पीएम मोदी को 'एसेट' कहना भाजपा में जाने का इशारा है? कांग्रेस सांसद थरूर ने अब साफ बता दिया
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पीएम मोदी को 'एसेट' कहना भाजपा में जाने का इशारा है? कांग्रेस सांसद थरूर ने अब साफ बता दिया

Shashi Tharoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का आतंकवाद विरोधी संदेश लेकर शशि थरूर ने अमेरिका, ब्राजील और तीन अन्य देशों के दौरे पर गए थे. कांग्रेस नेता ने इस दौरान एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. वहीं, पिछले कुछ दिनों से उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थी. अब उन्होंने इन अटकलों पर प्रतिक्रया दी है.

 

शशि थरूर
शशि थरूर

Shashi Tharoor: कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर पिछले कई महीनों से सुर्खियों में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने की वजह से उनके खिलाफ पार्टी के भीतर नाराजगी बढ़ गई है और काफी दिनों से अटकलें जा रही थी कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं. अब इन अटकलों पर खुद शशि थरूर ने विराम लगा दिया है.  उन्होंने पीएम मोदी की 'ऑपरेशन सिंदूर' पर की गई तारीफ को BJP में शामिल होने का संकेत मानने से इनकार कर दिया है.

लोकसभा सदस्य थरूर मंगलवार को कहा कि हाल ही में एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में छपे उनके विचार, PM मोदी की ऊर्जा, गतिशीलता और संवाद करने की इच्छा की उन्होंने जो तारीफ की, वह भारत के सफल राजनयिक कोशिशों के संदर्भ में थी. उन्होंने यह भी साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि वे बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजा अखबार छपे उनके लेख, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी एक्स पर साझा किया था. इसी वजह से लोगों को चौंका रहा है, जबकि यह राष्ट्रीय एकता का संदेश है और भारत के लिए खड़े होने के बारे में है. लेख में थरूर ने मोदी की भारत के लिए 'Prime Asset' के रूप में तारीफ की और प्रधानमंत्री के लिए 'अधिक समर्थन' का आह्वान किया था.

क्या बोले शशि थरूर?
कांग्रेस सांसद के पीएम मोदी की तारीफ के बाद से ही अपनी पार्टी भीतर रिश्ते खराब हो गए हैं. तिरुवनंतपुरम से चार बार के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा, 'यह प्रधानमंत्री की पार्टी में शामिल होने का मेरा संकेत नहीं है. जैसा कि कुछ लोग दुर्भाग्यवश कह रहे हैं. यह राष्ट्रीय एकता. राष्ट्रीय हितऔर भारत के लिए खड़े होने का एक बयान है.'

भाजपा का 'सुपर प्रवक्ता' 
थरूर उन विपक्षी सांसदों में से एक थे, जिन्हें सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर के बाद वैश्विक कूटनीतिक पहल में हिस्सा लेने के लिए चुना था. थरूर ने डेलिगेशन का नेतृत्व अमेरिका तथा चार अन्य देशों में किया. इसके बाद भारत लौटने पर प्रधानमंत्री से चर्चा की, जिससे बदलाव की अटकलों को और बल मिल गया. जबकि उस वक्त डेलिगेशन में शामिल करने के बाद उनकी आलोचनाएं  और तेज हो गईं थीं, जिसमें कांग्रेस के कई नेताओं ने उन्हें भाजपा के 'प्रचार स्टंट' के लिए 'सुपर प्रवक्ता' तक कहा था.

शशि थरूर  ने अपने लेख पर बोलते हुए कहा, 'मैंने भारत की सेवा करने के लिए ऐसा किया और मुझे ऐसा करने का अवसर मिलने पर बहुत गर्व है. मेरा मानना ​​है कि राजनीतिक मतभेद सीमाओं पर ही समाप्त हो जाने चाहिए. भाजपा विदेश नीति' या 'कांग्रेस विदेश नीति' जैसी कोई चीज नहीं है, केवल 'भारतीय विदेश नीति' और 'भारतीय राष्ट्रीय हित' है. थरूर ने आगे कहा, 'लोग हमेशा इन सब बातों को आज की खबरों के संदर्भ में देखते हैं. यह एक ऐसा लेख है जिसमें मैं इस आउटरीच मिशन की सफलता का वर्णन करता हूं, जिसने अन्य बातों के अलावा, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के मामले में सभी दलों की एकता को प्रदर्शित किया है.' 'इसलिए, मैंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं गतिशीलता और ऊर्जा का प्रदर्शन किया है. उन्होंने किसी भी अन्य प्रधानमंत्री की तुलना में अधिक देशों की यात्रा की है, और ऐसा उन्होंने भारत के संदेश को विश्व भर में ले जाने के लिए किया है.'

थरूर का कांग्रेस में फ्यूचर
हालांकि, इसके बावजूद पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि थरूर का कांग्रेस में फ्यूचर 2021 से ही संदेह के घेरे में है. जब वे 'असहमति' वाले समूह 'जी-23' के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हो गए थे, जिन्होंने लगातार चुनाव हारने के बाद गांधी परिवार की नेतृत्व शैली पर सवाल उठाए थे. इसके  अलावा उन्होंने अपने और कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेदों को भी स्वीकार किया है. उन्होंने राहुल गांधी से भी मुलाकात की, लेकिन उस बैठक से कुछ हासिल नहीं हुआ.

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