IIT संस्थानों में बढ़ी खाली सीटों की संख्या, आईआईटी बीएचयू में सबसे ज्यादा सीटें खाली
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IIT संस्थानों में बढ़ी खाली सीटों की संख्या, आईआईटी बीएचयू में सबसे ज्यादा सीटें खाली

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संकलित किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से बीते पांच साल में आईआईटी संस्थानों में खाली रहने वाली सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जबकि आईआईटी बीएचयू में सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं.

IIT में पिछले पांच सालों में बढ़ी खाली सीटों की संख्या (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से बीते पांच साल में आईआईटी संस्थानों में खाली रहने वाली सीटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जबकि आईआईटी बीएचयू में सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं. वर्ष 2014 को छोड़ कर बीते पांच बरस में प्रमुख संस्थानों में खाली रहने वाली सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की प्रवृति है. इस वजह से मंत्रालय को एक पैनल का गठन करना पड़ा जिसने मुद्दे से निपटने के लिए कई सिफारिशें की हैं. गत वर्ष गठित की गई समिति ने इस साल शुरू में अपनी रिपोर्ट जमा की.

  1. IIT संस्थानों में खाली सीटों की संख्या में बढ़ोतरी
  2. आईआईटी बीएचयू में सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं
  3. IIT की 11,000 सीटों में से सैंकड़ों सीटें खाली हैं

इन IIT संस्थानों में हैं इतनी खाली सीटें

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सभी आईआईटी में करीब 11,000 सीटें हैं जिनमें 2013 से 274 खाली पड़ी हैं जिनमें 2013 में 15, 2014 में पांच, 2015 में 39, 2016 में 96 और 2017 में 121 खाली सीटें शामिल हैं. जहां तक आईआईटी बीएचयू का संबंध है तो 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 2013 से सबसे ज्यादा सीटें यहीं खाली हैं. इसमें 2017 में 32, 2016 में 38, 2015 में 28, 2014 में तीन और 2013 में चार सीटें खाली रही थीं.

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इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (इसे 2016 में आईआईटी का दर्जा दिया गया था) इसमें 2016 और 2017 में 23-23 रिक्तियां थीं. आईआईटी कानपुर और आईआईटी हैदराबाद में 2013 से 2017 के बीच कोई सीट खाली नहीं रही जबकि आईआईटी दिल्ली में 2013 से 2015 के बीच एक भी सीट रिक्त नहीं रही. वर्ष 2016 और 2017 में आईआईटी दिल्ली में दो- दो सीटें खाली रही थी.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईआईटी, एनआईटी और केंद्र द्वारा वित्तपोषित अन्य प्रौद्योगिकी संस्थानों में सीटें खाली रहने की संख्या को न्यूनतम करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने एक समिति गठित की है ताकि वह उचित उपायों की सिफारिश कर सके.

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