यूरोपियन यूनियन के 23 सांसदों का दल आज जम्मू कश्मीर के दौरे पर है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला जम्मू-कश्मीर दौरा है.
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नई दिल्ली: यूरोपियन यूनियन (European Union) के 23 सांसदों का दल आज जम्मू-कश्मीर (Jammu-kashmir) के दौरे पर है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला जम्मू-कश्मीर दौरा है. इस दौरान सांसदों की टीम ये देखेगी की पिछले कुछ दिनों में वहां कितना बदलाव आया है और सरकार के ताजा फैसलों से वहां के लोग कितने खुश या नाखुश हैं. उधर, विपक्ष ने यूरोपियन सांसदों के जम्मू कश्मीर दौरे पर ऐतराज जताया है.
मायावती (Mayawati) और प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करके यूरोपियन सांसदों के जम्मू कश्मीर दौरे पर सवाल उठाए. मायावती ने लिखा है कि यूरोपियन सांसदों को भेजने से पहले सरकार अगर अपने देश के, खासकर विपक्षी सांसदों को कश्मीर जाने की इजाजत दे देती, तो ज्यादा बेहतर होता. वहीं, प्रियंका वाड्रा ने लिखा कि कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटे और हस्तक्षेप की इजाजत है, लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया. असदुद्दीन ओवैसी और कपिल सिब्बल ने भी इस दौरे को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. बड़ा सवाल यही है कि विपक्ष, पाकिस्तान के लिए कब तक 'बैटिंग' करेगा.
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EU सांसदों के ये होगा फायदा
ये प्रतिनिधिमंडल एक तरफ जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को पूरी दुनिया के सामने बताएगा, वहीं दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में तेज़ी से सुधरते हालात को लेकर अपनी राय रखेगा. यूरोपियन यूनियन के सांसद के जरिये दुनिया घाटी में विकास योजनाओं को ना सिर्फ करीब से देखेगी, बल्कि पूरी दुनिया में जम्मू-कश्मीर को लेकर नजरिया भी बदलेगा. इससे पहले सोमवार को यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की... यूरोपियन यूनियन के सांसदों के साथ संवाद में पीएम मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया.