सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल गया है. लद्दाख को अलग राज्य और खास दर्जा देने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ता और समाज सुधारक की गिरफ्तारी को उनकी पत्नी ने असंवैधानिक बताया है.
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Ladakh Protests: सोनम वांगचुक को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी. अंगमो ने यह याचिका अपने पति की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हुई गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया शामिल हैं, ने यह याचिका अगले मंगलवार के लिए सूचीबद्ध की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया. अदालत ने केंद्र से यह भी पूछा कि गिरफ्तारी के कारण वांगचुक की पत्नी को क्यों नहीं बताए गए.
गिरफ्तारी के बाद से परिवार से संपर्क नहीं
याचिका में आरोप लगाया गया है कि 26 सितंबर को लद्दाख में हिंसक झड़पों के दो दिन बाद वांगचुक को हिरासत में लिया गया था, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे. इसके बाद वांगचुक को राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में भेज दिया गया, जहां उन्हें परिवार, दवाइयों और निजी सामान तक की पहुंच नहीं दी गई.
“गिरफ्तारी अवैध और मनमानी है”
गीतांजलि अंगमो ने याचिका में कहा कि वांगचुक की गिरफ्तारी अवैध, मनमानी और असंवैधानिक है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 का उल्लंघन करती है. याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन और पर्यावरणीय मुद्दों पर हो रही आवाजों को दबा रही है.
“हम सिर्फ मुलाकात की अनुमति चाहते हैं”
याचिका में अंगमो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि अंगमो को अभी तक अपने पति से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि 12 लोगों की सूची को वांगचुक से मिलने की इजाजत दी गई है, और उन्होंने अदालत से भावनात्मक माहौल न बनाने की अपील की. पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के कारण वांगचुक को तो बताए गए हैं, लेकिन कानूनी रूप से पत्नी को भी उनकी कॉपी देना कोई बाधा नहीं है, हालांकि इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया गया.
दवाइयां और जरूरी सामान देने की मांग
सिब्बल ने यह भी कहा कि वांगचुक की तबीयत को देखते हुए उन्हें दवाइयां, कपड़े और खाना दिया जाना जरूरी है. क्योंकि वे गिरफ्तारी से पहले अनशन पर थे. याचिका में यह भी कहा गया कि वांगचुक के नेतृत्व में काम करने वाले हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के स्टाफ और छात्रों को डराया-धमकाया जा रहा है, और खुद अंगमो आभासी नजरबंदी में हैं.
सुप्रीम कोर्ट से क्या मांग की गई है?
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि: वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए, उनके हिरासत से जुड़े सभी दस्तावेज अदालत के सामने पेश किए जाएं, उन्हें दवाइयां, खाना और जरूरी सामान मुहैया कराया जाए, HIAL के छात्रों और स्टाफ को डराना-धमकाना बंद किया जाए, उनकी मेडिकल रिपोर्ट तुरंत अदालत में पेश की जाए.