पता चला है कि जिस जगह पर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार पार्क की गई थी, सचिन वझे ने उसी जगह पर जाकर दोबारा मुआयना किया था ताकि CCTV में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को चेक किया जा सके. इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को मिटाने के लिए सचिन ने आरोपी नंबर-4 रियाजुद्दीन काजी से कहा कि वो इन तमाम जगहों से CCTV निकाल ले.

27 फरवरी को रियाजुद्दीन काजी सचिन वझे की सोसाइटी से DVR लेकर आ गया लेकिन इस DVR को ATS को जांच के लिए कभी नहीं दिया गया. इसी DVR को NIA ने 15 मार्च को सचिन वझे के ऑफिस से बरामद किया. इसके अलावा ये भी पता चला है कि काजी, एंटीलिया के पास स्थित निखिल विला गया और वहां से DVR/CCTV को गैर कानूनी तरीके से अपने कब्जे में ले लिया. इनको डर था कि इसमें स्कॉर्पिओ कार कैद हुई होगी.

जांच के ये भी पता चला है कि सचिन वझे, रियाजुद्दीन काजी और CIU के दूसरे अधिकारी ठाणे में मौजूद सद्गुरु स्टोर गए जहां से उन्होंने फर्जी नंबर प्लेट्स बनवाये थे. वहाँ का DVR भी गैर कानूनी तरीके से कब्जे में लिया गया. सचिन वझे, मनसुख हिरेन के क्लासिक कार डेकॉर भी गया और वहां से भी DVR अपने कब्जे में ले लिया ताकि उसे नष्ट किया जा सके.

मनसुख हिरेन को दिया ये ऑफर

इन सारे सबूतों को इन लोगों ने कुर्ला की मीठी नदी में नष्ट करने के लिए फेंक दिया. इस साजिश को पूरा करने के लिए मनसुख हिरेन, सचिन वझे के कहे मुताबिक काम कर रहा था. उसने स्कॉर्पिओ की चोरी की झूठी FIR भी लिखवाई. जैसे ही इस मामले की जांच सचिन से लेकर सीनियर अधिकारी को दी गई, उसके बाद से ही सचिन, मनसुख हिरेन पर इस बात के लिए दबाव बनाने लगा कि वो इस पूरे मामले की जिम्मेदारी खुद पर ले ले.

सचिन वझे ने मनसुख को भरोसा दिलाया कि उसे इस मामले से जल्दी निकाल लेंगे. लेकिन मनसुख इस बात के लिये राज़ी नहीं हुआ. चूंकि मनसुख ही इकलौता ऐसा शख्स था जिसे पता था कि उसने सचिन वझे के कहने पर स्कॉर्पियो कार को विक्रोली हाईवे पर पार्क किया था और चाबी CST के पास वझे को दी थी. सचिन को ये डर था कि अगर मनसुख ने ये सब बता दिया तो उसका पर्दाफाश हो जाएगा.

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मनसुख इस मामले में सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा थी और सचिन वझे के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया था. इसके बाद सचिन वझे, पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा और दूसरे आरोपियों ने मिलकर मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश रची जिसकी जिम्मेदारी पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को दी गई. इसके बाद प्रदीप शर्मा ने संतोष शेलार से संपर्क किया और पैसों के लिए हत्या करने का ऑफर दिया जिसके लिए संतोष शेलार राजी हो गया.

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