पानी के लिए छटपटा रहा पाकिस्तान, सिंधु जल संधि पर घुटने टेके, भारत की शर्त मानने को तैयार
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पानी के लिए छटपटा रहा पाकिस्तान, सिंधु जल संधि पर घुटने टेके, भारत की शर्त मानने को तैयार

भारत ने पहलगाम हमले के बाद 1960 की सिंधु जल संधि के अमल को रद्द कर दिया था. इससे पाकिस्तान परेशान है. अब वो भारत की आपत्तियों पर आगे बातचीत के लिए तैयार दिख रहा है. 

indus water treaty
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सिंधु जल संधि पर भारत की दो टूक के बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है. पाकिस्तान ने कहा है कि वो भारत के साथ इस संधि की शर्तों पर आगे बात करने को तैयार है. पाक के जल संसाधन मंत्री ने भारत को जानकारी दी है कि उनका देश 1960 की संधि के उन बिंदुओं पर वार्ता करने को तैयार है, जिस पर भारत को आपत्ति है. पाकिस्तान ने पहली बार सिंधु जल संधि की 1960 में तय शर्तों पर पुनर्विचार का रुख दिखाया है. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को बता दिया था कि वो सिंधु जल संधि के अमल को रद्द कर रहा है. इसके बाद करीब पिछले एक महीने से पाकिस्तान की पानी को लेकर छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है.वो भारत सरकार की चिंताओं और आपत्तियों पर विचार करो तैयार हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्री सैयद अली मुर्तजा ने माना जाता है कि भारत से मिली औपचार जानकारी के बाद यह कदम उठाया है. सूत्रों का कहना है कि मुर्तजा ने कहा है कि संधि से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, लेकिन उनका देश भारत की आपत्तियों पर विचार कर सकता है.

इससे पहले भारत ने जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में भी संधि पर उसकी आपत्तियों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था. लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद इस संधि को तुरंत रद्द करने का फैसला किया तो पाकिस्तान के तेवर अब ढीले पड़े हैं. इसे भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है.

पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी मिलता है. जबकि ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलता है. भारत को सिंधु और उसकी अन्य नदियों से 20 फीसदी ही पानी मिल पाता है. जबकि पाकिस्तान 80 प्रतिशत से ज्यादा लाभ उठा लेता है. 

भारत ने इरादा जताया है कि वो सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी का उचित इस्तेमाल करेगा. इसके लिए बांध और जलाशयों का निर्माण किया जा सकता है. पाकिस्तान भारत के बांध बनाने के कई प्रस्तावों को लेकर आपत्ति जता चुका है. उसका कहना है कि इससे यथास्थिति बदलेगी. 

भारत ने 24 अप्रैल को लेकर लिखे पत्र में सिंधु जल संधि को लेकर अपने नए रुख से पड़ोसी मुल्क को अवगत करा दिया है. पीएम मोदी ने खुद अपने संबोधन में साफ कर दिया है कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते. 

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