नई दिल्लीः आधुनिक भारतीय रंगमंच के जनक कहे जाने वाले अब्राहिम अलकाज़ी ने मंगलवार को अंतिम सांस ली. मंगलवार की शाम पुणे के एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. वह 94  वर्ष के थे. अल्काज़ी नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (national school of drama) के पहले निदेशक थे. उन्हें उस्तादों का उस्ताद कहा जाता है.


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भारतीय रंग आंदोलन में उनका अविस्मरणीय योगदान है. इसके अलावा अब्राहिम एक कला पारखी, कलेक्टर और गैलरी के मालिक हैं. उन्होंने नई दिल्ली में आर्ट हेरिटेज गैलरी की स्थापना की.रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट से पढ़े अब्राहिम अलकाज़ी ने अपने विशिष्ट करियर के दौरान 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया और 1950 में बीबीसी ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड जीता. उनके द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख नाटकों में हैं, तुगलग, आषाढ़ का एक दिन के अलावा कई ग्रीक त्रासदियों और शेक्सपियर के नाटक शामिल हैं.


उन्हें मिले थे यह सम्मान
 पद्म विभूषण- 2010, पद्म भूषण-1991 और पद्यश्री 1966 सम्मानों से सम्मानित अलकाज़ी को एक सख़्त अनुशासक के रूप में जाने जाते थे. वह एनएसडी  में 1962-977 तक निदेशक के रूप में तक थे और उन्होंने स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया. अल्काज़ी ने नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, उत्तरा बोकर और रोहिणी हट्टंगड़ी सहित देश कई प्रसिद्ध प्रतिभाओं को प्रशिक्षित किया था. अलकाज़ी देश के गिने चुने रंगकर्मी में से थे, जिन्होंने आजादी के बाद भारतीय रंगमंच को एक नई दिशा दी. उनके निधन से नाट्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई. 


अलकाज़ी ने रोशन अलकाज़ी से शादी की थी, जिन्होंने अपने नाटकों के लिए वेशभूषा डिजाइन की थी. उनके दो बच्चे भी थिएटर कलाकार हैं. अमल अल्लाना, एक थिएटर डायरेक्टर हैं और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व चेयरपर्सन हैं, जबकि फ़िसाल अलकाज़ी भी एक थिएटर डायरेक्टर हैं. सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया. जावड़ेकर ने अपने ट्वीट में लिखा कि, थिएटर के उस्ताद अब्राहिम अलकाज़ी के निधन से गहरा दुख हुआ. भारत में रंगमंच कला में क्रांति लाने और एनएसडी को कलाकारों के लिए एक महान शिक्षा केंद्र बनाने का उनका काम हमेशा याद किया जाएगा.