8 राज्य सरकारों, 7 राज्यपाल और 14 केंद्रीय मंत्रियों के सिफारिशी नामों को नहीं मिला पद्म पुरस्कार
Advertisement

8 राज्य सरकारों, 7 राज्यपाल और 14 केंद्रीय मंत्रियों के सिफारिशी नामों को नहीं मिला पद्म पुरस्कार

चयन समिति ने ऐसे‘‘ गुमनाम नायकों’’ को चुना जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीब लोगों के लिए काम करने में बिता दिया अथवा वंचित समुदाय की पृष्ठभूमि से संबंधित होने के बावजूद उन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आठ राज्य सरकारों, सात राज्यपालों और 14 केंद्रीय मंत्रियों ने पद्म पुरस्कारों के लिए जिन लोगों के नाम की सिफारिश की थी उनमें से किसी को भी इस साल दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की सूची में स्थान नहीं मिला है. पद्म पुरस्कार 20 मार्च और दो अप्रैल को प्रदान किए जाएंगे. गृह मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक साल 2018 के पद्म पुरस्कारों के लिए राज्य सरकारों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, केन्द्रीय मंत्रियों, केन्द्रीय राज्य मंत्रियों, पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों, अन्य व्यक्तियों तथा संगठनों की ओर से कुल 35,595 लोगों के नाम की सिफारिश की गई थी. पुरस्कारों की घोषणा 25 जनवरी को की गई थी. 

  1. पद्म पुरस्कारों के लिए कुल 35,595 लोगों के नाम की सिफारिश की गई थी
  2. 84 प्रमुख व्यक्तियों को इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान के लिए चुना गया
  3. पद्म पुरस्कार 20 मार्च और दो अप्रैल को प्रदान किए जाएंगे

कई 'गुमनाम नायकों' को किया जाएगा सम्मानित     

जिन नामों की सिफारिश की गई उनमें से केवल 84 प्रमुख व्यक्तियों को इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान के लिए चुना गया. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अंतिम सूची में स्थान हासिल करने वाले अधिकांश व्यक्तियों का चयन दस सदस्यीय चयन समिति द्वारा किया गया. चयन समिति ने ऐसे‘‘ गुमनाम नायकों’’ को चुना जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीब लोगों के लिए काम करने में बिता दिया अथवा वंचित समुदाय की पृष्ठभूमि से संबंधित होने के बावजूद उन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की. चयन समिति ने हालांकि तमिलनाडु, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान और दिल्ली की संस्तुतियों को अस्वीकार कर दिया.

पद्म अवॉर्ड को लेकर बोले पीएम मोदी, पहले होती थी सिफारिश, अब ऐसा नहीं चलेगा

तमिलनाडु ने पद्म पुरस्कारों के लिये छह नामों की सिफारिश की थी, जबकि हरियाणा ने पांच नामों की, जम्मू कश्मीर ने नौ, कर्नाटक ने 44, उत्तराखंड ने15, बिहार ने चार, राजस्थान ने चार और दिल्ली ने कुल सात नामों की सिफारिश की थी. सात राज्यों के राज्यपालों में से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने 11 संस्तुतियां, हरियाणा के कप्तान सिंह सोलंकी ने सात संस्तुतियां, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने चार संस्तुतियां, उत्तर प्रदेश के राम नाईक ने10 संस्तुतियां, गुजरात के ओ पी कोहली ने दो, केरल के पी सदाशिवम ने दो, पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी की एक संस्तुति को पद्म पुरस्कारों की सूची में स्थान नहीं मिला.

कई केंद्रीय मंत्रियों के सिफारिशी नामों को नहीं मिला सम्मान
प्रेस ट्रस्ट की ओर से गृह मंत्रालय के दस्तावेजों की पड़ताल के मुताबिक इसी प्रकार सात केन्द्रीय मंत्रियों - अरुण जेटली की एक संस्तुति, मेनका गांधी की ओर से चार संस्तुतियां, प्रकाश जावेडकर की छह, राम विलास पासवान की चार, सुरेश प्रभु की12, थावर चंद गहलोत के16 नामों की संस्तुतियों को भी इस साल के पद्म पुरस्कारों की सूची में समाहित नहीं किया गया. केवल जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओराम की कुल दस संस्तुतियों में से एक नाम की सिफारिश को चयन समिति ने पद्म पुरस्कार के लिये स्वीकार किया.

इसी प्रकार चयन समिति ने आठ केन्द्रीय राज्य मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल( चार संस्तुतियां), अश्विनी कुमार चौबे( दो संस्तुति), सी आर चौधरी( तीन), गिरिराज सिंह( दो संस्तुति) , महेश शर्मा( आठ संस्तुतियां) , मुख्तार अब्बास नकवी( दो संस्तुतियां) और राम कृपाल यादव( चार संस्तुतियां) में से किसी नाम को इस साल के पुरस्कारों के लिये चयनित नहीं किया.

(इनपुट - भाषा)

Trending news