सुरक्षा बलों की सख्ती से बदला पैंतरा: अब स्लो इंटरनेट पर चलने वाले Apps इस्तेमाल कर रहे आतंकी संगठन
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट स्पीड थोड़ी स्लो रहती है, इसलिए आतंकी संगठन ऐसे ऐप्स इस्तेमाल कर रहे हैं जो स्लो इंटरनेट में भी अच्छे से काम कर सकें. तुर्की की कंपनी द्वारा बनाया गया एक ऐप आतंकियों की पहली पसंद बन गया है, उसे सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है.
जम्मू: सुरक्षा बलों (Security Forces) की कार्रवाई से बेबस हुए आतंकी संगठनों (Terrorist Organisation) ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए अब नया पैंतरा अपनाया है. कश्मीर में आतंकियों की भर्ती और युवाओं को भड़काने के लिए ये संगठन ऐसे ऐप (Apps) इस्तेमाल कर रहे हैं, जो धीमे इंटरनेट में भी अच्छे से काम करते हैं. इसमें एक ऐप तुर्की की कंपनी द्वारा बनाया गया है. इस नई जानकारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं हैं और उन्होंने आतंकियों पर शिकंजा कसने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है.
ऐसे सामने आई जानकारी
सैन्य अधिकारियों का कहना कि बीते दिनों एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों (Terrorist) के पास से मिले सबूत और सरेंडर करने वाले आतंकियों से नए ऐप (Apps) के इस्तेमाल के बारे में पता चला है. सेना को पता चला है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आतंक फैलाने के लिए 3 नए ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि सुरक्षा के लिहाज से अधिकारियों ने ऐप के नाम बताने से इनकार कर दिया है.
US निर्मित App भी शामिल
अधिकारियों ने बताया कि जिन 3 ऐप के इस्तेमाल की बात सामने आई है, उसमें एक अमेरिकी कंपनी और दूसरा यूरोप की कंपनी ने बनाया है. इसके अलावा, मौजूदा समय में आतंकी जिस ऐप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे तुर्की की एक कंपनी ने तैयार किया है. पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना इसका इस्तेमाल कश्मीर में युवाओं को प्रेरित करने और आतंकी संगठनों में उनकी भर्ती के लिए भी कर रहे हैं. ये ऐप स्लो इंटरनेट में भी काम करते हैं, इसलिए आतंकी इन्हें तवज्जो दे रहे हैं.
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इस एल्गोरिदम पर करते हैं काम
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि आतंकी संगठनों ने व्हाट्सऐप और फेसबुक का इस्तेमाल पहले ही बंद कर दिया था. बाद में पता चला कि अब वे इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध कुछ नए ऐप्स उपयोग कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, ऐसे ऐप्स में इन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन सीधे डिवाइस पर होता है. लिहाजा थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप की संभावना घट जाती है. ऐसे ऐप इन्क्रिप्शन एल्गोरिदम RSA-2048 का प्रयोग करते हैं, जो कि सबसे सुरक्षित इन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म माना जाता है.
Phone Number की जरूरत नहीं
अधिकारियों के मुताबिक, घाटी में युवाओं को आतंकी बनाने के लिए आतंकी संगठन जिस नए ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें किसी भी फोन नंबर या ईमेल की जरूरत नहीं होती. इसलिए उन्हें यह ऐप ज्यादा सुरक्षित लग रहा है. जानकारी सामने आने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब ऐसे ऐप को ब्लॉक करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. बता दें कि घाटी में सेना की सख्ती के चलते आतंकी संगठन बेबस हो गए हैं. सेना ने उनके नेटवर्क को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. इसलिए अब वह नए-नए तरीके आजमा रहे हैं.
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