जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाभी गायब, मुख्यमंत्री ने दिए न्यायिक जांच के आदेश
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जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाभी गायब, मुख्यमंत्री ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

कानून मंत्री प्रताप जेना और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख पी के जेना के साथ विचार विमर्श के बाद  नवीन पटनायक ने कहा कि एक न्यायिक आयोग को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा जाएगा. 

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (फाइल फोटो)

 भुवनेश्वर: ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 12 वीं सदी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के कोषागार की चाबियां गायब होने के मामले की न्यायिक जांच का सोमवार को आदेश दिया. कानून मंत्री प्रताप जेना और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख पी के जेना के साथ विचार विमर्श के बाद पटनायक ने कहा कि एक न्यायिक आयोग को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा जाएगा.

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि ओड़िशा उच्च न्यायालय के एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीश द्वारा इस मामले की जांच करायी जाएगी और इस पर विशेष रूप से गौर किया जाएगा कि रत्न भंडार (कोषागार) की चाबियां किस परिस्थिति में गायब हो गईं. बयान के अनुसार इस साल भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई को है और एक सदस्यीय जांच आयोग अपनी रिपोर्ट यात्रा के बाद सौंपेगा. 

बता दें श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रामचंद्र दास महापात्रा ने बताया कि समिति की चार अप्रैल को हुई बैठक में यह बात बताई गई थी कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाभी गायब हो गई है.  ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ‘ रत्न भंडार ’ कक्ष में चार अप्रैल को कड़ी सुरक्षा के बीच 16 सदस्यों वाली एक टीम ने 34 साल के बाद यहां जांच के लिए प्रवेश किया था. 

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन के एक अधिकारी ने बताया कि जांच टीम के सदस्यों को आंतरिक कक्ष में प्रवेश करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि यह बाहर से एक लोहे के ग्रील के माध्यम से दिखता है. दास महापात्र ने बताया कि न तो मंदिर प्रशासन और न ही पुरी जिला कोषागार के पास आंतरिक कक्ष की चाभी है. इस बात का पता दो महीने बाद चला है. 

शंकराचार्य और बीजेपी ने की सरकार की आलोचना
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रविवार को इस घटना के लिए ओडिशा सरकार की आलोचना की. वहीं भाजपा ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस घटना पर स्पष्टीकरण देने की मांग की है. शंकराचार्य ने कहा कि यह घटना बताती है कि राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रही. 

राज्य में भाजपा के प्रवक्ता पीतांबर आचार्य ने कहा, 'मुख्यमंत्री को इसके लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए कि चाभी कैसे गायब हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है.' ओडिशा उच्च न्यायालय 2016 से मंदिर में एएसआई द्वारा हो रहे पुनरुद्धार कार्य पर निगरानी रख रहा है. 

(इनपुट - भाषा)

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