#BapuTereDeshMein: अगर `माननीय` ही सामाजिक मर्यादा की लक्ष्मण रेखा भूल जाएं तो क्या होगा?
दुनिया को अहिंसा का रास्ता बताने वाले बापू के इस देश की संसद में इस तरह का व्यवहार क्या संदेश देता है?
नई दिल्ली: राज्य सभा में किसान बिल को लेकर जिस तरह विपक्ष का आचरण देखने को मिला क्या वो एक स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है? हमारे देश में संसद सदस्यों को माननीय कहा जाता है. क्या जिस तरह विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने उपसभापति के आसन के करीब आचरण किया वो माननीय सदस्य के आचरण की गरिमा के अनुकूल होता है? दुनिया को अहिंसा का रास्ता बताने वाले बापू के इस देश की संसद में इस तरह का व्यवहार क्या संदेश देता है?
जिस संसद सदस्य का आचरण आम नागरिक के लिए नजीर होना चाहिए वो संसद में हो रहे हंगामे को देखकर क्या इसके प्रति कोई स्वस्थ नजरिया अपना सकेगा. क्या हमारे 'माननीय' हमारे अगुआ नहीं हैं? क्या उनका संसदीय आचरण और सामाजिक जीवन में व्यवहार अनुकरणीय नहीं होना चाहिए?
गौरतलब है कि रविवार को सदन में अमर्यादित आचरण को लेकर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien) और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह (Sanjay Singh) सहित विपक्ष के आठ सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. लेकिन निलंबित सदस्यों ने सदन से बाहर जाने से इनकार कर दिया और कुछ अन्य सदस्यों के साथ मिलकर सदन में विरोध जताते रहे. इस दौरान हंगामे की वजह से सदन का कामकाज बार-बार बाधित हुआ. निलंबित किए गए सदस्यों में कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, तृणमूल के ब्रायन और डोला सेन, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम व आप के संजय सिंह शामिल हैं.
विपक्ष सदस्यों का व्यवहार निंदनीय
सोमवार को शून्यकाल समाप्त होने के बाद सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि एक दिन पहले उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों ने जो आचरण किया वह दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है तथा सदस्यों को इस संबंध में आत्मचिंतन करना चाहिए. नायडू ने हंगामा करने वाले सदस्यों के व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि कि हरिवंश ने बाद में उन्हें सूचित किया कि उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया गया.
आदेश के बाद भी सदन में रहे ब्रायन
नायडू ने रविवार को हुए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि उपसभापति के साथ बदसलूकी की गई, माइक उखाड़े गए और नियमों की पुस्तिका फेंकी गई. उनके साथ अमर्यादित आचरण किया गया. नायडू ने इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन के ‘नाम का उल्लेख’ करते हुए उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा. हालांकि, ब्रायन सदन में ही रहे.
'राज्य सभा के लिए बहुत खराब दिन'
नायडू ने कहा कि कल की घटना संसद खासकर राज्य सभा की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करने वाली थी, जिसमें सदस्य मेज पर खड़े हो गए और सदन में नृत्य तक किया. सभापति ने कहा कि कल हंगामे के दौरान सदस्यों का व्यवहार आपत्तिजनक और असंसदीय था. उन्होंने कहा कि कल का दिन राज्यसभा के लिए बहुत ही खराब दिन था.
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