ड्रग्स और नशोखारी की वजह से चली गई बादल सरकार!
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ड्रग्स और नशोखारी की वजह से चली गई बादल सरकार!

पंजाब में 10 साल से सत्ता संभाल रही शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना पड़ा. उधर कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाती नजर आ रही है. इतना ही नहीं भाजपा और शिअद आम आदमी पार्टी से भी पिछड़ती हुई प्रतीत हो रही है. जानते हैं बादल सरकार का ये हाल क्यों हुआ?

ड्रग्स और नशोखारी की वजह से चली गई बादल सरकार!

चंडीगढ़: पंजाब में 10 साल से सत्ता संभाल रही शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना पड़ा. उधर कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाती नजर आ रही है. इतना ही नहीं भाजपा और शिअद आम आदमी पार्टी से भी पिछड़ती हुई प्रतीत हो रही है. जानते हैं बादल सरकार का ये हाल क्यों हुआ?

पिछले 10 साल में पंजाब में ड्रग्स के चलते सैंकड़ों युवकों की मौत हो गई। यानी कह सकते हैं पूरा पंजाब ड्रग्स और नशोखारी के चपेट में आ गया था. इसका आरोप मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर लगा। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान से ड्रग्स भेजे जा रहे ड्रग्स को बादल सरकार नहीं रोक पा रही है. सरकार के संरक्षण सें यह धंधा फल फूल रहा है। यह चुनावी मुद्दा बना और सत्तारूढ़ पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 

पंजाब की राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का खास दबदबा रहा है. ऐसे में भाजपा से सिद्धू के अलग होने से बादल सरकार को काफी नुकसान हुआ। रैलियों में सिद्धू भीड़ जुटाने के लिए जाने जाते हैं. इतना ही नहीं उनके नाम पर लोग वोट भी डालते जमकर डालते हैं. चुनाव से ठीक पहले सिद्धू दंपति भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस में चले गए. इसके अलावे सत्ता विरोधी लहर भी खूब देखने को मिला। जब भी कोई पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रहती है तो एक स्वभाविक प्रक्रिया के तहत वोटरों के एक धड़ा उससे नाराज होता है. लोग बदलाव चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि नई पार्टी सत्ता में आएगी तो वह कुछ बेहतर काम करेगी. शिअद-बीजेपी गठबंधन भी पिछले 10 साल से पंजाब में सत्ता में थी, इसलिए जनता बदलाव चाह रही थी.

इस बार के पंजाब चुनाव में अप्रवासी पंजाबियों की काफी दखल दिखी. बड़ी संख्या में अप्रवासी पंजाबी अपने खर्चे पर राज्य में लौटे और बादल सरकार के खिलाफ प्रचार किया. अप्रवासी आरोप लगाते रहे कि बादल सरकार में बड़े पैमाने पर जमीनों पर कब्जे हुए. उनका कहना था कि वे विदेशों में पैसे कमाने जाते हैं, यहां उनकी जमीन-जायदादों पर कब्जे हो रहे हैं. अप्रवासी ये भी कहते रहे कि वे चाह कर भी राज्य में निवेश नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इस काम में भी उन्हें बहुत दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा उनका आरोप रहा कि बादल सरकार ने अप्रवासी पंजाबियों के लिए पिछले 10 साल में कोई बड़ा काम नहीं किया.

 

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