निर्भया केस में चारों दोषियों के पास सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है.
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नई दिल्ली: निर्भया केस (Nirbhaya Case) में चारों दोषियों के पास सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है. इस फैसले से अब दोषियों की फांसी का रास्ता साफ हो गया है. अब ट्रायल कोर्ट 14 दिन बाद की तारीख का नया डेथ वारंट जारी करेगी.
जेल मैनुअल के मुताबिक अगर किसी दोषी को फांसी की सजा दी जाती है तो उसे 14 दिनों का समय दिया जाता है, जिससे वह अपनी तमाम निजी जिम्मेदारियों को निपटा सके. इस लिहाज से मार्च के तीसरे हफ्ते में दोषियों को फांसी की तारीख दी जा सकती है. अब केवल एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि चारों को अलग-अलग फांसी दी जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि इन चारों पर फैसले को एक नजीर बनाया जाएगा.
बता दें कि निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. इससे पहले निर्भया केस (Nirbhaya Case) में दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया था. दोषी पवन ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी.
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इसके बाद पवन गुप्ता के पास केवल एक ही विकल्प बचा था और वो था राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प. लेकिन अब राष्ट्रपति ने भी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है.
पटियाला हाउस कोर्ट पहले ही निर्भया के दोषियों पवन और अक्षय की याचिका खारिज कर चुका है और डेथ वारंट पर रोक लगाने से कोर्ट इनकार कर चुका है. पवन के अलावा बाकी के तीन दोषी मुकेश, अक्षय और विनय की क्यूरेटिव याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इसके बाद राष्ट्रपति उनकी दया याचिका भी ठुकरा चुके हैं.
गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट चारों दोषियों के लिए तीन बार डेथ वॉरंट जारी कर चुका है. लेकिन कानूनी वजहों से फांसी 3 बार टल चुकी है. इससे पहले फांसी 3 मार्च को होनी थी लेकिन कानूनी प्रावधानों की वजह से ये फांसी नहीं हो सकी. पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों के लिए जारी डेथ वारंट के अनुसार तीन मार्च को सुबह छह बजे दोषियों को फांसी पर लटकाया जाना था.
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक जब तक किसी दोषी के सभी कानूनी उपाय खत्म नहीं हो जाते तब तक उसे फांसी नही दी जा सकती. अगर कोर्ट से दोषी की याचिका खारिज भी हो जाती है तब भी उसे अन्य कानूनी विकल्पों के लिए 14 दिन का समय मिलता है.