ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य शक्ति और उसके बाद कूटनीतिक स्पष्टता के मिश्रण ने देश को वैश्विक स्तर पर एक सम्मानित आवाज बना दिया है. यह साबित कर दिया है कि भारत संकट को बिना युद्ध में बदले संभाल सकता है.
Trending Photos
रमाकांत चौधरी I एक राष्ट्र जो गर्व के साथ विकसित भारत बनने की ओर बढ़ रहा है, आतंकवाद के काले साये के खिलाफ एकजुट एवं निर्भीक होकर है चट्टान की तरह खड़ा - एक ऐसा राष्ट्र जो न केवल अपने लोगों की रक्षा करता है, बल्कि विश्व को एक जोरदार संदेश भी देता है: "हम मजबूत हैं, और हम झुकेंगे नहीं! हम उनका पीछा पृथ्वी के छोर तक करेंगे…" ऑपरेशन सिन्दूर ने स्पष्ट और सशक्त रूप से यह साबित कर दिया कि नया भारत सफलता की कहानी है और यह भारत की सभ्यतागत भावना को प्रतिबिंबित करता है: "भय बिनु होई न प्रीति" (डर के बिना प्यार नहीं होता).
7 मई 2025 को शुरू किया गया यह सैन्य अभियान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले का भारत का साहसिक जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी. ऑपरेशन सिन्दूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया और उनके ठिकानों को नष्ट कर दिया. चार दिनों तक चले इस अभियान को भारत और विश्व के युद्ध इतिहास में एक शानदार सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जिसने पाकिस्तान पर सटीक हमला करके उसकी सैन्य कमजोरियों को उजागर किया और आतंकी ढांचे को ध्वस्त कर दिया. यह सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं था - यह वैश्विक मंच पर भारत का चमकता हुआ पल था. आइए, इसे पांच बड़े "क्यों" के जरिए समझें कि कैसे भारत विश्व के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बन रहा है.
क्यों भारत की कूटनीति और युद्धक्षेत्र की ताकत एक साथ चलती है?
भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए ताकत और समझदारी दोनों का इस्तेमाल कर सकता है. ऑपरेशन सिन्दूर एक ऐतिहासिक सफलता थी, जिसने पाकिस्तान पर "हथौड़े और चिमटे" की तरह सटीक हमला किया. इसने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाया, उनकी कमजोरियों को बेनकाब किया और आतंकी ढांचे को नष्ट कर दिया, जिसमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे.
भारत की वायु रक्षा प्रणाली, S-400 ‘सुदर्शन चक्र’ ने पाकिस्तान के कमजोर मिसाइल हमलों को रोक दिया. कूटनीतिक स्तर पर भी भारत अडिग रहा. अभियान के बाद भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और रूस जैसे देशों से संपर्क किया और स्पष्ट किया कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, न कि पाकिस्तानी नागरिकों या सैन्य ठिकानों को. 17 मई 2025 को भारत सरकार ने एक और साहसिक कदम उठाया और पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाने के लिए सात सदस्यों की सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रमुख देशों, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य भी शामिल हैं, भेजने का फैसला किया.
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, जेडीयू के संजय कुमार झा, बीजेपी के बैजयंत पांडा, डीएमके की कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी की सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे शामिल हैं, जो भारत की राष्ट्रीय सहमति और आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के दृढ़ दृष्टिकोण को विश्व के सामने रखेंगे. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, "विश्व को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना होगा." सैन्य शक्ति और कूटनीतिक स्पष्टता के इस मिश्रण ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक सम्मानित आवाज बना दिया है, यह साबित करते हुए कि वह संकटों को बिना युद्ध में परिवर्तन किये संभाल सकता है.
क्यों भारतीय सेना की ताकत वैश्विक उदाहरण है?
भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान अपनी बेजोड़ ताकत दिखाई, एक ही अभियान में 100 से अधिक आतंकवादियों को खत्म कर दिया. 7 मई 2025 को भारत ने सिर्फ 25 मिनट में 24 मिसाइलें दागीं, नौ आतंकी ठिकानों को सटीकता के साथ नष्ट किया. जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हुई झड़पों के बाद से भारतीय सेना ने संरचनात्मक सुधार, तकनीकी उन्नति और निगरानी व टोही कार्यों को उन्नत किया है.
इस अभियान में स्वदेशी हथियारों जैसे स्काईस्ट्राइकर ड्रोन, स्काल्प मिसाइलें और हैमर बमों का इस्तेमाल किया गया, जिसने भारत की शक्तिशाली तकनीकी-सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया. एयर मार्शल एके भारती ने बताया कि हमले सावधानी से योजनाबद्ध थे ताकि नागरिक क्षति न हो, भले ही पाकिस्तान ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की. इस सटीकता और पेशेवरता ने भारत को विश्वभर में प्रशंसा दिलाई. पाकिस्तान के विपरीत, जो चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों के समर्थन पर निर्भर है, भारत ने यह लड़ाई अकेले लड़ी, अपनी आत्मनिर्भरता और सैन्य ताकत दिखाई. विश्व अब भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखता है जो अपनी रक्षा कर सकता है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दूसरों के लिए मिसाल पेश कर सकता है.
क्यों पीएम मोदी के भाषण ने दिखाया कि आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते?
12 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया, पाकिस्तान और विश्व को एक सशक्त संदेश दिया. उन्होंने कहा, "आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते, पानी और खून साथ नहीं बह सकते." यह एक स्पष्ट चेतावनी थी: भारत किसी भी ऐसे देश के साथ संबंध नहीं रखेगा जो आतंकवाद का समर्थन करता हो. मोदी ने पाकिस्तान के "परमाणु ब्लैकमेल" के प्रयासों को भी खारिज किया, यह कहते हुए कि भारत ऐसे खतरों से डरने वाला नहीं है.
उन्होंने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान शांति चाहता है, तो उसे अपने आतंकी ठिकानों को नष्ट करना होगा. मोदी के शब्द सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं थे - वे वैश्विक समुदाय के लिए भी थे. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान से सिर्फ दो चीजों पर बात करेगा- आतंकवाद को रोकना और PoK को वापस करना. इस साहसिक रुख ने भारत को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया जो शांति को महत्व देता है लेकिन आतंक से समझौता नहीं करता. मोदी के भाषण ने भारतीयों को एकजुट किया और विश्व को दिखाया कि नया भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा, जो हमें फिल्म प्रिडेटर की एक प्रसिद्ध पंक्ति की याद दिलाता है: "अगर यह खून बहाता है तो हम इसे मार सकते हैं." भारत की शक्तिशाली तकनीकी-सैन्य शक्ति ने वाकई आतंकवादियों को संकल्प और संयम के साथ खत्म किया.
क्यों भारत-पाकिस्तान युद्धों में भारत की जीत इसकी ताकत को साबित करती है?
भारत और पाकिस्तान ने चार युद्ध लड़े हैं - 1947, 1965, 1971 और 1999 में - और हर बार भारत मजबूत बनकर उभरा. 1971 में भारत ने बांग्लादेश बनाकर पाकिस्तान को दो हिस्सों में तोड़ दिया, जो उनके लिए एक बड़ी हार थी. 1999 के कारगिल युद्ध में भारत ने कठिन पहाड़ी परिस्थितियों के बावजूद पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया, अपनी दृढ़ता दिखाई. ऑपरेशन सिन्दूर ने इस जीत की परंपरा में एक नया अध्याय जोड़ा, विश्व को एक स्पष्ट संदेश दिया कि नया भारत आतंकवादियों को कभी भी, कहीं भी सजा दे सकता है - जो भारत के इस जज्बे को दर्शाता है, जैसा कि बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राजकुमार की पंक्ति में दिखता है: "हम तुम्हें मारेंगे लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा."
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, "हमने हर बार युद्ध के मैदान में पाकिस्तान को हराया है, और इस बार ऑपरेशन सिन्दूर ने एक नया आयाम जोड़ा है." जहां पाकिस्तान की सेना भारत के हमलों के बाद शांति की भीख मांगने पर मजबूर हो गई, वहीं भारत ने आधुनिक युद्ध में अपनी श्रेष्ठता साबित की. पाकिस्तान, जिसे अक्सर "डीप स्टेट" कहा जाता है जहां सेना सब कुछ नियंत्रित करती है, गरीब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है और जीवित रहने के लिए वैश्विक फंडिंग पर निर्भर है. इसके विपरीत, भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और मोदी के मजबूत नेतृत्व ने इसे एक आत्मनिर्भर शक्ति बना दिया, जो वैश्विक मंच पर चमक रहा है.
क्यों आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस नीति और कश्मीर रुख विश्व को प्रेरित करता है?
भारत ने हमेशा आतंकवाद के प्रति "जीरो टॉलरेंस" नीति अपनाई है, और ऑपरेशन सिन्दूर ने इसे साबित कर दिया, पाकिस्तान और PoK में आतंकी ढांचे को नेस्तनाबूद करके. पहलगाम हमले के बाद, जिसमें आतंकवादियों ने 26 लोगों को मार डाला, जिसमें पर्यटक भी शामिल थे, भारत ने तुरंत कार्रवाई की. यह हमला पाकिस्तान समर्थित समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ा था, जो लंबे समय से भारत को निशाना बनाते रहे हैं. मोदी ने अपने भाषण में साफ कहा- "हम आतंकवादियों और सरकार को अलग नहीं देखेंगे."
उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं, जो आतंकवाद के प्रति उनके समर्थन को दिखाता है. भारत ने कश्मीर मुद्दे को "अंतर्राष्ट्रीयकरण" करने से भी इनकार कर दिया. मोदी ने कहा कि पाकिस्तान से बात सिर्फ आतंकवाद और PoK के बारे में होगी, कश्मीर के बारे में नहीं क्योंकि यह भारत का आंतरिक मामला है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का मिशन इस रुख को और मजबूत करता है, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुटता को दर्शाता है. इस दृढ़ स्थिति ने विश्व को आतंकवाद से निपटने के तरीके पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है. जहां पाकिस्तान चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों से मदद मांगता है और अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए वैश्विक फंडिंग पर निर्भर करता है, वहीं भारत अकेले साहस और स्पष्टता के साथ लड़ता है और वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक चमकता नार्थ स्टार बनकर सम्मान अर्जित करता है.
नया भारत: युद्ध नहीं, बल्कि आतंकवादियों के लिए कठोर सबक
ऑपरेशन सिन्दूर युद्ध शुरू करने के बारे में नहीं था - यह आतंकवादियों को कठोर सबक सिखाने के बारे में था. मोदी ने कहा, "यह युद्ध का युग नहीं है, लेकिन यह आतंकवाद का युग भी नहीं है." भारत के हमले सटीक थे, केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, न कि नागरिकों या सैन्य ठिकानों को, जिससे भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता दिखी. लेकिन इस अभियान ने एक सशक्त संदेश दिया: अगर हमला हुआ तो भारत कड़ा जवाब देगा. विश्व ने भारत की ताकत और संयम देखा, क्योंकि इसने पाकिस्तान की शांति की गुहार के बाद अभियान को रोक दिया लेकिन जरूरत पड़ने पर और कार्रवाई का विकल्प खुला रखा.
वैश्विक मंच पर, भारत ने साबित किया कि उसे आतंकवाद से लड़ने के लिए विदेशी समर्थन की जरूरत नहीं है, जैसा कि पाकिस्तान करता है, जो दूसरों पर निर्भर है. भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताएं, जैसे स्वदेशी हथियारों का उपयोग और गलवान झड़पों के बाद से उन्नत निगरानी, इसकी आत्मनिर्भरता को दिखाती हैं. इस बीच, पाकिस्तान की तंग अर्थव्यवस्था और "डीप स्टेट" राजनीति इसे एक कमजोर खिलाड़ी बनाती है, जो अपने दम पर खड़ा होने में असमर्थ है. ऑपरेशन सिन्दूर के जरिए भारत ने विश्व को दिखाया कि ताकत, एकता और शांति के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ आतंकवाद से कैसे लड़ा जाता है.
इस पूरे विश्लेषण का निचोड़ यही है कि ऑपरेशन सिन्दूर ने नया भारत को वैश्विक मंच पर एक चमकता हुआ नार्थ स्टार बना दिया है. इसकी कूटनीति और सैन्य ताकत के शक्तिशाली मिश्रण से लेकर आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति तक, भारत ने विश्व के लिए एक नया मानक स्थापित किया है. जैसा कि महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, "ताकत शारीरिक क्षमता से नहीं आती. यह एक अटल इच्छाशक्ति से आती है." आतंकवाद से लड़ने और अपने लोगों की रक्षा करने की भारत की इच्छाशक्ति अटूट है और यही कारण है कि यह आज इतना चमक और दमक रहा है. आइए इस नए भारत का उत्सव मनाएं - एक ऐसा राष्ट्र जो साहस, एकता और शांतिपूर्ण विश्व के सपने के साथ विकसित भारत बनने की ओर बढ़ रहा है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और एक समूह में कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजिस्ट हैं.)