India Pakistan War : पीएम मोदी (PM Modi) की आर्म्ड फोर्स के साथ मीटिंग में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और एनएसए अजित डोभाल (National Security Advisor Ajit Doval) भी थे. टेबल में CDS अनिल चौहान के बगल में 2 लाल रंग की फाइल थीं, वहीं आर्मी चीफ द्विवेदी के बगल में एक काले रंग की फाइल थी, जिसके गहरे मायने हैं.
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PM Narendra Modi meeting with Armed Forces : डीएनए का ये विश्लेषण पाकिस्तान के खिलाफ भारत की परशुराम नीति से जुड़ा है. परशुराम नीति का मतलब है दुश्मन को घर में घुसकर मारना. हमारे धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि एक बार, महिष्मती के शक्तिशाली राजा सहस्त्रार्जुन ने परशुराम के माता-पिता का अपमान किया था. उनके घर में तोड़फोड़ की थी, उनकी कामधेनु गाय छीन ली थी. तब परशुराम ने महिष्मती में घुसकर सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया. भारत भी पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री आवास पर बहुत बड़ी बैठक हुई, जिसमें तय हुआ आतंकवाद को मिटाना है और इसके लिए सेना को पूरी छूट दे दी गई है.
भारत क्या करने वाला है?
आज वर्तमान है. लेकिन कल भविष्य है और कल क्या होगा यानी आगे भारत क्या करने वाला है. इसे लेकर मंगलवार शाम पीएम आवास पर बड़ी बैठक हुई . ये बैठक अभी से महज कुछ घंटे पहले हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक 1 घंटे से ज्यादा समय तक चली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल, CDS अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख बैठक में शामिल हुए. इस बैठक से 4 अहम बातें सामने आई हैं.
पहली बड़ी बात - पीएम मोदी ने ऑपरेशन के लिए सेना को खुली छूट दी.
दूसरी बड़ी बात - आतंकवाद के खिलाफ सेना के हर एक्शन को प्रधानमंत्री का सपोर्ट है.
तीसरी बड़ी बात - सेना एक्शन के लिए वक्त, जगह, तरीका और लक्ष्य तय करें.
और चौथी बड़ी बात - पीएम मोदी ने सेना पर पूरा विश्वास जताया है.
सेना का छूट देने के मायने समझिए
आर्मी को खुली छूट देने का मतलब है कि पाकिस्तान पर हमले का तरीका, टारगेट और टाइम ये तीनों सेना ही तय करेगी. बहुत कम ऐसे मौके आते हैं जब सेना को इस तरह से खुली छूट दी जाती है. अब हम आसान भाषा में खुली छूट को डिकोड करते हैं ताकि आपको इन दो शक्तिशाली शब्दों का मतलब समझ में आ जाये.
-पहला मतलब ये है कि देश के राजनीतिक नेतृत्व ने अब सेना को पूरी तौर से खुली छूट दे दी है. अब इस आदेश के बाद सरकार और सेना के बीच ना तो कोई मीटिंग होगी, ना ही सेना को किसी से कोई बात पूछने की जरूरत है और ना ही अब सेना से कोई जवाब मांगा जाएगा.
-सेना अपनी मर्जी के मुताबिक कहीं भी मिलिट्री ऑपरेशन करने के लिये स्वतंत्र है.
-इसमें देश के अंदर और देश की सीमा के बाहर का इलाका भी शामिल है यानी सेना चाहे तो PoK या इंटरनेशनल बॉर्डर पार करके पाकिस्तान में भी घुस सकती है.
-अब सेना को अपनी मोबि-लाइजेशन मतलब सैनिकों को तैयार करके उन्हें तैनात करने की खुली छूट मिल चुकी है.
-इस ऑर्डर के बाद सेना अपने ऑपरेशन की जरूरतों के हिसाब से किसी भी हथियार का इस्तेमाल कर सकती है. चाहे वो फाइटर जेट हो. मिसाइलें हो या फिर बम से हमला करने का फैसला हो. हर तरह से हथियार की इजाजत उन्हें मिल गई है.
-और अब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन कब और कहां लॉन्च होगा इसका फैसला तीनों सेनाओं के चीफ करेंगे.
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय जब भी सेना को खुली छूट दी गई है तो सेना ने अपना बदला सूद सहित लिया है.
जब-जब सेना ने लिया बदला
18 सितंबर 2016 को उरी में आतंकी हमला हुआ था. हमले के 10वें दिन 28 सितंबर 2016 को PoK में सर्जिकल स्ट्राइक हुई.
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ. हमले के 12वें दिन यानी 26 फरवरी 2019 को बालाकोट में एयर स्ट्राइक हुई.
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ. अभी तक 7 दिन बीत चुके हैं . आतंकी हमले के आठवें दिन कल यानी बुधवार को 4 बैठक होने वाली हैं. मतलब अगला एक्शन जल्द होगा.
सेना को खुली छूट देने वाली मीटिंग के इस वीडियो को भी ध्यान से आपको देखना चाहिए. करीब 30 सेकेंड के इस वीडियो को हम आपके लिए डिकोड करेंगे.
#WATCH | PM Narendra Modi chairs a meeting with Defence Minister Rajnath Singh, NSA Ajit Doval, CDS and chiefs of all the Armed Forces. pic.twitter.com/Wf00S8YVQO
— ANI (@ANI) April 29, 2025
फाइलों में छिपा पाकिस्तान का भविष्य?
इस वीडियो में आप देखेंगे कि CDS अनिल चौहान के बगल में 2 लाल रंग की फाइल है, वही आर्मी चीफ अनिल द्विवेदी के बगल में एक काले रंग की फाइल है. करीब 30 सेकेंड के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को छोड़कर सबके सामने टेबल पर काफी कागज हैं. खासतौर पर NSA अजीत डोभाल के सामने. NSA अजीत डोभाल लगातार प्रधानमंत्री को जानकारी दे रहे हैं. इसके अलावा दूसरे सेना प्रमुख भी प्रधानमंत्री को जरूरी जानकारी दे रहे हैं. प्रधानमंत्री के सामने टेबल पर कुछ कागजात है. इसके साथ ही नोट बुक भी आपको दिख रही है. जिससे ऐसा लगता है प्रधानमंत्री जरूरी जानकारी लिख रहे हैं. मतलब साफ है कि सेना को छूट देना बड़े एक्शन का पहला हिस्सा है. अब एक और बड़ा फैसला होना बाकी है क्योंकि बुधवार इससे भी बड़ी मीटिंग होने वाली है. सबसे बड़ी बात बीते कई दशकों में पहली बार एक साथ इतनी बैठक होने जा रही है.
बुधवार को सबसे पहले सुबह 11 बजे कैबिनेट सुरक्षा कमेटी यानी CCS की बैठक होगी. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजीत डोभाल, कैबिनेट सचिव, रक्षा सचिव शामिल होंगे.
#ParshuramWalaBadla | भारत की 'परशुराम नीति' का विश्लेषण, जो कभी नहीं हुआ..वो 24 घंटे में होगा!
सेना को 'खुली छूट' का मतलब समझिए #DNAWithRahulSinha #PahalgamTerroristAttack #Pahalgam #IndianArmy @RahulSinhaTV
DNA LIVE - https://t.co/6kty1t92Gh pic.twitter.com/vBa8AhRyU1
— Zee News (@ZeeNews) April 29, 2025
CCS की बैठक के बाद फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दूसरी बैठक CCPA यानी Cabinet Committee on Political Affairs की होगी. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा सहित 13 केंद्रीय मंत्री शामिल हो सकते हैं .
Cabinet Committee on Political Affairs के बाद बुधवार को ही तीसरी बड़ी मीटिंग प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की होगी .
प्रधानमंत्री जब भी सेना को खुली छूट देते हैं तो इसका मतलब होता है कि कुछ बड़ा एक्शन होने वाला है. संकट के समय सरकार जब एक के बाद एक बड़ी बैठकें करती है तो इसका मतलब होता कि जल्द ही कुछ बड़ा एक्शन होने वाला है. अभी हमने आपको बताया कि कल बीते एक हफ्ते में दूसरी बार CCS की बैठक होने जा रही है.
इससे पहले 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान CCS की कुछ बैठकें हुई थीं जिसमें अहम फैसले लिए गए थे. 18 मई 1999 को CCS की बैठक हुई थी. इस बैठक में भारी संख्या में सेना को बॉर्डर पर भेजने का फैसला लिया गया था. इसके बाद भारी संख्या में सेना को बॉर्डर भेजा गया.
इसके बाद 24 मई को फिर से CCS की बैठक हुई थी. इस बैठक में घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए हवाई शक्ति का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया. बैठक के बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल की स्थिति को युद्ध जैसा बताया था.
अभी आपने देखा कि युद्ध जैसे माहौल से पहले CCS की बैठक कितनी अहम होती है. अब आपको एक और घटना के बार में बताते हैं जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा है .
इस घटना का जिक्र अशोक पार्थसारथी ने एक आलेख में किया है. अशोक पार्थसारथी ने प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी सलाहकार के रूप में काम किया था. पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करने के तुरंत बाद 16 दिसंबर 1971 को साउथ ब्लॉक में CCS की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में रक्षा, विदेश, वित्त और गृह मंत्री सहित तीनों सेनाओँ के प्रमुख थे. इस बैठक के बाद ही युद्ध विराम का ऐलान किया गया था.