FATF की बैठक में पाकिस्‍तान को फिर झटका, ग्रे-लिस्‍ट से बाहर निकलने के मंसूबों पर फिरा पानी
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FATF की बैठक में पाकिस्‍तान को फिर झटका, ग्रे-लिस्‍ट से बाहर निकलने के मंसूबों पर फिरा पानी

पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में डाल दिया गया था.

(फाइल फोटो).DNA

नई दिल्ली: दुनिया भर में आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने के लिए काम करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखा है. सूत्रों के अनुसार, ग्रे-लिस्ट में रखे जाने को लेकर तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. पेरिस में चल रही एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान से धनशोधन और आतंक वित्तपोषण के दोषियों को कठघरे में लाने के लिए कानूनों को और कसने की मांग की है. आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने की दिशा में काम करने वाली संस्था एफएटीएफ की बैठक पेरिस में 16 फरवरी से शुरू हुई और यह 21 फरवरी तक चलेगी.

ग्रे-सूची से निकलने के लिए पाकिस्तान को 39 में से 12 मतों की जरूरत थी, जबकि काली सूची में जाने से बचने के लिए उसे तीन देशों का समर्थन चाहिए था.

पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था और उसे एक कार्य योजना पर काम करने के लिए अक्टूबर 2019 तक का समय दिया गया था, जिसे पूरा नहीं करने पर उसे ईरान और उत्तरी कोरिया के साथ ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी गई थी. बाद में अक्टूबर 2019 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 सूत्री एक कार्य योजना को लागू करने का फरमान देते हुए फरवरी तक ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया. इसके बाद इस साल जनवरी में फिर चीन के बीजिंग में एफएटीएफ की बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान ने कार्य योजना लागू करने के लिए एक सूची सौंपी.

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अब पेरिस मुख्यालय स्थित एफएटीएफ इस बैठक में पाकिस्तान द्वारा धनशोधन को समाप्त करने और आतंकियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने की दिशा में उठाए गए कदमों का जायजा ले रहा है. अगर पाकिस्तान को अप्रैल तक ग्रे लिस्ट से नहीं हटाया गया तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है, जिससे उसे ईरान की तरह आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.

एफएटीएफ की बैठक से पहले पाकिस्तान सरकार के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है था कि पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के आधार पर राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लगता है कि पाकिस्तान मजबूती से अपना पक्ष रख सकता है.

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