JK Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले से पूरे देश में गुस्सा है. हर कोई इस हमले से हैरान है. लेकिन इस हमले का समय और इसके पीछे की मंशा को गहराई से समझेंगे तो पाएंगे कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश है. आइए समझते हैं पूरा मामला.
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JK Pahalgam Terror Attack Inside Story: जम्मू-कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले से पूरा देश गुस्से में है, इस घटना में जिन लोगों की मौत हुई है, उनके प्रति पूरे देश की संवेदना है. हर कोई आतंकवाद पर आक्रोश प्रकट कर रहा है. 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद घाटी में ये सबसे बड़ा हमला है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि कुछ लोग घायल भी हुए हैं.
पीएम मोदी सऊदी से वापस आए, किसने ली आतंकी हमले की जिम्मेदारी?
वहीं इस हमले की जानकारी मिलते ही पीएम मोदी अपना सऊदी दौरा बीच में छोड़ दिल्ली वापस लौट चुके हैं. आते ही उन्होंने एक हाई लेवल मीटिंग की है. इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नाम के संगठन ने ली है.
पहलगाम के आतंकी हमले की टाइमिंग बहुत कुछ कहती है?
लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इसके पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है. अब सवाल इस हमले की टाइमिंग पर है, अगर आप इसे ध्यान से समझेंगे तो समझ में आएगा कि आखिर इस हमले के पीछे कौन लोग हो सकते हैं. जानते हैं पूरा समीकरण.
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला एक बार फिर से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की कायरता को उजागर करता है. लेकिन इस हमले का समय और इसके पीछे की मंशा को गहराई से समझने की जरूरत है. जब एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे और दूसरी ओर अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर थे, ठीक उसी समय यह हमला कई सवाल खड़े करता है. यह सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित संदेश देने की कोशिश थी.
दुबई से भारत की दोस्ती, पाकिस्तान की घबराहट
पहलगाम में जब हमला हुआ तब पीएम मोदी सऊदी की यात्रा पर ही थे, वह अपनी अधूरी यात्रा छोड़कर भारत वापस आए हैं. भारत ने पिछले कुछ सालों में सऊदी से रिश्ते बहुत बेहतर किए हैं, जबकि सऊदी अरब जो अब पाकिस्तान पर सख्ती दिखा रहा है, हाल ही में पाक नागरिकों को ‘भिखारी’ कहकर उनके प्रवास पर रोक भी लगा चुका है. भारत-सऊदी रिश्तों की मजबूती से पाकिस्तान लगातार घबरा रहा है. पाकिस्तान यह भली-भांति जानता है कि अगर भारत का प्रभाव मुस्लिम देशों से अधिक बढ़ा तो उसकी 'कश्मीर राग' की राजनीति पूरी तरह बेकार हो जाएगी.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति का भारत दौरा
दूसरी ओर जब यह हमला हुआ तो अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर ही हैं, ठीक उसी समय यह हमला कई सवाल खड़े करता है. यह सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित संदेश देने की कोशिश की गई है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति का भारत दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीक और निवेश के संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में है, पीएम मोदी से जिस अंदाज में जेडी वेंस मिले थे, उससे दुनिया में किसी को भी जलन हो सकती है. खासकर यह यात्रा चीन और पाकिस्तान को तो खूब परेशान कर सकती है. अमेरिका, भारत के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूत कर रहा है, जिससे पाकिस्तान और चीन की चिंता स्वाभाविक है. इस यात्रा के दौरान हमला कर पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों ने अमेरिका को यह दिखाने की कोशिश की है कि भारत अब भी अस्थिर है.
पर्यटकों को निशाना बनाकर डर और भ्रम का माहौल बनाना
जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद जिस तरह से वहां शांति थी, उसके बाद से पूरी दुनिया के लोग वहां घुमने जा रहे थे, पहलगाम जो पर्यटन के नजर से बहुत बड़ा प्लेस है, इस हमले के जरिए आतंकी गुटों ने देश और दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की है कि कश्मीर अब भी सुरक्षित नहीं है. इस तरह के हमले पूरी दुनिया की नजर आते हैं, अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचते हैं और भारत के दुश्मन देशों को भारत की स्थिरता पर सवाल उठाने का मौका मिल जाता है.
पाकिस्तानी आर्मी चीफ का हमले में हाथ?
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया भड़काऊ बयानों को इस आतंकी हमले की वजह भी माना जा रहा है. मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की "जुगुलर वेन" (गले की नस) कहा था. उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ खूब आग उगला था. जिसके छह दिन बाद यह हमला हो गया. यानी माना जा रहा है कि मुनीर के बयान ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला करने के लिए उकसाया. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस बयान को एक "डॉग व्हिसल" के रूप में देखा, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में कट्टरपंथी तत्वों को उकसाना और भारत में अशांति फैलाना था. यह बयान भारत में वक्फ अधिनियम में बदलाव के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ भी मेल खाता है. असली सच्चाई क्या है यह समय के साथ पता चलेगा लेकिन जो अभी समीकरण हैं, वह बहुत कुछ पाकिस्तानी की तरफ इशारा कर रहे हैं.