नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय (High Court) को आश्वासन दिया है कि राज्य में सक्रिय ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) कंपनियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जबकि नया कानून अधिकारियों को कार्रवाई शुरू करने की अनुमति देता है. राज्य सरकार ने वकील के माध्यम से गुरुवार को इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया. 


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बता दें कि कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को आपराधिक और दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक कानून बनाया है. जिसके विरोध विरोध में इंडिया गेमिंग फेडरेशन और अन्य ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. 


सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल प्रभुलिंग नवादगी ने कहा कि अदालत को इस संबंध में एकल पीठ के समक्ष दायर आपत्तियों पर विचार करना है. उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं के सभी सवालों का जवाब दिया जाएगा.


वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने डेढ़ घंटे से अधिक समय तक अदालत के समक्ष अपनी दलीलें रखीं. उन्होंने समझाया कि 'कौशल के खेल (गेम ऑफ स्किल्स) और संयोग के खेल (गेम ऑफ चांस) के रूप में जाने जाने वाले ऑनलाइन गेम दो प्रकार के होते हैं. कौशल के खेल को कानून द्वारा नियंत्रित या रोका नहीं जा सकता.'


उन्होंने तर्क दिया, "इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, कर्नाटक सरकार ने कौशल के खेल को नए अधिनियम के अधिकार क्षेत्र में लाया है." हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है.


कर्नाटक पुलिस (संशोधन) विधेयक 2021 को सत्तारूढ़ भाजपा ने मानसून सत्र में कर्नाटक पुलिस अधिनियम 1963 में संशोधन करने के लिए पेश किया था. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि वे लोगों के हित में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक पेश कर रहे हैं.


हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों द्वारा नए कानून का विरोध किया गया था और कहा गया था कि नीति शहर को प्रभावित करेगी जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के केंद्र के रूप में उभर रहा है.