मामले के अनुसार अली ने 2011 में जिम की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. उनके दिव्यांग होने के बारे में पता चलने पर जिम ने सदस्यता की शर्त के तौर पर फिजीशियन के साथ ही हड्डी के चिकित्सक दोनों से सर्टिफिकेट की मांग की थी.
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गुवाहाटी: गौहाटी हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में एक दिव्यांग व्यक्ति के साथ भेदभाव करने के जुर्म में एक जिम और असम सरकार पर जुर्माना लगाया है. गौहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश उज्जल भुइयां ने पिछले दिनों अपने एक आदेश में यहां के एक मशहूर जिम और असम सरकार को 50,000-50,000 रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई. दरअसल, दिव्यांगजन रोजगार संवर्धन राष्ट्रीय केंद्र (एनसीपीईडीपी) के कार्यकारी निदेशक अरमान मलिक ने 2011 में जिम द्वारा दी जा रही सुविधाओं के दिव्यांग अनुकूल नहीं होने के आरोप में याचिका दायर की थी.
मामले के अनुसार अली ने 2011 में जिम की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. उनके दिव्यांग होने के बारे में पता चलने पर जिम ने सदस्यता की शर्त के तौर पर फिजीशियन के साथ ही हड्डी के चिकित्सक दोनों से सर्टिफिकेट की मांग की थी. अली ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें हतोत्साहित करने के लिए जिम में उससे कड़ी मेहतन कराई जाती थी. जिम का स्टाफ तथा अन्य लोग भी उन्हें अपमानित करते थे. अदालत ने अपने आदेश में असम सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि संबंधित कानून के अनुसार सामाजिक कल्याण विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारियों को प्रशिक्षण तथा जागरुगता अभियान में शामिल किया जाए.