Operation Sarp Vinash: जब आतंकियों पर काल बनकर टूटे थे Gujjar, मार डाले थे 65 आतंकी
जम्मू कश्मीर में 2003 में आतंकियों ने राजौरी के एक पहाड़ी इलाके में मुस्लिम गुज्जर युवक को मार दिया था. उसके बाद गुज्जरों ने सेना ऑपरेशन सर्प विनाश (Operation Sarp Vinash) में भाग लेकर ऐसा कहर बरपाया कि आतंकी उसे याद कर आज तक सिहर उठते हैं.
जम्मू: राजौरी (Rajouri) के दूरदराज के इलाक़ों में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं हुई है. पहाड़ों में दूर-दूर तक फैले छोटे-छोटे गांवों में लोग शांति से रहते हैं और स्थानीय गुज्जर (Gujjar) आराम से अपने पशु पालते हैं.
राजौरी में 2 दशक पहले तक आतंकियों का राज था
इस शांति के पीछे स्थानीय लोगों और सेना का आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का संयुक्त संकल्प है. ये वो इलाक़ा है जहां दो दशक पहले आतंकवादियों का राज था. पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादी यहां के पहाड़ों में रुकते थे, ट्रेनिंग लेते थे और जम्मू या पीर पंजाल (Pir Panjal Hills) पारकर दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी कार्रवाइयां करते थे.
सेना ने वर्ष 2003 में चलाया Operation Sarp Vinash
आतंकियों (Terrorists) ने यहां के लोगों को डराने के लिए बड़े पैमाने पर नरसंहार किए, जिससे वे डरकर उनका साथ दें. लेकिन ऐसी एक हत्या ने आतंकवादियों के खिलाफ नफरत की ऐसी लहर पैदा की, जो आतंकवादियों को बहाकर ले गई. सेना और स्थानीय गुज्जरों (Gujjar) ने वर्ष 2003 की गर्मियों में आतंकवादियों के खिलाफ 'ऑपरेशन सर्प विनाश' (Operation Sarp Vinash) नाम का बड़ा अभियान चलाया. इस अभियान में 65 से ज्यादा आतंकवादियों को मार डाला गया. इसे मिनी कारगिल का नाम दिया गया था.
आतंकियों ने पीर पंजाल की पहाड़ियों में बना लिए थे ठिकाने
कारगिल के बाद से ही पाकिस्तानी आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर को बांटने वाली पीर पंजाल रेंज (Pir Panjal) के ऊंचे पहाड़ों पर सुरक्षित ठिकाने बनाने शुरू कर दिए थे. 10 हजार से 12 हजार फीट तक की ऊंचाई वाले इन पहाड़ों पर गुज्जर (Gujjar) अपने पशु चराते घूमते हैं. इस इलाके में सेना या पुलिस बहुत कम आती थी. आतंकवादियों ने इन गुज्जरों के बनाए हुए अस्थायी ठिकानों यानि ढोकों को पक्का बनाकर अपने लिए मज़बूत ठिकाने बनाने शुरू किए. उनका इरादा यहां सुरक्षित बेस बनाकर पूरे जम्मू-कश्मीर में गुरिल्ला हमले शुरू करने का था.
गुज्जर युवक की हत्या के बाद शुरू हुआ था ऑपरेशन सर्प विनाश
इन आतंकियों ने वर्ष 2002 में हिल काका (Hill Kaka) गांव के एक गुज्जर युवक की हत्या कर दी क्योंकि उन्हें उसके मुखबिर होने का शक था. इस घटना ने उस युवक के भाई समेत कई गुज्जर (Gujjar) युवकों को आतंकवादियों के खिलाफ हथियार उठाने की प्रेरणा दी. ये सारे युवक सऊदी अरब में नौकरियां करते थे. वो वापस आए और उन्होंने सेना से संपर्क किया. सेना को उन्होंने जानकारी दी कि हिल काका के पास के पहाड़ों में सैकड़ों की तादाद में आतंकवादियों ने अपने अड्डे बना लिए हैं. इनमें रहने, सुरक्षा यहां तक कि अस्पताल तक की सुविधा है.
सेना और पुलिस के साथ मिलकर गुज्जरों ने किए आतंकियों पर हमले
सेना और पुलिस ने उन पर भरोसा किया और एक बड़े अभियान की तैयारी शुरू कर दी गई. पहाड़ों में रहने वाले गुज्जरों के पास इलाक़े के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी. सेना की विशेष यूनिट 9 पैरा और पुलिस ने गुज्जरों को हथियारों की ट्रेनिंग दी. जनवरी 2003 में पहली बार हिल काका (Hill Kaka) के पहाड़ों पर आतंकवादियों पर हमले की कोशिश की गई लेकिन भारी बर्फबारी की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पाया. आखिरकार 22 अप्रैल को पुलिस,सेना और स्थानीय गुज्जरों (Gujjar) के स्पेशल ग्रुप्स ने 150 वर्ग किमी के इलाक़े में कार्रवाई शुरू की जो जून तक चलती रही.
कारगिल के बाद आतंकियों पर पहली बड़ी कार्रवाई
इस ऑपरेशन ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा. कारगिल के बाद इतने बड़े इलाके में की गई ये पहली सैनिक कार्रवाई थी. ये कार्रवाई इतनी बड़ी थी कि इसमें हेलीकॉप्टर्स और तोपखाने का भी इस्तेमाल किया गया था. पहली ही कार्रवाई में वो आतंकवादी मारा गया, जिसने हिल काका (Hill Kaka) में गुज्जर युवक की हत्या की थी. इस अभियान के मुखिया रहे गुज्जर युवक के भाई ताहिर फजल चौधरी कहते हैं कि हमारे आगे कोई आतंकवादी टिक नहीं पाया. उन्होंने कहा,'गुज्जर पहाड़ पर चढ़ने-उतरने की पैदा होते ही ट्रेनिंग ले लेते हैं. जब उन्हें सेना-पुलिस का साथ मिला तो आतंकवादियों का सफ़ाया करना बहुत आसान हो गया.
ऑपरेशन में 65 आतंकियों का हुआ खात्मा
जब जून में ये अभियान खत्म हुआ तब तक 65 आतंकवादी मारे जा चुके थे और उनके 119 पक्के ठिकाने तबाह कर दिए गए थे. वहां से सुरक्षा बलों को 47 असॉल्ट राइफलें, 11 विदेशी पिस्टल, 12 मशीन गन, 19 अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर्स, 178 ग्रेनेड, 25 माइन और एक रॉकेट लांचर समेत बड़ी मात्रा में गोलाबारूद मिला. यहां से 7 हजार किलो राशन भी मिला, जो 300 आतंकवादियों के लिए पूरी सर्दियों के लिए पर्याप्त था. पहाड़ों में 20 फीट से 40 फीट नीचे ऐसे बंकर भी मिले, जिन्हें भारी बमबारी से भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता और जिन्हें अफगानिस्तान की तोरा-बोरा पहाड़ियों के मॉडल पर बनाया गया था. इनमें एक समय में 50 आतंकवादी शरण ले सकते थे.
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Operation Sarp Vinash ने तोड़ दी आतंकियों की रीढ़
ऑपरेशन सर्प विनाश (Operation Sarp Vinash) ने पीर पंजाल के दक्षिण में आतंकवादियों (Terrorists) की कमर तोड़ दी. प्रतिक्रिया में उन्होंने दूर-दराज़ के गांवों में कुछ हमले किए लेकिन स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों ने जल्द ही उनका सफ़ाया कर दिया. यहां के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए अब आतंकवाद केवल एक पुरानी याद है. पिछले कई सालों से इन इलाकों में किसी आतंकवादी गिरोह ने कोई वारदात करने का साहस नहीं किया है.
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