देशहित में लिए सख्त फैसलों की ‘राजनीतिक कीमत' चुकाने के लिए तैयार है सरकार: गडकरी
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देशहित में लिए सख्त फैसलों की ‘राजनीतिक कीमत' चुकाने के लिए तैयार है सरकार: गडकरी

गडकरी ने यह भी उम्मीद जताई कि 2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजे हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों जैसे नहीं होंगे जिनमें बीजेपी को तीन राज्यों में कांग्रेस के हाथों हार मिली. 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो)

मुंबई: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार नोटबंदी और जीएसटी जैसे सख्त फैसलों के लिए “राजनीतिक कीमत चुकाने” को तैयार है जबकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि देश में कृषि संबंधी संकट है और ग्रामीण परेशानी में हैं.

नितिन गडकरी ने यह भी उम्मीद जताई कि 2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजे हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों जैसे नहीं होंगे जिनमें बीजेपी को तीन राज्यों में कांग्रेस के हाथों हार मिली. 

इस बात पर खास जोर देते हुए कि मोदी सरकार ने कृषि को केंद्र में रखा था, गडकरी ने कहा कि यह एक जटिल विषय है और इसके उपाय में समय लगेगा.  क्रिकेट और राजनीति को समानांतर रखते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में कुछ भी हो सकता है और यह मान लेना गलत होगा कि विधानसभा चुनाव इस बात को प्रतिबिंबित करते हैं कि अगले साल के लोकसभा चुनावों का परिणाम क्या होने वाला है. 

रिजर्व बैंक सरकार का ही अंग है
इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि रिजर्व बैंक सरकार का ही अंग है, इसलिए उसे सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने एक संस्थान के रूप में रिजर्व बैंक को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है.

उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब स्वायत्तता और परिचालन निष्ठा समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार के साथ मतभेद के कारण उर्जित पटेल ने गर्वनर पद से अचानक इस्तीफा दे दिया. सरकार ने पटेल की जगह पूर्व नौकरशाह शक्तिकांत दास को नया गवर्नर बनाया है जो नोटबंदी के दौरान सरकार के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे.

गडकरी ने जोर देकर कहा कि कुल मिलाकर केंद्रीय बैंक एक स्वतंत्र निकाय है लेकिन उसे सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण का भी समर्थन करना चाहिए. उन्होंने यहां टाइम्स समूह द्वारा आयोजित आर्थिक सम्मेलन में कहा, ‘अगर हम आरबीआई की स्वायत्तता स्वीकार करते हैं, तो यह केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी है कि वह सरकार के नजरिये का समर्थन करे. हमने किसी भी रूप में उसे (एक संस्थान के तौर पर आरबीआई को) नुकसान नहीं पहुंचाया है.’

(इनपुट - भाषा)

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