DNA Analysis: ऑपरेशन सिंदूर... 9 हमले, 9 सबूत; भारत ने इन्हीं लोकेशन को क्यों चुना?
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DNA Analysis: ऑपरेशन सिंदूर... 9 हमले, 9 सबूत; भारत ने इन्हीं लोकेशन को क्यों चुना?

DNA Analysis: ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मनों के 9 टारगेट पर स्ट्राइक की गई लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन नौ ठिकानों को तबाह किया गया. आखिर उन्हें ही टारगेट पर क्यों लिया गया. PoK से लेकर पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर भारत की मिसाइलों ने इन्हीं ठिकानों पर हमला क्यों किया? 

DNA Analysis: ऑपरेशन सिंदूर... 9 हमले, 9 सबूत; भारत ने इन्हीं लोकेशन को क्यों चुना?

DNA Analysis: दुश्मन की आंखों में खौफ अच्छा है. रावण की लंका में भी हनुमान जी के नाम का खौफ था. जैसे हनुमान जी ने लंका को जलाते वक्त अपने लक्ष्य पहले ही तय कर लिए थे, ठीक उसी तरह भारतीय सेना का टारगेट भी पहले से फिक्स था. ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मनों के 9 टारगेट पर स्ट्राइक की गई लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन नौ ठिकानों को तबाह किया गया. आखिर उन्हें ही टारगेट पर क्यों लिया गया. PoK से लेकर पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर भारत की मिसाइलों ने इन्हीं ठिकानों पर हमला क्यों किया? इन सवालों का जवाब हमने आपके लिए कई रक्षा विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर तैयार किया है. जिसे आज आपको जरूर जानना चाहिए. लेकिन उससे पहले ये समझिए कि भारत ने पाकिस्तान के किन 9 आतंकी ठिकानों को Hit किया.

* पहली लोकेशन है सवाई नाला कैंप. ये LoC से 20 किलोमीटर अंदर PoK के मुजफ्फराबाद में है.
* दूसरी लोकेशन है सैयदना बिलाल कैंप. ये भी PoK के मुजफ्फराबाद में ही मौजूद है.
* तीसरी लोकेशन गुलपुर कैंप. लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर अंदर PoK के कोटली में है.
* चौथी लोकेशन. बरनाला कैंप. LoC से 9 किलोमीटर अंदर PoK के भिंभर में है.
* पांचवीं लोकेशन है LoC से 13 किलोमीटर अंदर. कोटली में मौजूद अब्बास कैंप.
ये तो वो पांच लोकेशन हैं, जो पीओके में हैं. यानी सरहद के बेहद करीब. लेकिन हिंदुस्तान ने इस बार इंटरनेशनल बॉर्डर के पार जाकर आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया है.
* भारत की मिसाइलों ने इंटरनेशनल बॉर्डर से 6 किलोमीटर अंदर सियालकोट के सरजाल कैंप को तबाह कर दिया.
* इंटरनेशनल बॉर्डर से 18-20 किलोमीटर अंदर सियालकोट में ही बने आतंकियों के महमूना जोया कैंप को भी मिट्टी में मिला दिया गया है.
* जिन दो सबसे बड़े ठिकानों को निशाना बनाया गया है उनमें से एक है मुरीदके का मरकज तैयबा. जो लश्कर ए तैयबा का हेडक्वार्टर है. यहां भी इंटरनेशनल बॉर्डर से 25 किलोमीटर अंदर घुसकर हमला किया गया है.
* इस हमले में जैश ए मोहम्मद के हेडक्वार्टर मरकज शुभान अल्लाह पर भी मिसाइलें दागी गई हैं. जो इंटरनेशनल बॉर्डर से 100 किलोमीटर अंदर पाकिस्तान के बहावलपुर में है.

9 सबूतों के विश्लेषण
वैसे तो ये पहली बार नहीं है जब हिंदुस्तान ने पाकिस्तान में अंदर घुसकर एयरस्ट्राइक की है. 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भी इंटरनेशनल बॉर्डर को क्रॉस किया गया था. तब चंद लोगों ने सबूत मांगा था. पाकिस्तान भी सबूत मांग रहा था। और हमारे देश में रहकर पाकिस्तान का एजेंडा चलाने वाले कुछ अल्प-बुद्धिजीवी भी सबूत मांग रहे थे. लेकिन इस बार सेना ने 25 मिनट के ऑपरेशन सिंदूर के एक नहीं 9 सबूत वो भी वीडियो के साथ रिलीज कर दिए. ताकि सबूत गैंग की दुकान हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो जाए। अब आपको बदले के उन 9 सबूतों का विश्लेषण भी जानना चाहिए.

सबसे पहले आपको बताते हैं PoK के अब्बास कैंप पर हमले का सबूत. बताया जा रहा है कि ये पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर पहला अटैक था. इस हमले का जो वीडियो सबूत सेना की तरफ से जारी किया गया है, हम वही वीडियो आपको बिना काटे छांटे दिखा रहे हैं. हमला कितना सटीक था इसका अंदाजा भी इस वीडियो सबूत से ही लगाया जा सकता है. हमले के इस रियल टाइम वीडियो में टारगेट के CO ORDINATES भी दिख रहे हैं. यानी एकदम पिन प्वाइंट अटैक किया गया है.

हमने अब्बास कैंप पर हमले के इस वीडियो को बड़े गौर से देखा है. आपको रिकॉर्डिंग का जो इंटरफेस दिख रहा है वो HERON ड्रोन के इंटरफेस से मिलता जुलता है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमले में Heron ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है. ये ड्रोन क्या है हम आपको आगे विस्तार से बताएंगे. इसकी ताकत क्या है. ये भी बताएंग. लेकिन पहले आप ऑपरेशन सिंदूर का दूसरा वीडियो सबूत जानिए. ये सवाई नाला कैंप पर हमले का वीडियो है. यहां भी आतंकियों के कैंप को पिन प्वाइंट टारगेट कर के तबाह किया गया है.

आप सोच रहे होंगे कि हमले की इन लाइव तस्वीरों को रिकॉर्ड कैसे किया गया है. तो आपको बता दें कि जो ड्रोन्स भारत आज की तारीख में इस्तेमाल करता है, वो हाई क्वालिटी इनफ्रारेड कैमरों से लैस होते हैं. जिनके जरिये टारगेट को सेट किया जाता है. साथ ही कमांड सेंटर में बैठे सेना के अधिकारी इसे रियल टाइम में यानी लाइव देख भी सकते हैं. हम आपको वही बता रहे हैं जो कल रात सेना के कमांडर्स लाइव देख रहे थे.

ऑपरेशन सिंदूर का सबूत
ऑपरेशन सिंदूर का तीसरा सबूत जानिए. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे रिहायशी इलाके के बीचों बीच बना ये टेरर कैंप पूरी तरह से तबाह कर दिया गया. ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने कई तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया है. ताकि एक साथ नौ ठिकानों पर हमला किया जा सके. सेना ने पीओके के दो आतंकी कैंप्स पर हमला करने के लिए कामिकाजे ड्रोन यानी सुसाइड ड्रोन का इस्तेमाल किया है. जिसका सबूत आप देख रहे हैं. रात के 1 बजकर सात मिनट और चंद सेकंड हो रहे थे. और सेना का ये सुसाइड ड्रोन गुलपुर कैंप की तरफ तेजी से बढ़ रहा था. कैमरे में इस कैंप पर हमले से पहले का आखिरी सेकंड तक कैद है और जब ये ड्रोन टकराया तो इससे कनेक्शन टूट गया. यानी ड्रोन ने अपना काम पूरा कर लिया. सियालकोट में बने आतंकी कैंप महमूना जोया पर हमले का ये सबूत अब देखिए. 1 बजकर 11 मिनट हो रहे हैं. यानी गुलपुर कैंप पर हमले के चार मिनट बाद महमूना कैंप पर भी कामिकाजे ड्रोन से हमला किया गया. जिस वक्त इस कैंप में आतंकी सो रहे थे. तब इस ड्रोन ने सरप्राइज अटैक किया. और देश के दुश्मनों को उनके कैंप में ही दफ्ना दिया. ये तस्वीरें भी कमांड सेंटर में बैठे सेना के अधिकारी लाइव देख रहे थे. यानी दुश्मन पर हमला कब कहां और कैसे हो रहा था. इसकी पल पल की अपडेट वॉर रूम में थी.

अब आप ऑपरेशन सिंदूर के तहत PoK के भिंभर में बने बरनाला कैंप की तबाही के प्रमाण जानिए. यहां भी आसमान से एक बम गिरा और इसके चंद सेकंड के बाद ये कैंप तबाह हो गया. यहां भी अगर आप इस वीडियो को देखेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा की कैसे घनी आबादी वाले इस इलाके में एक खास बिल्डिंग को निशाना बनाया गया.

सेना ने ड्रोन कैमरों के जरिए कैद किया सबूत
इन हमलों के सबूत तो सेना ने ड्रोन कैमरों के जरिए कैद कर लिया लेकिन कुछ सबूत पाकिस्तान से भी आए हैं. मुरीदके में जैश ए मोहम्मद के हेडक्वार्टर मरकज तैयबा पर हिंदुस्तान ने मिसाइलों से वार किया. इसके बाद वहां का मंजर क्या है. ये उसका वेरिफाइड फुटेज है. सोशल मीडिया पर कई गलत वीडियोज वायरल हो रहे हैं. लेकिन ये वीडियो हमने सेना के अपने SOURCES से वेरिफाई किया है. ताकि आप तक सटीक जानकारी पहुंच सके.

सेना ने बहावलपुर में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के हेडक्वार्टर मरकज शुभानल्लाह पर भी जोरदार हमला किया है. इस हमले के बाद जैश की इस टेरर यूनिवर्सिटी की दीवारें मिट्टी में मिल चुकी हैं. जैश अपने जिस हेडक्वार्टर में आतंकियों को ट्रेन करता था. जहां बैठकर जैश के आतंकी भारत पर हमले की प्लानिंग बनाया करते थे. वो जगह अब खंडहर बन चुकी है. बताया जा रहा है कि इस टेरर बेस पर चार मिसाइलें गिराई गई हैं और वहां से आई तस्वीरें ही इसका सबूत हैं.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत टारगेट किये गए आतंक के उन 9 अड्डों के वीडियो सबूत आपने अब तक देखे. लेकिन करीब 9 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले पाकिस्तान के इन्हीं 9 ठिकानों को क्यों चुना गया. अब इसकी वजह आपको बताते हैं. सबसे पहले बात करते हैं बहावलपुर में जैश ए मोहम्मद के हेडक्वार्टर मरकज शुभान अल्लाह की.
- ये वही जगह है जहां पुलवामा हमले के आतंकियों को ट्रेनिंग मिली थी.
- ये आतंकियों की रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग, और ब्रेनवॉश का सेंटर था
- यहां एक बार में 600 आतंकियों की ट्रेनिंग होती थी
- 15 एकड़ के इस कैंपस में मौलाना मसूद अजहर का घर भी था. लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि मसूद अजहर हमले के वक्त वहां मौजूद था या नहीं.

जैश के इस हेडक्वार्टर को सेना ने अपने प्रोटेक्शन में रखा था.. क्योंकि बहावलपुर में ही पाकिस्तानी फौज की 31 कोर STATIONED है.. जिसमें करीब 45 हजार फौजी हैं.. बावजूद इसके भारत की PRECISION GUIDED MISSILE ने जैश के इस कमांड सेंटर को तबाह कर दिया. मरकज शुभान अल्लाह के अलावा जो सबसे बड़ा आतंकी कैंप भारतीय सेना ने तबाह किया है वो है मरकज तैयबा.

- मुरीदके में बना मरकज तैयबा. लश्कर ए तैयबा का हेडक्वार्टर था
- 2008 मुंबई आतंकी हमले की ट्रेनिंग कसाब और बाकी आतंकियों को यहीं से मिली थी.
- डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की ट्रेनिंग भी यहीं हुई थी
- 82 एकड़ में फैले इस कैंपस में आतंकियों का रिक्रूटमेंट होता था. उनका ब्रेनवॉश किया जाता है.इसके बाद उन्हें आर्म्स ट्रेनिंग भी यहीं दी जाती है.
- यहां एक बार में 1000 आतंकियों के रहने की CAPACITY थी.
- लश्कर के कई बड़े आतंकी इसी कैंपस में रहते थे.
- जकी उर रहमान लखवी और हाफिज सईद यहां आकसर आते थे.
- इसके अलावा आपको बता दें की इस कैंपस को बनाने के लिए आतंकी ओसामा बिन लादेन ने 1 करोड़ रुपये दिए थे.

बदला नहीं, आतंकी हमलों का हिसाब एक साथ चुकता किया
हिंदुस्तान इस बार सिर्फ आतंकियों को ही नहीं बल्कि उन्हें पालने वालों पर प्रहार करना चाहता था. यही वजह है कि पाकिस्तान में अंदर तक घुसकर हमला किया. जैश और लश्कर के हेडक्वार्टर्स के अलावा सियालकोट में इनके दो बड़े बेस पर भी हमला किया गया. इन दो टेरर कैंप्स पर हमला करने के पीछे की वजह आज कर्नल सोफिया कुरैशी ने भी बताई. सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सिर्फ पहलगाम का बदला नहीं लिया है.. बल्कि कई आतंकी हमलों का हिसाब एक साथ चुकता किया है.

PoK में जिस सवाई नाला कैंप पर हमला किया गया है. उसी की कुंडली देख लीजिए.
- 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग में आतंकी हमला यहीं से करवाया गया था.
- 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग में हमले की प्लानिंग यहीं से हुई थी.
- 22 अप्रैल 2025... पहलगाम हमले के लिए आतंकियों को ट्रेनिंग भी इसी कैंप से मिली थी..
- इस कैंप में आतंकियों को टैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती थी..
- आतंकियों को  जीपीएस, मैप रीडिंग जैसी तकनीक सिखाई जाती थी.
- राइफल और ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी.
- इस सेंटर को पाकिस्तानी आर्मी भी इस्तेमाल करती थी.
- अजमल कसाब समेत 26/11 आतंकियों को यहां भी ट्रेनिंग मिली थी.
- ये टेरर कैंप नॉर्थ कश्मीर में घुसपैठ का लॉन्चपैड भी था.

PoK के मुजफ्फराबाद और कोटली के दो टेरर कैंप्स. सयदीना और गुलपुर कैंप को भी पूरी तरह से तबाह कर दिया है. ये दोनों कैंप्स जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे थे. इन दोनों कैंप्स की डीटेल्ड रिपोर्ट मिलने के बाद ये सेना के टारगेट पर आए. PoK के अब्बास कैंप की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. यहां लश्कर ए तैयबा के फिदायीन तैयार किए जाते थे. यहां एक बार में 15 आतंकियों को ट्रेन करने की कपैसिटी थी. यहां हमला करना सेना के लिए कितनी बड़ी सफलता है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि कोटली मिलिट्री कैंप यहां से महज 2 किमी की दूरी पर है

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके के करीब करीब हर उस बड़े कैंप को तबाह कर दिया गया है. जो या तो जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार थे. या फिर आगे किसी हमले की प्लानिंग कर रहे थे. भय बिनु होय न प्रीत. लंका चढ़ाई के समय श्रीराम ने विनयपूर्वक समुद्र से मार्ग देने की गुहार लगाई। लेकिन जब इंतजार करते हुए तीन दीन बीत गए तब प्रभु श्री राम ने कहा था.. भय बिनु होय न प्रीत. यानी बिना डर के कुछ नहीं होता. भारत ने भी पाकिस्तान को बार बार आतंकवाद पर लगाम लगाने को कहा. प्यार से कहा. लेकिन जब पाकिस्तान नहीं माना. तो उसके अंदर भी भय पैदा करना जरूरी था. यही वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए.. उसके नौ ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया गया.

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