डायबिटीज की चपेट में अब गरीब भी आ रहे हैं, अध्ययन में किया गया दावा!
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डायबिटीज की चपेट में अब गरीब भी आ रहे हैं, अध्ययन में किया गया दावा!

मधुमेह यानि शुगर की बीमारी जिसका विस्तार तेजी से होता जा रहा है, खानपान की आदतों से जुड़ी होने के कारण आमतौर पर माना जाता है कि ये अमीरों की बीमारी है, लेकिए एक अध्ययन में इसके विपरीत बात कही गई है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन नतीजों से भारत जैसे देश में चिंता पैदा होनी चाहिए, क्योंकि वहां इलाज का खर्च मरीजों की जेब से जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: मधुमेह यानि शुगर की बीमारी जिसका विस्तार तेजी से होता जा रहा है, खानपान की आदतों से जुड़ी होने के कारण आमतौर पर माना जाता है कि ये अमीरों की बीमारी है, लेकिए एक अध्ययन में इसके विपरीत बात कही गई है.

गरीब लोग तेजी से मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हाल ही में एक अध्ययन में दावा किया गया है कि गरीब लोग तेजी से मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं. यहां चिंता की बात ये है कि भारत जैसे देश में जहां मरीजों को इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ता है, यह दोहरी चिंता वाली स्थिति है. बताया जाता है कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके में डायबिटीज फैलने की वजह जंक और फास्ट फूड का शहरी झुग्गियों और गांवों में भी उपलब्ध होना है.

उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले अनाज अहम वजह

सड़क किनारे बनी खाने की दुकानों में पिज्जा, चाउमीन और मोमोज मिलना आम बात हो गई है. इसके अलावा अधिकतर सरकारी राशन की दुकानें चावल और गेहूं का वितरण कर रही हैं. उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले ये अनाज देश में मधुमेह की एक नई और बेहद चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहे हैं.

भारत को विश्व में मधुमेह की राजधानी कहा जाता है

भारत को विश्व में मधुमेह की राजधानी कहा जाता है। यहां लगभग सात करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि अभी तक मधुमेह को अमीरों की बीमारी माना जाता था लेकिन ‘द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी’में प्रकाशित नए शोधपत्र का कहना है कि भारत की मधुमेह की महामारी स्थानांतरित हो रही है और यह आर्थिक रूप से कमजोर समूहों को प्रभावित कर सकती है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन नतीजों से भारत जैसे देश में चिंता पैदा होनी चाहिए, क्योंकि वहां इलाज का खर्च मरीजों की जेब से जाता है. शोधकर्ता इस बीमारी से बचने के लिए रोकथाम के प्रभावी उपायों की तत्काल जरूरत को रेखांकित करते हैं. 

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की उपाध्यक्ष और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका आरएम अंजना ने कहा, 'अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक तौर पर निष्क्रियता अकेले ही मधुमेह की महामारी में 50 प्रतिशत का योगदान दे रही है. इसके अलावा पश्चिमी आहार शैली को अपनाने से मधुमेह की समस्या बढ़ रही है.' 

अध्ययन में शामिल लगभग आधे लोग ऐसे थे, जिन्हें परीक्षण से पहले तक यह पता ही नहीं था कि उन्हें मधुमेह है. भारतीयों की बदलती जीवनशैली उन्हें पारंपरिक स्वास्थ्यप्रद भोजन से दूर लेकर जा रही है. अंजना का कहना है, 'जंक फूड की उपलब्धता, आसान पहुंच और उनका किफायती होना भारत की सबसे बड़ी समस्या है.'

उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश सही तरह की जागरूकता लाकर यह सब बदला जा सकता है. फलों, सब्जियों और स्वास्थयप्रद अनाज को राशन की दुकानों पर उपलब्ध करवाकर ऐसा किया जा सकता है.

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