Pahalgam Salt Saved Lives: आपने पढ़ा या डॉक्टरों से सुना होगा कि नमक ज्यादा नहीं खाना चाहिए लेकिन पहलगाम आतंकी हमले में खाने में ज्यादा नमक ने ही कई जिंदगियां बचा लीं. हां, 11 लोगों का यह परिवार अब ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहा है. वे नमक को जान बचने का कारण मान रहे हैं.
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Kashmir Terrorist Attack: पहलगाम में जिस तरह आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों का धर्म पूछकर हत्या की, उससे पूरा देश गुस्से में है. कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक हुई और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में व्यापक कटौती का फैसला लिया गया. आगे सरकार और सेना क्या कार्रवाई करती है, पूरे देश की उस पर नजर है. इस बीच, 11 लोगों के एक परिवार की 'नमक की कहानी' पता चली है. हां, केरल का 11 लोगों का यह परिवार छुट्टियां मनाने उस समय कश्मीर में ही था. खाने में नमक ज्यादा न होता, तो अगले कुछ मिनट बाद इस परिवार पर भी मुसीबत आ सकती थी.
दोपहर का भोजन करना था और...
दरअसल, हुआ यूं कि खाने में काफी ज्यादा नमक होने के कारण इस परिवार का दोपहर का भोजन लेट हो गया. अनजाने में ही सही, पहलगाम में उस टूरिस्ट स्पॉट पर पहुंचने में उन लोगों से देरी हो गई. किस्मत से अगर ऐसा न हुआ होता तो पहलगाम आतंकी हमले की चपेट में ये भी होते. परिवार ने बताया कि जब वे खाने के लिए गए तो तले हुए चावल में नमक काफी ज्यादा था. ऐसे में इस परिवार ने पहलगाम के रास्ते में दोपहर का भोजन फिर से मंगाया. इसी खाने ने उनकी जान बचा ली.
एल्बी जॉर्ज, उनकी पत्नी लावण्या, बच्चे, लावण्या के माता-पिता और कई चचेरे भाई और उनके बच्चे सभी कश्मीर गए थे. ये 18 अप्रैल को कोच्चि से निकले थे, 19 को श्रीनगर पहुंचने के बाद गुलमर्ग और सोनमर्ग में दो दिन बिताए.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक लावण्या ने बताया, 'मंगलवार को हम श्रीनगर से लगभग 80 किमी दूर पहलगाम जा रहे थे. हमने उस सुबह थोड़ी देर से शुरुआत की. चूंकि हमने पिछले दो दिनों में व्यस्त कार्यक्रम के कारण दोपहर का भोजन छोड़ दिया था इसलिए मेरे पति ने जोर देकर कहा कि बैसरन केवल 15 मिनट की दूरी पर है, हम पहले खाना खा लेते हैं.'
रेस्तरां में फिर बना खाना
इसके बाद यह परिवार सड़क किनारे एक रेस्तरां में रुका. भोजन में नमक काफी था तो वे खाना नहीं खा सके. रेस्तरां के कर्मचारियों ने दोपहर का भोजन फिर से बनाने की पेशकश की. परिवार ने कहा कि ठीक है. इस कारण अनजाने में एक घंटे की देरी हो गई.
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खाना खाने के बाद परिवार आगे बढ़ा तब पता चला कि कुछ मिनट पहले ही आतंकियों ने खूनी खेल खेला है. बैसरन घास के मैदान से थोड़ी दूरी पर उन्होंने देखा कि कुछ गड़बड़ हुई है. लोग घबराकर वापस भाग रहे थे और टैक्सी सड़क पर दौड़ रही थी.
लावण्या ने बताया कि लोग चिल्ला रहे थे लेकिन हम स्थानीय बोली समझ नहीं सके. परिवार के लोग समझ चुके थे कि कुछ बड़ा हुआ है. वे लौटने लगे. थोड़ी ही देर में रिश्तेदारों के फोन से पता चला कि आतंकी हमला हुआ है. वे झटपट घाटी लौटे. शाम होते-होते दुकानें जल्दी बंद होने लगीं. इलाके में तनाव बढ़ चुका था. उन्हें जाने के लिए कहा गया. वहां से ये लोग अपने रिसॉर्ट भागे.
पूरे परिवार को उस रात नींद नहीं आई. रास्ते में खाने के दौरान जो देरी हुई, उस नमक को यादकर लावण्या कहती हैं कि ऐसा लगता है कि भगवान ने खुद हमें बचाने के लिए नमक ज्यादा करा दिया था.