एनएफआईआर ने भी घोषणा कर दी है कि अगर सरकार ने पुरानी पेंशन नीति लागू करने को लेकर जल्द फैसला नहीं लिया, तो लाखों रेलवे कर्मी भी हड़ताल करेंगे और देशभर में रेल का चक्का जाम किया जाएगा.
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नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों के बीच पुरानी पेंशन नीति की मांग तेजी होती जा रही है. उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर राज्य कर्मचारी संगठनों की महाहड़ताल का अब रेलवे कर्मचारियों ने भी समर्थन किया है. रेलवे कर्मियों के बड़े संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने भी घोषणा कर दी है कि अगर सरकार ने पुरानी पेंशन नीति लागू करने को लेकर जल्द फैसला नहीं लिया, तो लाखों रेलवे कर्मी भी हड़ताल करेंगे और देशभर में रेल का चक्का जाम किया जाएगा.
एनएफआईआर के प्रवक्ता एस.एन मलिक ने कहा कि रेलवेकर्मी 2004 से ही पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग करते आ रहे हैं. करीब 6 लाख रेलवेकर्मी इस नई पेंशन नीति के दायरे में आते हैं, जिससे वह नाखुश हैं और अपनी सेवा में पुरानी पेंशन नीति चाहते हैं. इस दायरे में रेलवे के इंजीनियरों से लेकर खलासी तक सभी ग्रेड के अधिकारी और कर्मचारी आते हैं, जिनकी संख्या 6 लाख से अधिक है. इस बारे में प्रधानमंत्री से लेकर रेल मंत्रियों तक को कई बार पत्र लिखकर अपनी मांग से अवगत कराया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी निर्णय नहीं लिया गया.
मलिक ने जी न्यूज डिजिटल से बातचीत में कहा कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से पुरानी पेंशन नीति को लेकर जल्द फैसला नहीं लिया गया तो लाखों रेल कर्मचारी भी देशभर में हड़ताल करेंगे और रेलवे का चक्का जाम करेंगे, जिससे रेलवे का कामकाज प्रभावित होगा.
उल्लेखनीय है कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. 'पुरानी पेंशन बहाली मंच' के बैनर तले 150 संगठनों के 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी करीब आज से करीब एक हफ्ते तक हड़ताल करेंगे. सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए महा हड़ताल को गैर कानूनी घोषित कर एस्मा लगा दिया है, लेकिन कर्मचारियों ने प्रदेश में लागू किए गए यूपी एस्मा से न डरने की हुंकार भी भरी है.
दरअसल, मंगलवार (05 फरवरी) को लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जिलों में ‘एक ही मिशन-पुरानी पेंशन’ की तख्तियां लेकर बाइक रैली निकाली और दफ्तरों का भ्रमण कर कर्मचारियों से हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया था. हड़ताल के लिए नेताओं का संकल्प देख दोपहर तक तय हो गया था कि सरकार चाहे जो रोक लगाए, लेकिन हड़ताल निश्चित रूप से की जाएगी.
सरकार ने हड़ताल का असर फीका करने के लिए पूरी मशीनरी सक्रिय कर दी है. हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों का दावा है कि हड़ताल की अवधि तक न तो निर्वाचन का काम किया जाएगा, न परीक्षाओं में कोई सहयोग किया जाएगा. वहीं, यूपी बोर्ड की परीक्षाएं सात फरवरी से ही शुरू हो रही हैं, जबकि कर्मचारी आज (6 फरवरी) से हड़ताल पर हैं.