नई दिल्ली: देश में कोरोना का कहर जारी है और सरकार से लेकर आम जनता इस महामारी से पैदा हुई चुनौतियों का सामना कर रही है. अदालत भी इससे अलग नहीं है और वहां सिर्फ बहुत ही जरूरी मामलों की सुनवाई की जा रही है. इसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सरकार की ओर से एक अहम टिप्पणी की गई है.


महामारी से जूझ रहा देश


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दरअसल हाई कोर्ट में सोमवार को हिन्दू मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह (Same-sex Marriage) को मान्यता देने संबंधी एक याचिका दायर की गई थी जिसे कोर्ट ने टाल दिया है. हाई कोर्ट में इसे लेकर सरकार का सख्त रुख देखने को मिला. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश अभी कोरोना महामारी से लड़ रहा है और ऐसे में अन्य मामलों की सुनवाई ज्यादा जरूरी है, बगैर मैरिज सर्टिफिकेट के कोई मर नहीं रहा है. 


कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी है. केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट अभी बहुत ही जरूरी मामलों की सुनवाई कर रही है और लॉ ऑफिसर भी कोरोना से जुड़े मामलों को देख रहे हैं. सरकार के रूप में हमारा फोकस अभी महामारी से जुड़े मामलों पर है.


समलैंगिकों के हक में आवाज


याचिकाकर्ता की ओर से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल ने कहा कि कोर्ट को निष्पक्ष रहकर  इस मामले की गंभीरता भी समझनी चाहिए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि LGBT कम्युनिटी के साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें दवाब में शादी करनी पड़ रही है. साथ ही कृपाल ने कहा कि मनपसंद पार्टनर से शादी को लेकर उन्हें अपनी भावनाओं को दरकिनार करना पड़ा रहा है.  


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केंद्र सरकार ने इससे पहले समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि हमारा समाज और नैतिक मूल्य इसकी इजाजत नहीं देते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2018 में समलैंगिक संबंधों को मंजूरी दी गई थी जिसमें शादी को लेकर कोई बात तय नहीं थी.